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Kumar Deprive
सुबह-सुबह अभी उंघ रहे थे उसकी आवाज कानों से टकराई कितना सोते हो आजकल देखो कितनी धूप निकल आई कुछ फिक्र कर लो गांव शहर की सिर्फ लेते रहते हो अंगड़ाई दुनिया बदल रही है तेजी से पर तुम कब बदललोगे भाई माता पिता के भाग्य बदलने आए हो पर छोड़ नहीं रहे चारपाई कभी तो निकालो कॉपी-किताब उस पर धूल की परत जम आई याद है कब गए थे कॉलेज अभी तक आई कार्ड है बनवाई नौकरियां खत्म हो रही है जब से नई निजाम है आई फिर भी क्यों नहीं सुधर रहे हो कहीं तो किस्मत होती अजमाई शायद तुम्हारी तकदीर बदल जाए बंद हो जाए जग हंसाई कब तक पड़े रहोगे बिस्तर पर कुछ करो तुम्हारी भी हो बड़ाई जब समय निकल जाएगा बंद नहीं होगी तुम्हारी रुलाई सफलता उसे ही मिलती है जाके पांव फटे बवाई मान लो बात गौतम की इसी में है तुम्हारी भलाई!!! गौतम द गेम चेंजर कब जागोगे भाई
Azad
ये अंधेरा, ये सुबह होती रहेगी हर रोज! कि देखते है, कि तुम किस दिन जागोगे!! 💫— % & कि देखते है कि तुम किस दिन जागोगे!! 💫 #हाँमैंआज़ाद्हूँ 🦋 #yqbaba 🌱 #yqdidi #life #morning #love #inspiration #motivation
Prabhat Ranjan
📑 स्वरचित रचना 📑 जब गलतफहमी से जागोगे ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ कितनी मेरी यादों से तुम दूर भागोगे जिस दिन गलतफहमी की नींद से जागोगे वादा है तुमसे मेरी जान फिर से हमारी यादों के पीछे भागोगे मेरे दिए हर वो खुशनुमा पल को अपने सपनों में देखकर फिर से जागोगे फिर वही पल जीने के लिए मेरी यादों में आँसू बहाते बहाते हमारे पीछे दुबारा भागोगे तुम जो बन बैठे हो मेरे प्यार से निष्ठुर अभी हो घमंड में चूर और मगरूर लेकिन गैरों से ठोकर खा कर जब अपनी वहम से जागोगे तो फिर देखना एक दिन तुम नंगे पांव मेरे पीछे-पीछे भागोगे तेरे एक आवाज सुनने के लिए मेरी तरह तुम भी अपना फोन लेकर खेत खलिहान और सुना सड़क की तरफ जी जान लगाकर मेरी तरह बैचेनी से बात करने के लिए हर दिशा में भागोगे जब तुम गलतफहमी की नींद से जागोगे तुम मेरी एक झलक पाने के लिए हर गाँव हर गली हर सड़क और दिन रात मेरे शहर में हर पते पर भागोगे जब तुम अचोक गलतफहमी से जागोगे ✍ प्रभात रंजन ✍ ©Prabhat Ranjan #Health #HeartBreak #br💔ken #embrace #poem #poetry #Missunderstanding #galatfahmi 📑 स्वरचित रचना 📑 जब गलतफहमी से जागोगे ➖➖➖➖➖➖➖➖➖ कितनी म
shayar_dillwala
सो जाओ अब,और कितना जागोगे। हमेशा चलते रहने की कोई जरूरत नहीं, थोड़ा रुक भी लिया करो। थकान को मिटा लो आज रात, तभी तो कल जोर लगाकर भागोगे। सो जाओ अब,और कितना जागोगे। हमेशा चलते रहने की कोई जरूरत नहीं, थोड़ा रुक भी लिया करो। थकान को मिटा लो आज रात, तभी तो कल जोर लगाकर भागोगे।
Sakshi
एक दिन तुम जागोगे पर हम नींद नहीं तोड़ पाएंगे , आँसू तुम्हारे उमड़ेंगे पर उन्हें पोंछने मेरे हाथ नहीं उठ पाएंगे, जी भर के जी लेते हैं हंसते-झगड़ते ,रूठते-मनाते , क्योंकि उसके बाद ना तुम रूठोगे और ना हम मना पाएंगे ।। साक्षी सोनी ©Sakshi Soni एक दिन तुम जागोगे पर हम नींद नहीं तोड़ पाएंगे , आँसू तुम्हारे उमड़ेंगे पर उन्हें पोंछने मेरे हाथ नहीं उठ पाएंगे, जी भर के जी लेते हैं हंसते-झग
Jiten rawat
(Read in Captiin) #बेटी_अब_तुझे_फूलन_बनना_होगा। कितनों को मारेंगे ये,किन- किन को जलाएंगे जिंदा, किसे पता किस बेटी को,अपना शिकार बनाएंगे दरिंदा। कभी निर
Nisheeth pandey
#सफर पाँव में दम है जब तक सफऱ लम्बी और लम्बी बनाऊंगा ..... थमे पाँव जहाँ वहाँ पत्थर पर आग लिख जाऊंगा .... जौहर ज्वाला में घी डालूंगा ,उसको फिर प्रजवलित कर धधकनें दूँगा ... प्रणय की भाषा कागज़ पर लिखूँगा, पत्थरों पर शेरनी दुर्गा की आग लिख जाऊंगा...... उस शेरनी दुर्गा , काली , सीता , लक्ष्मी बाई की शौर्य लिख जाऊंगा .... अबला दुखियारी की भाषा बदलने वाली वह गाथा पत्थरों पे लिख जाऊंगा .... बिंदिया पायल कंगन वाले रति गीत की भवर डुबाते चले गये ..... लूट रही है समर भवानी गली गुचे , चौराहे या किसी फार्म हॉउस में कब जागोगे ...... देवी नहीं सिर्फ तुम शक्ति की आग हो ,मत क्रंदन विलाप करो ...... चढ़ो हवसी शिकारी के वक्षस्थल पर,और सिंह हुंकार भरो ...... वीरांगना तुम अब स्वाभिमान कि शक्ति पहचानो , तुम विश्व शक्ति की ठानो ...... कलाई ममोड सके न कोई तन छू सके न कोई , जैसा अडिग लक्ष्य भर जाऊंगा ..... रक्त नहाया किसी नन्हीं गुड़िया का शव,जाग रहीं है वर्षों से .... फुल की रक्षा का प्रण, फुल के बदन में कांटे जगा जाऊंगा ..... बलात्कारिओं को जेल देने से, गुड़िया की मरी आत्मा को क्या जीवन मिल जाएंगे ..... कंटक से भयभीत हुए तो,सुमन नहीं खिल पाएंगे...... कोई हाथ बढ़े तुम्हारे आबरू की ओर ,कभी न घबराना ..... हाँथ बढ़ने वाले का तुम,शीश काट कर चौराहे पे सज़ाना ...... सुप्त पड़ी अंतःशक्ति को तुम,कहो भवानी अब जागो, गिरो दामिनी बन भेड़िये पर,असि भय त्यागो ...... देखो अबोध मासूस चिड़िया को ,नोंच नोंच कर हवश मिटाते हैं ...... तड़प रही है तुतलाती सिसकियाँ , दरिंदे मौज मनाते हैं ....... खुलेआम चौराहों पर अबलाओं की इज्जत लुट जाती , तब छानबीन का खेल देखो ...... पाक पर्दा पड़ जता गुनाहों पर , अब नोटों का खेल देखो ..... रोज किसी को चीथड़े होने की बारी है आज क्या कल क्या ?..... सुप्त पड़ी नारी शक्ति सुन , खनकते चूड़ियों संग भर सकती हो हुंकार तलवार की क्या ? .... सीना ताने खड़ा भेड़िया , अपराध का उजाला है । हर सीनें में जलती आग पर , न जाने क्यूं अधर पर ताला है ।। पाँव में दम है जब तक सफऱ लम्बी और लम्बी बनाऊंगा ..... थमे पाँव जहाँ वहाँ पत्थर पर आग लिख जाऊंगा .... #निशीथ ©Nisheeth pandey #सफर पाँव में दम है जब तक सफऱ लम्बी और लम्बी बनाऊंगा ..... थमे पाँव जहाँ वहाँ पत्थर पर आग लिख जाऊंगा .... जौहर ज्वाला में घी डालूंगा ,उसक
Kulbhushan Arora
प्रभु जी, विनती सुनो ना Dedicating a #testimonial to द्रष्टा प्रिय (जो भी नाम तुम्हारा), ये कोई टेस्टी vesti nahi है, तुम्हारे माध्यम से एक बात स्पष्ट कर देना चाहत
Nisheeth pandey
#सफर पाँव में दम है जब तक सफऱ लम्बी और लम्बी बनाऊंगा ..... थमे पाँव जहाँ वहाँ पत्थर पर आग लिख जाऊंगा .... जौहर ज्वाला में घी डालूंगा ,उसको फिर प्रजवलित कर धधकनें दूँगा ... प्रणय की भाषा कागज़ पर लिखूँगा, पत्थरों पर शेरनी दुर्गा की आग लिख जाऊंगा...... उस शेरनी दुर्गा , काली , सीता , लक्ष्मी बाई की शौर्य लिख जाऊंगा .... अबला दुखियारी की भाषा बदलने वाली वह गाथा पत्थरों पे लिख जाऊंगा .... बिंदिया पायल कंगन वाले रति गीत की भवर डुबाते चले गये ..... लूट रही है समर भवानी गली गुचे , चौराहे या किसी फार्म हॉउस में कब जागोगे ...... देवी नहीं सिर्फ तुम शक्ति की आग हो ,मत क्रंदन विलाप करो ...... चढ़ो हवसी शिकारी के वक्षस्थल पर,और सिंह हुंकार भरो ...... वीरांगना तुम अब स्वाभिमान कि शक्ति पहचानो , तुम विश्व शक्ति की ठानो ...... कलाई ममोड सके न कोई तन छू सके न कोई , जैसा अडिग लक्ष्य भर जाऊंगा ..... रक्त नहाया किसी नन्हीं गुड़िया का शव,जाग रहीं है वर्षों से .... फुल की रक्षा का प्रण, फुल के बदन में कांटे जगा जाऊंगा ..... बलात्कारिओं को जेल देने से, गुड़िया की मरी आत्मा को क्या जीवन मिल जाएंगे ..... कंटक से भयभीत हुए तो,सुमन नहीं खिल पाएंगे...... कोई हाथ बढ़े तुम्हारे आबरू की ओर ,कभी न घबराना ..... हाँथ बढ़ने वाले का तुम,शीश काट कर चौराहे पे सज़ाना ...... सुप्त पड़ी अंतःशक्ति को तुम,कहो भवानी अब जागो, गिरो दामिनी बन भेड़िये पर,असि भय त्यागो ...... देखो अबोध मासूस चिड़िया को ,नोंच नोंच कर हवश मिटाते हैं ...... तड़प रही है तुतलाती सिसकियाँ , दरिंदे मौज मनाते हैं ....... खुलेआम चौराहों पर अबलाओं की इज्जत लुट जाती , तब छानबीन का खेल देखो ...... पाक पर्दा पड़ जता गुनाहों पर , अब नोटों का खेल देखो ..... रोज किसी को चीथड़े होने की बारी है आज क्या कल क्या ?..... सुप्त पड़ी नारी शक्ति सुन , खनकते चूड़ियों संग भर सकती हो हुंकार तलवार की क्या ? .... सीना ताने खड़ा भेड़िया , अपराध का उजाला है । हर सीनें में जलती आग पर , न जाने क्यूं अधर पर ताला है ।। पाँव में दम है जब तक सफऱ लम्बी और लम्बी बनाऊंगा ..... थमे पाँव जहाँ वहाँ पत्थर पर आग लिख जाऊंगा .... #निशीथ ©Nisheeth pandey #सफर पाँव में दम है जब तक सफऱ लम्बी और लम्बी बनाऊंगा ..... थमे पाँव जहाँ वहाँ पत्थर पर आग लिख जाऊंगा .... जौहर ज्वाला में घी डालूंगा ,उसक