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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मनहरण घनाक्षरी :- साथ-साथ चले हम , रहे नही कोई गम , बीती सारी बातें अब , तुम भी बिसारिये । चाँद सी है महबूबा , सब देख-देख डूबा , आप भी एक नज़ #कविता

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White मनहरण घनाक्षरी :- साथ-साथ चले हम , रहे नही कोई गम ,
बीती सारी बातें अब , तुम भी बिसारिये ।
चाँद सी है महबूबा , सब देख-देख डूबा ,
आप भी एक नज़र , इधर निहारिये ।
बात कहूँ लाख टका , जब-जब तुम्हें तका ,
दिल कहे एक बार , आप भी पुकारिये ।
रूप है सलोना यह, दिल न खिलौना यह,
बात मेरी मानकर , प्रीत से सँवारिये ।


महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :- साथ-साथ चले हम , रहे नही कोई गम ,
बीती सारी बातें अब , तुम भी बिसारिये ।
चाँद सी है महबूबा , सब देख-देख डूबा ,
आप भी एक नज़

Mehfuza

#boatclub मैं तो बस खिलौना था उसका दिल बहलाने को, उसका दिल बहल गया तो उसने मुझे बक्से में बंद कर दूर फेंक दिया। #कविता

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मैं तो बस खिलौना था उसका दिल बहलाने को, 
उसका दिल बहल गया तो उसने मुझे बक्से में बंद कर दूर फेंक दिया।

©Mehfuza #boatclub मैं तो बस खिलौना था उसका दिल बहलाने को, 
उसका दिल बहल गया तो उसने मुझे बक्से में बंद कर दूर फेंक दिया।

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल किसी के प्यार का दीपक जलाता आज भी हूँ मैं । वफ़ा करके भी उससे क्यों जुदा सा आज भी हूँ मैं ।।१ बुझाना चाहता हूँ मैं वफ़ा का आज वह दीपक । म #शायरी

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Blue Moon ग़ज़ल
किसी के प्यार का दीपक जलाता आज भी हूँ मैं ।
वफ़ा करके भी उससे क्यों जुदा सा आज भी हूँ मैं ।।१

बुझाना चाहता हूँ मैं वफ़ा का आज वह दीपक ।
मगर मजबूर हूँ उनका ठिकाना आज भी हूँ मैं।।२

मिलेंगे वो गली में तो बदल मैं  रास्ता दूँगा ।
खबर ही थी नहीं ये की निशाना आज भी हूँ मैं ।।३

न जाने क्यूँ कदम मेरे खिचें यूँ ही चले जाते ।
कोई बतला  मुझे ये दे मिटा क्या आज भी हूँ मैं ।।४

जुदा होकर भी उनसे क्या कहूँ दिल की तमन्ना को 
 दिया सा राह में ये दिल जलाता आज भी हूँ मैं ।।५

खिलौना वह समझकर जिस तरह मुझ से यहाँ खेलें ।
उन्हीं से यार अब रिश्ता निभाता आज भी हूँ मैं ।।६

सुना दो तुम प्रखर अब तो खबर उस बेवफ़ा की कुछ ।
यहाँ जिसके लिए आसूँ बहाता आज भी हूँ मैं ।।७
१६/०३/२०२४       -     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल
किसी के प्यार का दीपक जलाता आज भी हूँ मैं ।
वफ़ा करके भी उससे क्यों जुदा सा आज भी हूँ मैं ।।१

बुझाना चाहता हूँ मैं वफ़ा का आज वह दीपक ।
म

Rameshkumar Mehra Mehra

# लोग बनते गए,और हम बनते गए,कभी खिलौना,कभी तमाशा,तो कभी बेबकूफ... #Quotes

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N S Yadav GoldMine

#achievement {Bolo Ji Radhey Radhey} कितने अजीब हैं , ये जमाने के लोग या बन गए है, खिलौना छोड़ कर, जजबातों से खेलते है !! #ज़िन्दगी

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author lucky

#आओ बंदूक चलाना सीखें #Funny #toy #खिलौना #जानकारी

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Ak.writer_2.0

मिल लूंगा तेरे बच्चों से भी पर मै कौन हूं..... तू उनको क्या बताएगा.... और खेलने देना उनको मेरे साथ.. शायद माँ का खिलौना Anshu writer S #Shayari

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