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Arora PR
White शोरशराबे और चहल पहल वाले इस शहर की सड़को पर न जाने इतनी ख़ामोशी क्यों छाई हुई है लगता है शहर में बड़ा हादसा या दंगा फसाद हुआ है और लोग भयभीत होकर घरो में छुप कर बैठ गए है ©Arora PR डर
डर #कविता
read moreSapna Meena
White अबकी बार 400 पार या फिर गठबंधन सरकार। मोदी का उतरे का मुखौटा या फिर पहनेगा जीत का हार। केजरीवाली या कन्हैया या मनोज तिवारी होगा यमुना पार। कांग्रेस और आम आदमी के लड़ गए नैना बीजेपी रह गई बिन प्यार। अबकी बार 400 पार,या फिर गठबंधन सरकार। ©Sapna Meena #car चुनाव 2024 पर कविता
Ramnik
आज हमनें डर से मुलाकात कर ली। उसके दर पे या आंखो में आंखो डाल बात कर ली। यूंही बैठे थे सहमे से, आज दरिया से ही खुद के लिए गुजारिश करली। बात तो कोई बड़ी नही थी, कुछ इतने भी डरावने हालात ना थे, ना जाने क्यों बेवजह अनमोल घडिया बर्बाद कर ली। ©Ramnik #डर से आजादी#
#डर से आजादी#
read moreKuldeep Singh
क्यों पास आ रही हो, जब दूर ही जाना है। क्या हँसता हुआ अच्छा नहीं लगता मै।। कुलदीप सिंह खोने का डर #darr
Bulbul varshney
कभी-कभी डर लगता है की जो हमारे दिल के सबसे ज्यादा करीब हैं कहीं वो हमसे दूर ना हो जाए हमारे और करीब आने की वजह हमसे और दूर ना हो जाए। ©Bulbul varshney #डर कभी-कभी डर लगता है।
#डर कभी-कभी डर लगता है। #मोटिवेशनल
read moreAnuj Ray
White दुनिया के दर से " वक्त बे वक्त उठे क़दम, अक्सर नादानियां में बहक ही जाते हैं। कभी टुकड़ों में कभी लाशों में, सही सलामत घर को लौट कहां पातें हैं। बिना आशीष के घर बसते नहीं देखे, लोग पागल हैं जो शादियां रचाते हैं। अगर बच्ची है धरोहर ,विवाह के पवित्र बंधन की तो, सिर्फ़ दुनिया के दर से। ©Anuj Ray # दुनिया के डर से "
# दुनिया के डर से " #शायरी
read moreShiv gopal awasthi
ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए, भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए। पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई, लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए। बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी, सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए। उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं, दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए। थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने। चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए। कवि-शिव गोपाल अवस्थी ©Shiv gopal awasthi कविता
कविता #शायरी
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