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Dr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी
White सत्य को धोखा, एक बार नही, बार बार मिलता है, खुशनसीबी के फूल, बार बार कब खिलता है, अजब मेरी किस्मत है शिवा, जो भी मिलता है, पीठ पर ही वार करता है। #कलमसत्यकी ✍️©️ ©Dr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी #bike_wale सत्य को धोखा, एक बार नही, बार बार मिलता है, खुशनसीबी के फूल, बार बार कब खिलता है, अजब मेरी किस्मत है शिवा, जो भी मिलता है, पीठ प
Vs. Gaming
White ज़ख़्म ही देना था तो पूरा जिस्म तेरे हवाले था मगर कमबख़्त तूने तो , हर वार दिल पर ही किया..!! 🥺 ©Vs. Gaming #flowers ज़ख़्म ही देना था तो पूरा जिस्म तेरे हवाले था मगर कमबख़्त तूने तो , हर वार दिल पर ही किया..!! 🥺
Rimpi chaube
किस्तों सी जिंदगी रही, उसमें भी कई अर्से उधार गए। कुछ अपनों के नाम रहे, कुछ गैरों पर वार गए। जिनसे सुनते आए थे..... कि तुम अपने हो, वक्त पड़ा... तो उन्ही अपनों से हम हार गए।। ©Rimpi chaube #हमअपनोंसेहारगए किस्तों सी जिंदगी रही, उसमें भी कई अर्से उधार गए। कुछ अपनों के नाम रहे, कुछ गैरों पर वार गए। जिनसे सुनते आए थे..... कि तुम अ
MमtA Maया
जो दूसरों की इज़्ज़त पे वार करते हैं वो यक़ीनन ख़ुद की ज़िंदगी बर्बाद करते हैं ©MमtA Maया 12/05/24 इज़्ज़त पे वार
Sarfaraj idrishi
अपने सर से वार कर फेंकतता हूं ऐसे लोगों को" जिन्हें लगता हैं कि उनके बगैर मेरा गुजारा नहीं हैं... 😎 ©Sarfaraj idrishi #ChainSmoking अपने सर से वार कर फेंकती हूं ऐसे लोगों को" जिन्हें लगता हैं कि उनके बगैर मेरा गुजारा नहीं हैं...–Varsha Shukla Kavisthaan Lux
Sangeeta Kalbhor
प्रेम मी रे जाणले.. मी वाहत गेले काळीज अन् काळजीत पडले पंख माझेच विहरणारे काळजीने मी खुडले वार होत असता चित्तावर चित्त होते थरथरले काळीज दाटून नयनात अश्रूतून झुरझूरले काय चुकले माझे की मी माझेपण अर्पिले पाषाण ह्रदयी असणाऱ्याला शेंदुराने सजविले घाव बसता घावावर हाक तरी निघावी कशी निपचित पडून वेडे सत्त्व घेत असे वामकुक्षी ह्रदया तुझ्या कारणे मी काय काय सोसले शब्द आग ओकताना रे कुठले देऊ दाखले एक बरे जाहले मला वेडीला प्रेम रे घावले काळजाला काजळवणारे प्रेम मी रे जाणले..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #outofsight प्रेम मी रे जाणले.. मी वाहत गेले काळीज अन् काळजीत पडले पंख माझेच विहरणारे काळजीने मी खुडले वार होत असता चित्तावर चित्त होते थर
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. ग़ज़ल :- हर तरफ़ है बहार होली में । दिल को आया करार होली में ।।१ देखकर जो बदलते थे रस्ता । वो भी आयें हैं द्वार होली में ।।२ इस तरह अब वफ़ा करो हमसे । हो जाऊँ मैं बीमार होली में ।।३ आप ऐसे अगर हमें चाहें । जान भी दूँगा वार होली में ।४ दुश्मनी भूल अब सभी जाए । रब से करता पुकार होली में ।।५ पी लिया भंग आज भी जिसने । बरसा उनपे ही प्यार होली में ।।६ हाथ में हाथ तुम प्रखर देना । तो करूँ इंतजार होली में ।।७ २५/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- हर तरफ़ है बहार होली में । दिल को आया करार होली में ।।१ देखकर जो बदलते थे रस्ता ।
Bhupendra Rawat
मैं कोशिशें हज़ार करता हूँ मैं ख़ुद के दिल में ही वार करता हूँ तेरी जुस्तजू में हूँ आज तलक तेरे दिए वादे पर आज भी एतबार करता हूँ बड़ा एब है, आसानी से जायेगा नहीं दैर ओ हरम में तेरी ही गुहार करता हूँ रातों में गुफ़्तगू का सिलसिला जारी है जुगनुओं से बातें तेरी हर बार करता हूँ आज भी मैं झुका हूँ तेरे सज़दे में मैं ख़ुद से ज्यादा तुझसे प्यार करता हूँ ©Bhupendra Rawat #GingerTea मैं कोशिशें हज़ार करता हूँ मैं ख़ुद के दिल में ही वार करता हूँ तेरी जुस्तजू में हूँ आज तलक तेरे दिए वादे पर आज भी एतबार करता हूँ
Bhupendra Rawat
उलझा हूँ, ज़िंदगी की हरेक गुत्थियाँ सुलझाने में जब से दस्तक दी है दर्द ने मेरे सिराने में बड़ी मशक्कत से पाला था मैंने एक भ्रम ठोकरों ने बताया,नही होता,अपना कोई इस ज़माने मे दोस्ती इतनी अच्छी भी नहीं कि भूल बैठो ख़ुद को दोस्त ही वार करता है पीछे से जख्म को सहलाने मे बेस्वार्थ प्यार की डोर से जुड़ी है, माँ वरना स्वार्थ की डोर ने जोड़े रखा है रिश्तों को ज़माने में माँ की गोद ने भूला दिया जहाँ के दर्द को कोई जादू हो, जैसे माँ के सिराने में ©Bhupendra Rawat #thepredator उलझा हूँ, ज़िंदगी की हरेक गुत्थियाँ सुलझाने में जब से दस्तक दी है दर्द ने मेरे सिराने में बड़ी मशक्कत से पाला था मैंने एक भ्रम