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Stories related to कांग्रेस छाया वर्मा

नवनीत ठाकुर

#षड्यंत्रों की छाया हर दिल पर भारी, भ्रष्टाचार की चादर ने लूट ली जिम्मेदारी। शोषण के जख्म चीखते हैं बेआवाज़, जुर्म के मंजर बन गए रोज़ का आगा

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White षड्यंत्रों की छाया हर दिल पर भारी,
भ्रष्टाचार की चादर ने लूट ली जिम्मेदारी।
शोषण के जख्म चीखते हैं बेआवाज़,
जुर्म के मंजर बन गए रोज़ का आगाज़।

अपहरण के धंधे अब आम हो गए,
अपराधी खुलेआम इनाम हो गए।
छेड़छाड़ के ज़ख्म लहू-लुहान हैं,
इंसाफ के मंदिर खुद बदगुमान हैं।

यह कैसी सभ्यता, यह कैसी रवायत?
जहां जुर्म को मिलती है हर इक सहायत।

©नवनीत ठाकुर #षड्यंत्रों की छाया हर दिल पर भारी,
भ्रष्टाचार की चादर ने लूट ली जिम्मेदारी।
शोषण के जख्म चीखते हैं बेआवाज़,
जुर्म के मंजर बन गए रोज़ का आगा

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर संयोग की साजिश नहीं, ये है मेरे कर्म की चाल, हर दास्तां में बयां हुआ मेरा ही हाल। जो गलत हुआ, उसमें किस्मत का नहीं कोई हाथ न कोई

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White संयोग की साजिश नहीं, 
ये है मेरे कर्म की चाल,
हर दास्तां में बयां हुआ, मेरा ही हाल।
जो गलत हुआ, 
उसमें किस्मत का नहीं कोई हाथ न कोई कसूर,
सारी ज़िम्मेदारी लेता हूं मैं अपने सर, 
चाहे हो आकाश या धरती का दूर।
जो गलती हुईं, 
वो अक्स थी मेरी ही रचना की,
पर जो कुछ मिला अच्छा, 
वो है सिर्फ छाया किस्मत की।।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर
संयोग की साजिश नहीं, ये है मेरे कर्म की चाल,
हर दास्तां में बयां हुआ मेरा ही हाल।
जो गलत हुआ, उसमें किस्मत का नहीं कोई हाथ न कोई

Jansurajharnaut

राहुल गांधी को इतना घमंड है कि राष्ट्रपति जी का अभिवादन तक नहीं किया। सिर्फ इसलिए क्योंकि वो जनजातीय समाज से आती हैं, महिला हैं और राहुल गां

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Arjun Singh Rathoud #Gwalior City

शाम की छोटी कविताएँ यहाँ कुछ छोटी-छोटी कविताएँ हैं जो शाम के माहौल को बयां करती हैं: * शाम का नजारा: धूप छिपी, छाया फैली, चिड़ियों की

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शाम की छोटी कविताएँ
यहाँ कुछ छोटी-छोटी कविताएँ हैं जो शाम के माहौल को बयां करती हैं:
 * शाम का नजारा:
   धूप छिपी, छाया फैली,
   चिड़ियों की चहचहाट थमी।
   आकाश रंग बदलता,
   शाम आई, मन को भाती।
 * संध्या का समय:
   आज का दिन हुआ समाप्त,
   तारे निकले, चाँद आया।
   हवा चलती, शीतल लगती,
   मन शांत, आनंद भरा।
 * शाम की यादें:
   बचपन की शामें याद आतीं,
   दोस्तों संग खेलते थे।
   खेतों में दौड़ते फिरते,
   खुशी से मन भर जाता।✍️✍️🙏💯😍

©Arjun Singh Rathoud #Gwalior City शाम की छोटी कविताएँ
यहाँ कुछ छोटी-छोटी कविताएँ हैं जो शाम के माहौल को बयां करती हैं:
 * शाम का नजारा:
   धूप छिपी, छाया फैली,
   चिड़ियों की

संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु

स्वलिखित हिन्दी रचना संस्कृत अनुवाद सहित अनुवाद सहित शीर्षक सच्चा अनुभव . . विधा गहन विचार .

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Rakesh frnds4ever

#काश ,,,,,, !!!!!!! #कभी जो #तुम मेरी होती ,,,,,,,,,,,,तो,,,,,,,,,,, #होली ना मेरी बेरंगी/फीकी होती

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Kuldeep KumarAUE

#Sad_Status सबके पास समय है धर्म और जाति पर बात करने के लिए कांग्रेस और भाजपा पर बहस करने के लिए अपनों से बात करने का समय नहीं है किसी क

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White सबके पास समय है 
धर्म और जाति पर बात करने के लिए 
कांग्रेस और भाजपा पर बहस करने के लिए 
अपनों से बात करने का समय नहीं है 
किसी के पास

©Kuldeep KumarAUE #Sad_Status सबके पास समय है 
धर्म और जाति पर बात करने के लिए 
कांग्रेस और भाजपा पर बहस करने के लिए 
अपनों से बात करने का समय नहीं है 
किसी क
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