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laxman dawani
White 1222 1222 1222 1222 मिलो जब तुम मुझ तो मेरे बाहों में चले आना करूँ जब याद मै तुमको निगाहों में चले आना सताये तुम्हे जब ये गम ज़माने के मेरे हमदम बिना संकोच के मेरी पनाहों में चले आना तड़फता है मेरा दिल भी जुदाई में तेरी जाना करूँ जब मैं गुहारें मेरे फरयादों में चले आना सदाएँ तो निकलती ही नहीं दिल से सनम मेरे उठाऊँ हाथ जब मैं तुम दुआओं मै चले आना जफ़ा ही है मिली हमको मुहब्बत में ज़माने से निभाके तुम मुहब्बत कोवफाओं में चले आना हवा भी दे रही ताने तेरी खुशबू के खोने का महकअपनी बसानेको फिजाओं में चले आना ( लक्ष्मण दावानी ✍ ) 10/4/2017 ©laxman dawani #sad_shayari #Love #Life #romance #Poetry #gazal #experience #poem #Poet #Knowledge
laxman dawani
White 2122 1212 22/112 कर गया धोखे जो वफ़ाओं में याद है आज भी दुआओं में क्या सुनाऊँ में दास्ताँ अपनी लुट गया हुस्न की अदाओं में दोष दूँ में किसे यहाँ पर अब ढूँढते रहता हूँ खताओं में गम नहीं होते ज़िन्दगी में ये गर गुजरती तेरे पनाहों में हुई जब भी अजाब की बारिश दर्द रिस्ता मिला कराहों में देख नज़रों से खुद को मेरे भी कौन है मेरी इन निगाहों में ( लक्ष्मण दावानी ✍ ) 8/4/2017 ©laxman dawani #flowers #Love #Life #romance #Poetry #gazal #experience #poem #Poet #Knowledge
laxman dawani
White 221 2121 1221 212 दिल दर्दे मोहब्बत से परेशान है बहुत इस इश्क - ऐ - वफ़ा में इम्तहान है बहुत नजदीकियाँ बेकार अगर दिल में घर नही फिर वैसे तो ज़माने में पहचान है बहुत इल्मो अदब के सारे खजाने गुज़र गए इन्सान इस ज़माने में बेईमान है बहुत कागज से रोज करते है तेरी शिकायतें दिल मोहब्बत में तेरे ये नादान है बहुत वो रोज़ ज़ख्म दिल पे नया देते है मेरे वो मेरे दिल - ऐ - दर्द से अंजान है बहुत ये रुके - रुके आँसु , दबी हुई आहें ये खामोश साहिलो पे ये तूफान है बहुत ( लक्ष्मण दावानी ✍ ) 7/4/2017 ©laxman dawani #Emotional_Shayari #Love #Life #romance #gazal #experience #Poetry #poem #Knowledge #Poet
laxman dawani
White 212 212 212 212 गैर को तुम न अपना बताया करो राज दिल में न अपने छुपाया करो छु लिया रूह को तुमने मेरी सनम पास अपने हमें भी बिठाया करो रूह , जाँ , ओ जिगर प्यासे है प्यार के बारिशों में भिगाया करो इक नज़र में मुहब्बत हुई तुमसे है अबनज़र तो न हमसे चुराया करो प्यास बुझती नहीं दूर से अब मेरी जाम अपने लबो के पिलाया करो लग गई है दुआआज किसकी हमें कह रहे पास आ मुस्कराया करो ( लक्ष्मण दावानी ✍ ) 6/4/2017 ©laxman dawani #Smile #Love #Life #romance #Poetry #gazal #experience #poem #Poet #Knowledge
laxman dawani
White 221 2121 1221 212 ता उम्र बस तेरा मैं तलबगार ही रहा कहला के बेवफा भी वफादार ही रहा इस मौन में दबी हुई है सिसकियाँ मेरी गुम नामियों के गार में खुद्दार ही रहा कैसे करूँ में शिक्वे तेरी बेवफाई के दिल में मेरे तेरे लिए बस प्यार ही रहा तन्हाईयाँ ये हमको डराती है आज भी बिन तेरे में हमेशा से लाचार ही रहा सौदा कभी किया नहीं यादों ने तेरे भी बस इनके इर्द गिर्द ये संसार ही रहा तुम साथ तो निभा न सके दो कदम मेरा हर राह पर तेरा हमें इंतजार ही रहा ( लक्ष्मण दावानी ✍ ) 26/3/2017 ©laxman dawani #sad_shayari #Love #Life #romance #Poetry #gazal #experience #poem #Poet #Knowledge
शायरा माही (पहाड़ी छोरी)
किसी को भी तेरी जरूरत नहीं है भलाई जमाने की फितरत नहीं है न होना खफा तुम परिंदों से हरगिज उन्हें लौट आने की आदत नहीं है हुआ यूं सवेरा खिला घर ये मेरा न पंछी वो आया तो हैरत नहीं है। रहे जो हमेशा से दिल में समाए यूं अब तो किसी को भी फुर्सत नहीं है। जहर तो उगलना जमाने ने अब तो कि दें साथ उनका हिमाकत नहीं है। यूं आंखे चुराना बहाने बनाना तो बोलो भला ये शरारत नहीं है। ©शायरा माही (पहाड़ी छोरी) #oddone #gazal#nojotofamily #gazal#life Sherni Aj stories,,, Kundan Dubey
Dr Nutan Sharma Naval
ग़ज़ल जब भी उसका दिल करता है वो रूठ जाता है। हमें कैसे पता होगा,वो कहां कुछ बताता है। कहता है हम खुद ही समझ लें हर बात उसकी। बस इशारों इशारों में ही सब जताता है। एक आदत है उसकी जो बहुत अच्छी है। बिना बोले मेरे कुछ भी सब समझ जाता है। अभी तक एक दफा ही मिला है वो मुझसे। अब न मिलता है और न बहाने बनाता है। दूरियों ने शायद दूरियां बढ़ा दी है अब। ये कमबख्त दिल है कहां समझ पाता है। ©Dr Nutan Sharma Naval #gazal
Jashvant
मेरी आँखों को बख़्शे हैं आँसू दिल को दाग़-ए-अलम दे गए हैं इस इनायत पे क़ुर्बान जाऊँ प्यार माँगा था ग़म दे गए हैं देने आए थे हम को तसल्ली वो तसल्ली तो क्या हम को देते तोड़ कर का'बा-ए-दिल हमारा हसरतों के सनम दे गए हैं दिल तड़पता है फ़रियाद कर के आँख डरती है आँसू बहा के ऐसी उल्फ़त से वो जाते जाते मुझ को अपनी क़सम दे गए हैं मर्हबा मय-कशों का मुक़द्दर अब तो पीना इबादत है 'अनवर' आज रिंदों को पीने की दावत वाइ'ज़-ए-मोहतरम दे गए हैं ©Jashvant Gazal