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Sarfraj Alam Shayri
White गरीबी से मर गए गरीब, और अखबार में खबर छपी है .. गरीबी कम हुई.! ©Sarfraj Alam Shayri #Sad_Status गरीबी से मर गए गरीब, और अखबार में खबर छपी है .. गरीबी कम हुई.!
#Sad_Status गरीबी से मर गए गरीब, और अखबार में खबर छपी है .. गरीबी कम हुई.!
read moreParasram Arora
White कई बार कर चुका हूँ कोशिश अपनी उमर को बुखार नापने वाले थर्मामीटर से नापने क़ी लेकिन उस यंत्र का पारा शून्य पर अटका रहा उसे कई बार झटकने के बाद भी ©Parasram Arora उम्र और थर्मामीटर
उम्र और थर्मामीटर
read moreParasram Arora
White मै जिस घर मे रहता हूं अक्सर यही कहता हैँ मुझे कभी मत कजोड़ना क्योंकि मै तुम्हारा अतित हूँ जो तुमने मुझमे रह कर गुज़ारा हैँ और जिन रास्तो पर मै चलता आया हूँ अक्सर वो हर दिन कहते हैँ मुझे कि मेरा अनुसारन्न करते रहो क्योंकि मै ही तुम्हारा भविष्य हूँ ©Parasram Arora घर और रास्ता vs अतित और भविष्य
घर और रास्ता vs अतित और भविष्य
read moreRam Prakash
White बिना शादी के अपने शौक में जीने वाले अच्छे हैं समाज में सबसे ज्यादा हिंसक दहेज के बच्चे हैं ©Ram Prakash #love_shayari दहेज
#love_shayari दहेज
read moreIndian Kanoon In Hindi
दहेज के झूठे मामले से कैसे निपटें | How to deal with false dowry | 498a case se kse bache | Dahej
read moreParasram Arora
Unsplash उसकी तारीफ़ भी क़ी और कई बार उसकी शान मे तालिया भी बजाई इसके बावजूद किसी का दर्द तुमने कम होते हुए कभी देखा है क्या,=? ©Parasram Arora तारीफ और तालिया
तारीफ और तालिया
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दहेज के झूठे मामले से कैसे निपटें | How to deal with false dowry | 498a case se kse bache | Dahej
read moreIndian Kanoon In Hindi
दहेज के झूठे मामले से कैसे निपटें | How to deal with false dowry | 498a case se kse bache | Dahej
read moreसाँस लेती hui lash
गरीबी मे पाले हुए बच्चे कभी भी आसमानों की नहीं सोच ते है वो हमेसा 2 रोटी और क्षत की सोच ते है क्यूँ की जी नौ ने क्षत को टपकते हुए देखा है उन्हों ने आसमान को भी बहुत करीब से देखा है ✍️✍️ ©साँस लेती hui lash #Deep #भूख #गरीबी #true #Lines #poatry #sayari #SAD #Love #Dhoka hindi poetry on life urdu poetry poetry in hindi love poetry for her
Parasram Arora
Unsplash वो दिन याद करो ज़ब ये आदमी पहले "आदम " था और स्त्री "ईव " थीं तब न आखर था न शब्द न लिपि न कोई आपस मे संवाद था तब केवल ध्वनि थीं तरंग थीं लय थीं इसके बाद वो ध्वनि कब संगीत बनी कब सरगम मे तब्दील हुई कोई नहीं जानता लेकिन वो "आदम " तब तक आदमी और वो ईव स्त्री मे रूपांतरित हो गए थे ©Parasram Arora आदम और ईव
आदम और ईव
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