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ARTI JI
White आलशिन रुतबे वाला अल्लाह कबीर है। फजायले अमाल में जिक्र है की वह आलीशान रूतबे वाला अल्लाह कबीर हैं। जो तमाम पोशीदा और जाहिर चीजों को जानने वाला है। #AlKabir_Islamic #SaintRampalJi ©ARTI JI #election_2024 #VoteForIndia #voting #लव #शायरी #कविता #viral #Love आलशिन रुतबे वाला अल्लाह कबीर है। फजायले अमाल में जिक्र है की वह आलीशा
ARTI JI
White आलशिन रुतबे वाला अल्लाह कबीर है। फजायले अमाल में जिक्र है की वह आलीशान रूतबे वाला अल्लाह कबीर हैं। जो तमाम पोशीदा और जाहिर चीजों को जानने वाला है। #AlKabir_Islamic #SaintRampalJi ©ARTI JI #sad_quotes #election_2024 #VoteForIndia #voting #लव #शायरी #viral #Love आलशिन रुतबे वाला अल्लाह कबीर है। फजायले अमाल में जिक्र है की वह आ
Rabindra Kumar Ram
" फिर तुझसे यकीनन कैसे कब कहां क्या मिला जाये , हक़ीक़त बनाम की फिर इसे फ़साना ही रहने दिया जाये , तेरे हिज़्र कि तिजारत फिर किस से क्या करते तेरे तसव्वुर में, जहां तक जाहिर बात बन परती फिर वही दहलीज तक जाहिर किया जाये. " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " फिर तुझसे यकीनन कैसे कब कहां क्या मिला जाये , हक़ीक़त बनाम की फिर इसे फ़साना ही रहने दिया जाये , तेरे हिज़्र कि तिजारत फिर किस से क्या करत
Jashvant
कब वो ज़ाहिर होगा और हैरान कर देगा मुझे जितनी भी मुश्किल में हूँ आसान कर देगा मुझे रू-ब-रू कर के कभी अपने महकते सुर्ख़ होंट एक दो पल के लिए गुल-दान कर देगा मुझे रूह फूँकेगा मोहब्बत की मिरे पैकर में वो फिर वो अपने सामने बे-जान कर देगा मुझे ख़्वाहिशों का ख़ूँ बहाएगा सर-ए-बाज़ार-ए-शौक़ और मुकम्मल बे-सर-ओ-सामान कर देगा मुझे मुंहदिम कर देगा आ कर सारी तामीरात-ए-दिल देखते ही देखते वीरान कर देगा मुझे एक ना-मौजूदगी रह जाएगी चारों तरफ़ रफ़्ता रफ़्ता इस क़दर सुनसान कर देगा मुझे या तो मुझ से वो छुड़ा देगा ग़ज़ल-गोई 'ज़फ़र' या किसी दिन साहिब-ए-दीवान कर देगा मुझे ©Jashvant कब वो जाहिर Puneet Arora Sunny PФФJД ЦDΞSHI Chanda Nîkîtã Guptā Mukesh Poonia
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White ग़ज़ल:- तू फ़िदा है हमीं पे जताती नहीं । क्या मुझे देख तू मुस्कराती नहीं ।।१ थाम लूँ थाम तेरा मैं कैसे भला । प्यार का मैं वहम दिल बिठाती नहीं ।।२ साथ चलना तुम्हारे अलग बात है । साथ पर अजनबी का निभाती नहीं ।।३ जिनसे रिश्ता जुड़ा है यहाँ प्यार का । देख उनको कभी मैं रुलाती नहीं ।।४ प्रेम उनका करें कैसे जाहिर यहाँ । माँग सिंदूर क्या मैं सजाती नहीं ।।५ दौड़ आयेगा वो एक आवाज़ में । पर उसे भी कभी मैं बुलाती नहीं ।।६ प्यार का सोचकर आज अंज़ाम मैं । कोई रिश्ता भी देखो बनाती नहीं ।।७ है सड़क पर बहुत आज मजनूं पड़े । मैं नज़र यार उनसे मिलाती नहीं ।।८ भूल तुमसे हुई है जताकर वफ़ा । जा प्रखर केश तुझ पर लगाती नहीं ।।९ ०६/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल:- तू फ़िदा है हमीं पे जताती नहीं । क्या मुझे देख तू मुस्कराती नहीं ।।१ थाम लूँ थाम तेरा मैं कैसे भला । प्यार का मैं वहम दिल बिठाती नहीं ।
Manish Jakhmi
किसी के लिए सबसे बेहतर यह भी हो जाता है जब वो मात्र अपने ही ख्यालों में एक दुनिया बना लेता है, जिसका आभास वास्तविकता में असलियत की दुनिया के मुकाबले ज्यादा सुंदर और संतुष्टिजनक होता है, और जाहिर है कि एक इंसान ऐसे ख्याल तब ही चुनता है जब असली दुनिया में उसे सब चीजे विपरीत ही मिली हो जैसी उसने देखी और सुनी हो या समय दिया हो। मनीष जख्मी। ©Manish Jakhmi किसी के लिए सबसे बेहतर यह भी हो जाता है जब वो मात्र अपने ही ख्यालों में एक दुनिया बना लेता है, जिसका आभास वास्तविकता में असलियत की दुनिया के
AJAY NAYAK
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. किसी ने कहा, नाराज भी उसी से होते हैं जिसे, सबसे ज्यादा, अपना समझते हैं दुसरे ने कहा, दो कड़वे शब्द भी, उसी को सुनाते हैं जिसे, सबसे ज्यादा, अपना समझते हैं अगर, नाराजगी में प्यार छुपा है, तो दो कड़वे बोल में भी, प्यार छुपा है बस, जैसे उसे जाहिर कर देते हो, वैसे ही, इसे भी समझ लिया करो। –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #Holi #samjh किसी ने कहा, नाराज भी उसी से होते हैं जिसे, सबसे ज्यादा, अपना समझते हैं दुसरे ने कहा, दो कड़वे शब्द भी, उसी को सुनाते हैं ज
Rupali >------->>Verma
Rabindra Kumar Ram
" मिलोगी फिर किस हिसाब से तुम से जो मिला जाये , बात जहां तक जाहिर हो फिर वहां तक गुप्तगू की जाये , बोलो तो अब इस रंजूर में कौन सी शक्ल इख्तियार करें , मुहब्बत की बात है फिर मुहब्बत की कौन सी बात करें . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " मिलोगी फिर किस हिसाब से तुम से जो मिला जाये , बात जहां तक जाहिर हो फिर वहां तक गुप्तगू की जाये , बोलो तो अब इस रंजूर में कौन सी शक्ल इख्
Anuradha T Gautam 6280