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Dr. H(s)uman , Homoeopath
Unsplash सब भूल जाओ लोग क्या कहते हैं आँखें बंद कर लो लोग क्या करते हैं तुम तो बस ये देखो और सुनो कि तुम क्या कहते और करते हो आपने बारे में। सिर्फ़ तुम ही सब कुछ हो ©Dr. H(s)uman , Homoeopath #तुम
Raaj _The Secret
कोई भी नही जो तेरी कमी पूरी कर सके, और कोई भी नही जिसे मैं तेरी तरह प्यार कर सकूँ।। ©Raaj _The Secret तुम
तुम
read moreहिमांशु Kulshreshtha
Unsplash बेहद मुख्तसर सी पसंद है हमारी एक तुम और पलकें झुका कर मुस्कुराना तुम्हारा ©हिमांशु Kulshreshtha एक तुम..
एक तुम..
read moreAdv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
White तुम ही बदल गए तो जमाने से आस क्या होगी रास्ते ही न रहे तो मंजिल की तलाश क्या होगी ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #तुम
Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
White मैं तो सिद्द्त से डटा रहा जमाना हँसता रहा मेरा इंतजार देखकर ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #तुम
Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
White मैं तुम्हें खरीद तो न पाऊँगा तुम खुद से जो आ गए सो आ गए.. ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #तुम
Avinash Jha
कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था, दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था। धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन, सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन। व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया, भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया। मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ, किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ? पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना, पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना? जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए, आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए। "हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई, जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई। क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा, जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?" अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल, धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल। कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से, "जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है। हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो, धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो। यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है, तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है। ©Avinash Jha #संशय #Mythology #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun
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read moreहिमांशु Kulshreshtha
White तुमसे जो मिले तो ज़िंदगी खूबसूरत लगने लगी हसीन ये आसमान और ज़मीं लगने लगी यक़ीन ग़र कर पाओ मेरा, तो सुनो, मुझे तुम बेशक दूर रहो मुझ से फ़िर भी मेरी ज़िंदगी सी लगती हो…!!!! ©हिमांशु Kulshreshtha तुम..
तुम..
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