Find the Latest Status about चदरिया झीनी झीनी बीनी from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, चदरिया झीनी झीनी बीनी.
Abhishek 'रैबारि' Gairola
अनावरण तारों की झीनी चुनरिया को सरका कर वह धरती की ओर देखेगा और उसके सीने में अरबों सालों से जो आग धधक रही है उसकी ऊष्मा को अपने चेहरे पर महसूस पाएगा। इसके द्वारा हुई क्षणिक असहजता के फल स्वरुप वो अपना चेहरा विपरीत दिशा में मोड़ लेगा और फिर वही शोणित चेहरा, गर्म रक्त से लपलपाता हुआ फिर से, एक नए दृष्टिकोण से सृजित प्रेम के साथ उसी धरती को निर्विचार निहारेगा। ©Abhishek 'रैबारि' Gairola अनावरण तारों की झीनी चुनरिया को सरका कर वह धरती की ओर देखेगा और उसके सीने में अरबों सालों से जो आग धधक रही है उसकी ऊष्मा को अपने चेहरे पर म
Shivangi
प्रीत का मौसम.... "सावन" अनुशीर्षक में पढ़ें 👇 बदरा छाए, मन भाए, हुई सावन की रिमझिम बरसात दिन बीते रात भी बीती हुई ना पिया से मुलाकात.. हर तरफ हरियाली छाई पड़ गए बगिया में झूले तपन से मि
Shree
झूमते झूले से झूम उठता है... झांझर सी झंकार से थिरकता है... झींगुर की सी झनक से सोया... खोया-खोया झरना झिलमिलाती चांदनी... झंकृत ताल विस्तृत विश्वास झांकी सा... झीनी-झीनी रात झुरमुट शोखियों के... झटक कर झुमके पलक झपकते कमाल... झांकती झक कर झिझक इतराता तन... झमेला इश्क का झड़ी सावन की लगी... झील मौजों की झलक जन्नतों सी, मन मेरे महबूब में महबूब मेरे मन में...! झूमते झूले से झूम उठता है... झांझर सी झंकार से थिरकता है... झींगुर की सी झनक से सोया...
Shree
ऑंखों में नींद का खुमार लिए ख्वाहिशों की झीनी चादर तले चाॅंद-तारों से बातें करते हुए, दो दिल मिले ज्यों ज़मीं-आसमां! ताबीजों में बंद ख्वाबों की ओर दिल देखने चला नया कोई ठौर। फर्क वाजिब सा है, अब जैसे फितूर, हर्फ दर हर्फ कह-लिख अब करें रुबरु! ऑंखों में नींद का खुमार लिए ख्वाहिशों की झीनी चादर तले चाॅंद-तारों से बातें करते हुए, दो दिल मिले ज्यों ज़मीं-आसमां! ताबीजों में बंद ख्वाबो
Abhishek 'रैबारि' Gairola
हलवा घी में भुनती, रेत सी महीम सूजी की मर्म चुम्बन करती, भीमी मीठी सुगंध, संयत निशा समीर पे सवार हो कर अपनी प्रचंड तीक्ष्णता से हर अवरोध तोड़, सघन बाधाओं को भेद, प्रमादित द्वारों के प्रत्यक्ष लापरवाह विवरों से, या झरोखों की झीनी, जंग खाई, कमज़ोर धातुज चादरों से, प्रवेश लेकर, घ्राण के मृदुल नथूनों को गुदगुदाती, सहलाती, निज उर में छितर जाती, कुछ इस मानिंद कि मन मानसरोवर में उत्सव मचा हो जैसे, उपलक्ष में जिसके स्वयं आमोदेश्वर ने मिष्टामृत रचा है आज कोई। ©Abhishek 'रैबारि' Gairola हलवा घी में भुनती, रेत सी महीम सूजी की मर्म चुम्बन करती, भीमी मीठी सुगंध, संयत निशा समीर पे सवार हो कर अपनी प्रचंड तीक्ष्णता से हर अवरोध तो
Poonam Suyal
तेरी मोहब्बत से भरी निगाहें मेरा भी दिल लिए जातीं हैं। मदमस्त मुस्कान तेरी मुझे बेहद लुभाती हैं। ये कैसा जादू हुआ है हम पर तेरा, ओ मेरे साथिया, हर शख़्स में हमें बस तेरी ही तस्वीर नज़र आती है। 🌻लेखन संगी🌻 //मुस्कियाँ// "मुस्कियाँ गूँजती हैं फ़िज़ाओं में जो नि:शब्द कर मिज़ाज,हमें आमिर किए जाते हैं। उफ़्फ़्!! देखती हो तिरछी निगाहों
AK__Alfaaz..
कल, मन के अहाते में, एक बहती शीतल पुरवईया, हौले से आयी, दस्तक देकर, दहलीज पर मेरी, वो स्नेह के, किवाड़ों को खटखटायी, मैंने भी, अलसाई नींद से उठकर, जब किवाड़ खोले, तो..वो पुरवईया, वात्सल्य से मेरा, माथा सहलाकर कानों में, ममता पूर्वक, कुछ फुसफसायी, कल, मन के अहाते में, एक बहती शीतल पुरवईया, हौले से आयी, दस्तक देकर, दहलीज पर मेरी, वो स्नेह के,
AK__Alfaaz..
कल भोर की, उदित होती सिंदूरी किरण के संग, मैने नेह की सुनहरी पोटली मे, सूरज से आती, ममता की धूप को, अपनी झीनी सी, हथेलियों से भर लिया, और.. गले का हार बना लटका लिया, ममत्व की डोरी मे पिरो, कल भोर की, उदित होती सिंदूरी किरण के संग, मैने नेह की सुनहरी पोटली मे, सूरज से आती, ममता की धूप को, अपनी झीनी सी हथेलियों से भर लिया,
AK__Alfaaz..
💠मेरी प्यारी माँसी माँ आपके लिए💠 कल आसमां से, इक दुआओं की पोटली में, सितारों के कुछ टुकड़े, मेरे हृदय की भूमि पर गिरे, मैने पोटली को उठाया, अपने सिरहाने पर रखकर, यादों की बिस्तर पे, आशाओं की इक झीनी सी, चादर ओढ़ सो गया, सोते हुए ख्वाबों की शीतल नदी में, इक चेहरा झिलमिलाया, छूकर जो देखा मैंने, हथेलियाँ खुशियों के सतरंगी, रंगों से भीग गयीं, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे Dedicating a #testimonial to Neetu Sinhaमेरी बेहद बेहद बेहद प्यारी माँसी माँ.. कल आसमां से, इक दुआओं की पोटली में