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हिमांशु Kulshreshtha
नहीं जानता क्या रिश्ता है मेरी रूह से तुम्हारी रूह का जो भी है ये, मगर खूब है ये अधूरा सा रिश्ता हमारा तन के रिश्ते, ना थे पहचान कभी मेरे इश्क की…. रूहों के मिलन से से होगा नायाब ये अधूरा सा रिश्ता हमारा ©हिमांशु Kulshreshtha क्या रिश्ता है..
क्या रिश्ता है..
read moreF M POETRY
White करूँ तारीफ़ क्या तेरी तू इतनी खूबसूरत है.. तू शहज़ादी है रानी है तेरी सूरत सुहानी है.. यूसुफ़ आर खान.... ©F M POETRY #तू शहज़ादी है रानी है.....
#तू शहज़ादी है रानी है.....
read moreSANIR SINGNORI
'जानी' पागल क्यूं हो गया तू... एक ही शख़्स था जहां में क्या..🥀 . ©SANIR SINGNORI 'जानी' पागल क्यूं हो गया तू... एक ही शख़्स था जहां में क्या..🥀
'जानी' पागल क्यूं हो गया तू... एक ही शख़्स था जहां में क्या..🥀
read moreमिहिर
White ये क्या पूछा ये बिंदी कैसी लगती ये साड़ी कैसी दिखती है ये काजल ठीक तो लगते है ना ! जो सच पूछो तो ये जचना खिलना मत पूछो तुम बिंदी पर जँचती हो तुम साड़ी पर खिलती हो तुम काजल से तीखी हो तुम सोने से ज्यादा चमकती हो तेरे होने से इनका होना है तू हंसती है तो ये सोना है तेरे आगे इनका क्या मोल अरे ओ बावली तू क्या जाने तू अनमोल !! ©मिहिर #तू क्या जाने
#तू क्या जाने
read moreseema patidar
White तुम्हें क्या हुआ? कुछ नही! ये कुछ नहीं कितना छोटा वाक्य है पर ये बहुत विशाल है किसी का कुछ नही विशाल है तो सिर्फ एक सुनने, समझने वाले व्यक्ति के लिए किसी का कुछ नहीं विशाल है तो सिर्फ एक परम मित्र के लिए ये कुछ नहीं तो आसान जरिया है पुनः अपने दुख को न कुरेदने का इस कुछ नही को समझने का पूर्ण हक है तो सिर्फ एक परम मित्र का जो मरहम है इस कुछ नहीं का । ©seema patidar क्या सच में कोई समझ पाता है किसी का ...... कुछ नहीं .......
क्या सच में कोई समझ पाता है किसी का ...... कुछ नहीं .......
read moreनवनीत ठाकुर
वो शौक, वो जोश, वो किस्से पुराने, सब दब गए हैं वक्त के तहखाने में। अब तो जाम भी लगता है बेअसर सा, ना वो तासीर है, ना वो दीवाने में। मस्ती थी कभी खुद को भुलाने में, अब ग़म छुपते हैं हंसने के बहाने में। खुशबू थी कभी हर बहार के तराने में, अब वो यादें भी उलझीं हैं अफसाने में। जिंदगी के रंग अब स्याह लगने लगे, जैसे खुशियां कहीं खो गईं इस ज़माने में। सवाल हजारों हैं दिल के आईने में, बस धुंधली तस्वीर सी फसाने में। गुज़री हुई बातों की सदा आती है, जैसे कोई पुकार हो वीराने में। जो मिल ना सके, वो याद बहुत आते हैं, ना जाने क्या जादू है बेगाने में। ©नवनीत ठाकुर ना क्या जादू है बेगाने में
ना क्या जादू है बेगाने में
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