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Nisheeth pandey
शीर्षक- नेता जी जिंदाबाद ◆◆◆◆◆◆◆◆ लगा दो आग , जल जाने दो घर , झुलस जाने दो लोग , जला डालो लोगों के उबलते खून, हम नेता हैं जनाब , तमाशा देखेंगे पहले , फिर तमाशा दिखाएंगे , बुझाएंगे ठंडी आग , घरों की कालिख धोएंगे अपनी आँशु से , झुलसे लोग को खिलाएंगे दया भाव से , जो लोग जाएंगे बच , उनके घरों को पेंट कराएंगे , लोग खुंशी में बहते आँशु को पोझेंगे , फिर लोग बोलेंगे मेरे घर को नेता जी ने दिया सवाँर , नेता जी जिंदाबाद जिंदाबाद !!! 🤔🤔🤔 @निशीथ ©Nisheeth pandey शीर्षक- नेता जी जिंदाबाद ◆◆◆◆◆◆◆◆ लगा दो आग , जल जाने दो घर , झुलस जाने दो लोग , जला डालो लोगों के उबलते खून, हम नेता हैं जनाब ,
Gopal Pandit
राजेन्द्र सनातनी
Vijayjay Vijayjay
अर्जी किया है मांगा था गुलाब मिला है धतूरा मांगा था गुलाब मिला है धतूरा पिताजी ने मारी है चप्पल और प्यार हुआ पूरा ©Vijayjay Vijayjay #Sitaare शायरी गजल दिल की बात रियल देसी सीरियल
Ravendra
Ravendra
Vedantika
(देखा एक ख़्वाब तो…) सुरभि और संजय बरसात के मौसम में अपनी कार में लॉन्ग ड्राइव पर निकले थे। बाहर हल्की बूंदाबांदी हो रही थी जिसकी छींटों से कार के शीशे भीग गए थे। सुरभि ने अपनी ओर की खिड़की का शीशा थोड़ा सा नीचा किया और हाथ बाहर निकाल कर उंगलियों से शीशे पर तरह तरह के चित्र एक गीत गाते हुए बनाने लगी। संजय ने उसे ऐसा करने से रोका नहीं क्योंकि सुरभि बहुत दिनों बाद खुश लग रही थी। वो अभी कुछ दूर ही गए थे कि एक तेज आवाज के साथ गाड़ी रुक गई। सुरभि को यह बात बिल्कुल भी पसंद नहीं आई। उसने संजय से पूछा- “क्या हुआ संजय, आपने कार क्यो रोक दी? सुरभि की बात सुनकर संजय ने हँसते हुए कहा- “मैंने कार नहीं रोकी डियर, लगता हैं, कार को भी तुम्हारे ये अजीब कारनामे पसंद नहीं आए।” यह सुनकर सुरभि ने संजय की और देखा और मुस्कुराने लगी। वे दोनों कार से नीचे उतरे और संजय ने कार की खराबी देखने के लिए डिक्की खोल दी। काफी देर
Bhakti Kathayen
SWARN_LEKHIKA_rumann_manchnda
पूछते हैं वो कि गालिब कौन हैं शब्दों में ब्यान नही हो पाती महान हस्तियाँ, हमने मुस्कराकर बोला फूलो में खुशबू जैसे है आती, तितली में रंगत है जहाँ से आती, गालिब जी की शख़्सियत आज भी ऐसे है गजलों में झिलमिलाती ॥ महान शायर #मिर्ज़ाग़ालिब (27 दिसम्बर 1797 - 15 फ़रवरी 1869) का आज जन्मदिवस है। ग़ालिब जो एक मिथक की सी हैसियत रखते हैं, उनकी शायरी का हर कोई दीव
Kulbhushan Arora
प्रश्नचिन्ह??? एक उपन्यास... पहला भाग नींद आनंद की आंखों से कोसों दूर थी, उसकी बंद आंखों में दिन भर की घटनाएं, किसी सीरियल के एपिसोड की तरह चलने लगी।जबसे उसने CT scan और MRI की र