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#PassG Comedy king

#GoodMorning ए नसीब जरा एक बात तो बता, तू सबको आज़माता है या मुझसे ही दुश्मनी है।।#Passg #शायरी

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Bachan Manikpuri

दुश्मनी की भावना #Motivational

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Bitterone_me

जवानी से अच्छा
बचपन हुआ करता था;
जहाॅं दुश्मनी सिर्फ़
एक कट्टी हुआ करती थी...

©Bitterone_me #जवानी #बचपन #दुश्मनी #कट्टी #यार #दोस्त #viral #Popular #bitteroneme

Cricket

RCB vs KKR गले लगकर कोहली- गंभीर ने की 'विराट' दुश्मनी खत्म #gautamgambhir #ViratKohli #IPL2024 #RCBVSKKR #hunarbaaz

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- हर तरफ़ है बहार होली में । दिल को आया करार होली में ।।१ देखकर जो बदलते थे रस्ता । #शायरी

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Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. ग़ज़ल :-
हर तरफ़ है बहार होली में ।
दिल को आया करार होली में ।।१
देखकर जो बदलते थे रस्ता ।
वो भी आयें हैं द्वार होली में ।।२
इस तरह अब वफ़ा करो हमसे ।
हो जाऊँ मैं बीमार होली में ।।३
आप ऐसे अगर हमें चाहें ।
जान भी दूँगा वार होली में ।४
दुश्मनी भूल अब सभी जाए ।
रब से करता पुकार होली में ।।५
पी लिया भंग आज भी जिसने ।
बरसा उनपे ही प्यार होली में ।।६
हाथ में हाथ तुम प्रखर देना ।
तो करूँ इंतजार होली में ।।७
२५/०३/२०२४   -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-

हर तरफ़ है बहार होली में ।

दिल को आया करार होली में ।।१


देखकर जो बदलते थे रस्ता ।

Ganesh joshi

Holi चलो आज हम बरसों पुरानी अपनी दुश्मनी भुला दें। कई होलियां सूखी गुजर गई इस होली पर आपस में रंग लगा लें। holikadahan holihai holi2024

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- घर में ही पुन्य कमाने के लिए रहता हूँ । माँ के मैं पाँव दबाने के लिए रहता हूँ ।। दुश्मनी दिल से मिटाने के लिए रहता हूँ । धूल में फूल #शायरी

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ग़ज़ल :-
घर में ही पुन्य कमाने के लिए रहता हूँ ।
माँ के मैं पाँव दबाने के लिए रहता हूँ ।।

दुश्मनी दिल से मिटाने के लिए रहता हूँ ।
धूल में फूल खिलाने के लिए रहता हूँ ।।

शहर में मैं नही जाता कमाने को पैसे ।
हाथ बापू का  बटाने के लिए रहता हूँ ।।

जानता हूँ दूरियों से खत्म होगें रिश्ते ।
मैं उन्हें आज बचाने के लिए रहता हूँ ।।

हर जगह जल रहे देखो आस्था के दीपक ।
मैं उन्हीं में घी बढ़ाने के लिए रहता हूँ ।।

कितने कमजोर हुए हैं आजकल के रिश्ते ।
उनको आईना दिखाने के लिए रहता हूँ ।।

कुछ न मिलता है प्रखर आज यहाँ पे हमको ।
फिर भी इनको मैं हँसाने के लिए रहता हूँ ।
११/०३/२०२४    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-
घर में ही पुन्य कमाने के लिए रहता हूँ ।
माँ के मैं पाँव दबाने के लिए रहता हूँ ।।

दुश्मनी दिल से मिटाने के लिए रहता हूँ ।
धूल में फूल
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