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GANESH EDITZ
Gandu generation
AJAY NAYAK
आ रहा है फिर से वही सर्द दिसंबर का महिना जिसकी ठंड एक बार फिर से पुराने जख्मों को कुरेद कुरेद कर, ठंड की भट्टी पर हरा करेगा! जिन जख्मों को कैसे भी करके हमने भरा था वे ज़ख्म एक बार फिर से हमे उसी दुनिया की सैर कराएगा जिनसे कैसे भी तो पार पाया था! –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #Winter आ रहा है फिर से वही सर्द दिसंबर का महिना जिसकी ठंड एक बार फिर से पुराने जख्मों को कुरेद कुरेद कर, ठंड की भट्टी पर हरा करेगा! जिन ज
Prakash writer05
ए अम्मा! साँझ को टिरेन पकड़नी है! इस्टेसन दूर है, तो अभई निकल रहे हैं! बलउ के टेक्टर से चले जाएंगे! थोड़ी पहले निकल रहे हैं, जानते हैं न, की जब हम झोला टांगते है तुम्हरे सामने तो लगती हो रोने, फिर टिरेन में यात्रा और मुश्किल लगने लगती है! आलू के सब्ज़ी और 7 रोटी बना के बाँध लिए हैं, थोड़ा चना और गुड भी रखे हैं! बाहर नलके से पानी भर लेंगे! डाक्टर से दवाई ला दिए हैं, रसोई वाले ताखा पर है, उठा लेना नहीं तो सिता जायेगी! और समय समय से खाना भी है! गोली सफ़ेद वाली, खाली पेट सुबह! बाकी की संतरी रंग और चौकोर वाली सुभे साम! तुम्हारा कपड़ा धो के पसार दिए हैं! शाम को जागना तो उठा लेना! बाबूजी सुबह किराया भाड़ा दे दिए थे, तो उसका टेंसन न लेना! उनको कह दिए थे की निकल जाएंगे दुपहर में! बाकी खाता में पइसा पड़ा है, काम चल जाएगा इस महीने! मोटकी रजाई घाम दिखा के बड़के बक्सा में, और तुम्हारे सारे सुइटर बाबूजी के सुइटर भी उसमें ही रखे हैं! शाल दुशाला सब साफ़ है! निकाल के ओढ़ पहिन लेना! तुम्हारी जूती मोची से सिलवाय लाये थे! वहीँ आँगन में पन्नी में लपेट के रखे हैं! खाना बनाना हो तभी उतारना! नहीं तो पहनी रखना! गैस भरा दिये 3 महिना तक चली, 10 किलो शीशम की लकड़ी चीर ऊपर कमरे में रख दिए हैं! भगेलू को 5 10 रूपया दे के उतरवा लेना! तुम्हारे फोन में 239 रुपया का रिचार्ज करवा दिए हैं, जब मन करे फोन घुमा लेना! और रोना मत, खाना पीना समय से खाना! जल्दी नौकरी से लौटेंगे! तुम्हारे जागने तक हम टिरेन में बइठ गए रहेंगे! तो ख़त पढ़ के एक आँसू मत रोना! पैर छुए हैं, आसिरबाद भेज देना! ~ तुम्हारे बेटे//लल्ला/करेजा का टुकड़ा! ©Prakash writer05 #ए अम्मा! साँझ को टिरेन पकड़नी है! इस्टेसन दूर है, तो अभई निकल रहे हैं! बलउ के टेक्टर से चले जाएंगे! थोड़ी पहले निकल रहे हैं, जानते हैं न, की
Nisheeth pandey
हाय रे पानी पानी रे पानी आकाश में भी तू , धरती पे भी तू , पाताल में भी तू जाने कितनों को सजीव किये जाने कितनों को डुबो खाये पानी रे पानी कहीं घर उजाड़े कहीं खेत उजाड़े आसमान से बरसे पानी कहीं कपड़ा वपडा,बर्तन बासन गरीब के मोल डुबाये कैसा है ये पानी है बाढ़ पर अड़े मोल-भाव बाढ़ न करें हाय रे पानी पानी रे पानी कभी कंठ सूखने का महिना आए तब एक गिलास पानी का भी है दाम लगाए बिकने लगे बोतल में पानी साला पानी में भी मिलावट को है पाया भोली जनता कहाँ कहाँ न ठगाए हाय रे पानी पानी रे पानी कभी सूखाती प्यास कभी बुझाती स्वास हम सबकी शामत आयी चहुँ ओर धरती पर छायी पानी रे पानी जिधर निकले उधर पानी न नैया न पतवार प्रकृति ने दी कैसा भ्रम जाल कहीं मृगतृष्णा कहीं पानी का अथाह सागर दोनों बुझा न पाए कण्ठ प्यास पानी रे पानी पानी रे पानी .. तू रक्षक भी तू भक्षक भी तेरे बगैर शरीर नहीं तू हरती पल में साँस भी पानी रे पानी पानी पानी ....... #निशीथ ©Nisheeth pandey हाय रे पानी पानी रे पानी आकाश में भी तू , धरती पे भी तू , पाताल में भी तू जाने कितनों को सजीव किये जाने कितनों को डुबो खाये पानी रे पानी
Sunil Zarikar
मला तुला काहीतरी सांगायचं आहे.. आपल्या भविष्याच्या सुखासाठी थोडेसे पैसे कमवण्यात थोडा व्यस्त आहे.. पण खरच तुला विसरलो नाहीये.. माझ सर्व सुख तुझ्यातच आहे.. तुझ्याशिवाय या आयुष्याला अर्थ काय आहे.. माझ्यामुळे कधी कधी तुला त्रास होतो, हे मला माहित आहे.. तुझ्याशिवाय माझा दिवस कसा जातो, हे फक्त मलाच माहीत आहे.. माझ्या जीवनात आनंद खर तर तुझ्यामुळेच आहे.. प्रेम काय असत हे तुझ्यामुळेच शिकलो आहे.. मित्रानों💕 कसे आहात? मी परत हजर आहे माझ्या रोजच्या वेळेवर तुमच्यासाठी नवीन विषय घेऊन. हल्ली आमच्या विषयामुळे तुम्हाला ही प्रेमाचा महिना आला
Sunil Zarikar
प्रेम हे प्रेम असतं.. प्रेमात दोघांनाही हे जग खुप आनंदी वाटतं.. न बोलता दोघांनी एकमेकांवरील प्रेम ओळखयचं असतं.. कधी सुख तर कधी दुःख असतं.. कधी हसता हसता रडायच, तर कधी रडता रडता हसायच असतं.. प्रेमात हे आयुष्य खरच खुप सुंदर असतं.. लेखकानों💕 प्रेमाची परिभाषा सर्वांची वेगळी असते. प्रेमाचा महिना आलाय कुणाबद्दल प्रेमाची भावना असेल तर ते व्यक्त करा. प्रेम करा,व्यक्त होत राह
Sunil Zarikar
कोणीतरी आपलं असाव अस भासलं.. क्षणभर माझं ह्रदय तु थांबवलं.. तुझ्या चोरून पाहण्याने तुही माझ्यावर प्रेम करते हे सांगीतलं.. "आज मी कशी दिसतेय" हे तुझ्या बांगड्यांनी विचारलं.. तुझ्या पैंजणांच्या आवाजाने माझ मन तुझ्याकडे अधिकच ओढावलं.. फक्त तुझ्याचसाठीच माझं प्रेम या कवितेत उतरवलं.. लेखकानों💕 प्रेमाचा महिना सुरु झालाय चला तर मग आज आम्हाला ते क्षण सांगा जेव्हा तुम्ही तिला किंवा त्याला पहिल्यांदा बघितल... सुंदर रचना करा.💕