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Ombir Kajal
जब लिकडे थे घरां तै, तो सोचरे थे कि क्युकर पहुंचांगे, पर सफर का बेरा ई ना पाटया, अक कितनी दूर था, कसम तेै यारों, घणा कसुता आगरे का टूर था। आलोक भाई की शायरी नै, आग लगा राक्खी थी, विशाल भाई नेै शायरी मेै, किसी की तस्वीर बणा राक्खी थी, सुमन जी नेै तो हंस हंस केै, बरसात करा राक्खी थी, अर पूजा जी के चेहरे पै, कति चांद बरगा नूर था, कसम तेै यारों, घणा कसुता आगरे का टूर था। अभिषेक भी कदे कदे शांत, तो कदे कदे अलबाद करेै था, रवि की आवाज तो कोनी आरी थी,पर कुछ कहण की कोशिश जरुर करेै था, अर प्रदीप भाई की आवाज सुणकै, मन कोनी भरै था, ओमबीर काजल तो बस, आपणी मस्ती मै चूर था, कसम तेै यारों, घणा कसुता आगरे का टूर था। अजय भी चुपचाप लेग्या नजारे, सुमन गैल आरया था, सारी उम्र याद रहेैगा, जो ट्रेन मै मौसमी का जूस बणारया था, कसुती आवाज काडै था, बैरी बिल्कुल ना शरमारया था, वापस आण का मन ना था मेरा, वक्त के हाथां मजबूर था, कसम तेै यारों, घणा कसुता आगरे का टूर था। ✍Ombir Kajal✍ ©Ombir Kajal आगरे का टूर
Gulshan Ki khushi
तुम आगरे की ताजमहल, मैं हल्दीघाटी मैदान प्रिये। तुम मुगलों की अमानत हो, मैं राजपुताने की शान प्रिये।। 🚩🚩जय श्री राम 🚩🚩 ###Gulshan.. ©Gulshan Ki khushi तुम आगरे की ताजमहल, मैं हल्दीघाटी मैदान प्रिये। तुम मुगलों की अमानत हो, मैं राजपुताने की शान प्रिये।। 🚩🚩जय श्री राम 🚩🚩
Priyanka Singh
Sumit Singh #NojotoQuote सॉरी – “गुस्से को” दुख – “जिंदगी को” गुस्सा – “रिस्ते को” जूठा – “विस्वास को” साथ – “गम को” धोखा – “प्यार को” Facebook – “लाइफ को” Apps – “स
SAAJAN KUMAR The Technical Guru
आदत तेरी आदतों को मैंने कुछ इस तरह पाला आदतों की खातिर तेरी मैंने खुद की आदतों को बदल डाला आदतों में तू मेरी अब कुछ इस तरह समाया खो चुका हूं अब खुद को मैं मेरी रूह में भी मैंने तुझे ही पाया साजन कुमार आदतों को को दिया
azma khan
खुद को खोने का पता नहीं चला, किसी को पाने की यूं इंतहा कर दी मैंने ©azma khan को दिया खुद को
MIVAN GANDHI
दरिया को मत पूछो तुम कहा तक जाओगे वो भी इन्सान की तरह भटक रहा है। दरिया भी क्या करे उसे समंदर का पता नही किधर है। अनजान से रास्ते मे भटकते जा रहा है। ©MIVAN GANDHI दरिया को को बताए #sagarkinare
Vivek
देखो यूँ ही गुजरे न हर लम्हा यूँ ही तन्हा न तड़पो तुम जो ख़त कबसे खोला नहीं है सिर्फ़ उसी को पढ़ लो तुम मगरूर इश्क़ में ठीक नहीं है बिन मगरूर ही मर लो तुम खुद या मुझ में जो चुनना है क्यों न मुझ को चुन लो तुम...!!! ©Vivek # खुद को या मुझ को
Meenakshi Sharma
शायरी आज फिर बारिश की बूंदें इस तरह बरसी है, जैसे आकाश में धरती से मिलने को तरसी है, प्यार बफा सब धोखा है बारिश की बूंदों ने भी, क्या किसी को रोका है। Meenakshi Sharma धरती को मिलने को तरसी है