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Radheshyam
रास रचाएँ, मोहन रसिया मेरा मन, मन बसिया, हैं मेरा सांवरिया पूनम की रात में, चांदनी हैं बात में बनसी बजाएं सांवरिया.... गवालिन, गोपिन दूर-दूर से धुन बनसी सुन, चली-चली आए नाचे, बजाए मोहन संग सब प्रेम गीत गाए, राधा भी धुन सुन के आए, पत्ता-पत्ता इस मधुबन का, नाच रहा हैं मोहन मन का, थिरक रहें हैं फूल यहाँ के, नाच रहे सब मोहन मन का, भूल गए सारी बातें, एक हुए पास आते राधा श्याम की हो गई, कैसे समझ ना पाते, एक हुए पास आते.... ©Divyanshi Triguna "Radhika" #NojotoHindi #मोहन रसिया
प्रकाश साळवी
चोचीत घास देताना आईची भूक जाते कुठे? बाळाचे पोट भरले की आई कशी ढेकर देते ! ** प्रकाश साळवी आई ! मग ती पक्षाची का असेना आईच असतें
Deepanjali Patel (DAMS)
होली का है त्यौहार आया, भर कर पिचकारी, देखो गोविंद आया, भोली-सी है वृषभान दुलारी, उनको रंगने, देखो हमारा छलिया आया, प्यारी किशोरी जू ने फिर लठ उठाया, भगा-भगा कर फिर सब ग्वालों को खूब दौड़ाया, हाथ न उनके पर गोपाला आया, बांध के फेटा, फिर गोविंद ने धमाल मचाया, फूलों की पिचकारी लेकर, बांध कमर में बंसी लाया, प्रेम रंग की लीला कर, सबको प्रेम रंग में डुबोने आया, ढूँढ-ढूँढ फिर सब सखियन को गुलाल लगाया, नटखट मेरे कान्हा ने अपनी राधा संग ये त्यौहार मनाया।। ।।राधे-राधे।। ।।होली के रसिया की जय।। ।।नन्दकिशोर-वृषभान दुलारी की जय।। ©dpDAMS #Colors ।।होली के रसिया की जय।।
Rajpoot Naman singh
आज अवध में गली -गली कुछ ऐसी रंग बिरंगी, दशरथतनय लिए पिचकारी नगर हुआ हुडदंगी। पूंछो तो रघुराई से कि रगं चढा यह कैसा? पीतांबर जो अमलतास सो मुख हो टेसू जैसे। नील पीत औ' लाल हरित सा अंबर और अबीरा। राम बजावै ढोल ताल दे और लखन मंजीरा ।। वैसे तौ खेलें सब होरी पर आगे रघुवीरा। चारों ओर गूंज हैं बम- बम, जोगीरा- जोगीरा। । ©Rajpoot Naman singh अवध में होली रे रसिया #holi2021
Sooraj Garg
तेरे इंतजार में नित बरसे ये अंखियां तेरी बोली सुनने को तरसे ये कनिया जल्दी आजा जल्दी आजा अब तू ओ मेरे मन बसिया मेरे रंग रसिया ©Sooraj Garg ओ मेरे मन बसिया ओ रंग रसिया
BANDHETIYA OFFICIAL
रसिया, रसिया नहीं, उकेरे न ऐसी कोई तस्वीर, जैसी इक तहरीर- खोये दे मानवता, नहीं खुद में नैतिकता, नहीं रस-रसायन कोई, भौतिकता, प्रतिष्ठा भौतिक, भौतिक जो साधन,धरा- खाली-खाली पे अधिकार, भूत तो होंगे ये पल, इतिहास बनेंगे कल जा, याद दिलायेंगे आ-आ, अब ही मरी थी मनुजता, जगी थी विभत्स दनुजता। मर रसिया, ऐसे रसिक ! ©BANDHETIYA OFFICIAL रसिया सही उच्चारण है क्या? RUSSIA ? #Drown