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CHOUDHARY HARDIN KUKNA
Shivkumar
ब्रह्माण्ड में चारों तरफ़ सिर्फ अंधकार था व्याप्त। चौथे रुप में माता ने तब किया अण्ड निर्माण।। सभी जीवों और प्राणियों में है मां का तेज। माता के कृपा बिना हो जाते हैं सब निस्तेज।। सारा चराचर जगत है मां के ही माया से मोहित। मां के ही प्रेरणा से होता है जगत में सबका हित।। दिव्य प्रकाश जगत में मां कुष्मांडा फैलाती। ममतामई, करुणामई, कल्याणकारी कहलाती।। सौम्य स्वभाव वाली है मेरी मां अष्टभुजाओंवाली। भक्तों की सारी विपदा दूर करती है महामाई।। जो कोई श्रद्धा भक्ति से मां के शरण में आता। सुख, समृद्धि,धन, सम्पदा बिन मांगे मिल जाता।। ©Shivkumar #navratri #navratrispecial #नवरात्रि #navratri2024 #ब्रह्माण्ड में चारों तरफ़ सिर्फ #अंधकार था व्याप्त । चौथे रुप में माता ने तब किया
Suraj Sharma
Parasram Arora
काश मेरे पास अगर होती दिव्य आँखे तो देख पाता मै उस गरीबी क़ो जो पिघलती रहती है जगत के चप्पे चप्पे पर और शायद मे तब कामयाब होता देखने मे उस भूखी नंगी आभावग्रस्त मानवता क़ो जो हर कदम पर कुतरती रहती है अपनी पीड़ा क़ो ©Parasram Arora दिव्य आँखे
||स्वयं लेखन||
ॐ नमः पार्वती पतेय हर हर महादेव! एक केशर विलेपित कोमल कमल राजकन्या, शोभित न्यारी ललित ललाट, दिव्य छविधारी गौरी प्यारी। दूजे शोभित हैं भभूत,विषधर नीलकंठ मुंडमाल से भरा कंठ, धारण किए चंद्र चमक रहा मस्तक, जटाधारी केश,भाल त्रिनेत्र बर्फाच्छादित निवास क्षेत्र। पर्वतपुत्री शोभित न्यारी कनक बसन कंचुकी सजाए, स्वर्ण आभूषण शोभा भाए, हृदय में शिव को बसाए, एक ही हठ वर बने शिवशंकर जाती कैलाश शिखर निष्ठावान प्रेम संकल्प लिए शैल सुता पूजती शिवलिंग, अन्न जल त्याग प्रेमरस भींग, वैरागी शिव के हृदय में कर प्रेम जागृत, किया शक्ति ने स्वयं को समर्पित। ©||स्वयं लेखन|| ॐ नमः पार्वती पतेय हर हर महादेव! एक केशर विलेपित कोमल कमल राजकन्या, शोभित न्यारी ललित ललाट, दिव्य छविधारी गौरी प्यारी।
Jaggi Charuta
Divya Joshi
कुछ ख्वाब बस ख्वाब ही रह जाते हैं। समय कितना परिवर्तित कर देता है सब कुछ। इस वक़्त ने मुझसे मेरी स्वतंत्र अभिव्यक्ति छीनी है। उन्मुक्तताएँ लील गया ये। इस वक़्त ने हँसी छीनी है। इसने आत्मविश्वास छीना है। बुद्धिमत्ता से लेकर स्मरण शक्ति जो मेरी सबसे बड़ी विशेषता थी, वो भी छीन ली। इसने जो रिक्तियां भरी हैं, कभी मिट नहीं पाएंगी। मैं जो लिखना चाहती थी वे शब्द, वे भाव इसने छीने और भर दी गहरी नीरसता, उदासी और अनिश्चितताएं। पर हाँ! इतनी नकारात्मकताओं के बावजूद इस वक्त ने मुझमें जो साहस पैदा किया उसके लिए इसकी आभारी हूँ। समर्पण का भाव मुझमें शुरू से रहा, लेकिन इस वक़्त ने मुझमें बसे उस समर्पण भाव को दुगुना किया। इसने रिश्तों की अहमियत बताई और अपने पराए का बोध कराया। इसी वक्त ने बताया कि मैं उतनी कमज़ोर नहीं हूँ, जितना मैं खुद को समझती हूँ। बल्कि हर आँसूं को पोंछ कर चट्टान की तरह हर मुसीबत के सामने खड़े रह जाने की काबिलियत भी है मुझमें। ये वक्त ही है जिसने मुझे बताया कि जितना...... नीचे कैप्शन में पढ़ें... ©Divya Joshi #Time मनकही: एहसान वक्त के कुछ ख्वाब बस ख्वाब ही रह जाते हैं। समय कितना परिवर्तित कर देता है सब कुछ। इस वक़्त ने मुझसे मेरी स्वतंत्र अभिव्य