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theABHAYSINGH_BIPIN
White बार-बार कोशिशें की मैंने, हर बार चोट मैं खाता हूँ। फिर भी हिम्मत है इतनी, जीत की कसम मैं खाता हूँ। लक्ष्य नए नहीं, ये संकल्प है, मेहनत से मैं ना घबराता हूँ। हुंकार भरूंगा फिर से मैं, संकल्प का फल मैं पाता हूँ। वचन ही मेरा शस्त्र बना, हर कदम पर धार लगाता हूँ। हिम्मत मेरी कभी ना टूटे, महादेव का ध्यान लगाता हूँ। पक्की करती जीत मेरी, जब ईश्वर का गुण गाता हूँ। लक्ष्य से परे नहीं अस्तित्व मेरा, संघर्षों का मैं आदि हूँ। थकूंगा नहीं बिना जीत के, विजयी विश्व का वासी हूँ। ©theABHAYSINGH_BIPIN #बार-बार कोशिशें की मैंने, हर बार चोट मैं खाता हूँ। फिर भी हिम्मत है इतनी, जीत की कसम मैं खाता हूँ। लक्ष्य नए नहीं, ये संकल्प है, मेहनत से
#बार-बार कोशिशें की मैंने, हर बार चोट मैं खाता हूँ। फिर भी हिम्मत है इतनी, जीत की कसम मैं खाता हूँ। लक्ष्य नए नहीं, ये संकल्प है, मेहनत से
read moreDeepali Singh Chauhan
Unsplash केंद्रीय विद्यालय संगठन का सफ़र 15 दिसंबर 1963 में हुआ था गठन, सेंट्रल स्कूल के नाम से शुरू हुआ था संगठन। 20 रेजिमेंटल विद्यालय बने थे देने को शिक्षा, उनके बच्चों को जो करते हैं देश की सुरक्षा। शिक्षा मंत्रालय की और से देश को मिला वरदान था, 1965 को संगठन को मिला नया नाम था। ज्ञान की रोशनी लेकर फैलाया उजियारा, देश से विदेश तक बढ़ा संगठन हमारा। देश को 1,253 विद्यालयों की मिली हुई है सौगात, जहां ज्ञान विज्ञान से चमकता भविष्य प्रभात । विदेश में विद्यालय हैं काठमांडू, मॉस्को और तेहरान में, केंद्रीय विद्यालय संगठन सर्वोपरि संगठन है ज्ञान में। चलो बात करते हैं संगठन के मिशन की, 'तत् त्वं पूषन् अपावृणु' ध्येय लेकर संगठन के विजन की। विद्यालयी शिक्षा को उत्कृष्टता के शिखर पर पहुंचाना है, शिक्षा के क्षेत्र में नए-नए प्रयोग और नवाचार को बढ़ाना है। राष्ट्रीय एकता और भारतीयता की भावना को विकसित करना है , छात्रों की प्रतिभा, उत्साह और रचनात्मकता को पोषित करना है। तमसो मा ज्योतिर्गमय के साथ तक्षशिला और नालंदा का इतिहास दोहराना है, भारत का स्वर्णिम गौरव केंद्रीय विद्यालय को लाना है। आओ इस 62वें स्थापना दिवस पर हम करते हैं ये प्रण, शिक्षा, ज्ञान – विज्ञान से उजला हो भारत का कण कण। ©Deepali Singh Chauhan #Book केंद्रीय विद्यालय संगठन
#Book केंद्रीय विद्यालय संगठन
read moreVinod Mishra
नवनीत ठाकुर
White हिंदू न खतरे में था, न है न कभी ये रहेगा, डर का व्यापार करने वाला, खुद सजेगा। करोड़ों की आबादी बड़ा ली हमने, बताओ सच, तो फिर डर किस बात का। गुणवत्ता की जरूरत है, न कि मात्रा की, संख्या का क्या मोल, जब कमी हो ज्ञान की। प्लासी की लड़ाई भी सबक सिखा गई, इतनी बड़ी आबादी मुठ्ठी भर अंग्रेजों से हार गई। आज चंद यहूदियों ने दुनिया हिला दी, कर्म और बुद्धि से किस्मत बना दी। तो क्यों न हम अपने को मज़बूत बनाएं, गुण और शिक्षा से नई रीत लाएं। जरूरत है पुरुषार्थ की, परमार्थ की, धर्म को समझने वाले सच्चे विचार की। राजनीति की रोटियां सेंकना छोड़ो, धर्म को हथियार बनाना अब मोड़ो। आत्मबल से जीतें, प्रेम का दीप जलाएं, हिंदूत्व का मतलब सही सबको समझाएं। हिंदुत्व सिर्फ धर्म नहीं, बल्कि जीने का तरीका है, हर मनुष्य के उत्थान की सच्ची अभिव्यक्ति का तरीका है। ©नवनीत ठाकुर #हिंदू न खतरे में था, न है न कभी ये रहेगा, डर का व्यापार करने वाला, खुद सजेगा। करोड़ों की आबादी बड़ा ली हमने, बताओ सच तो फिर डर किस बात का।
#हिंदू न खतरे में था, न है न कभी ये रहेगा, डर का व्यापार करने वाला, खुद सजेगा। करोड़ों की आबादी बड़ा ली हमने, बताओ सच तो फिर डर किस बात का।
read moreBanarasi..
बनारसी..... ©Banarasi.. "इतिहास की अमर गाथा" "चला था सिकंदर इस जहां में, संपूर्ण विश्व में धाक जमाने को। पोरस ने तोड़ दिया विश्वविजय अरमानों को, एक हार ने मिटाया इ
"इतिहास की अमर गाथा" "चला था सिकंदर इस जहां में, संपूर्ण विश्व में धाक जमाने को। पोरस ने तोड़ दिया विश्वविजय अरमानों को, एक हार ने मिटाया इ
read moreSonam kuril
White ये रील्स वालों की दुनियां, एक रंगमंच, एक व्यापार, वास्तविक कुछ नहीं, जो दिखता सब व्यापार, ना मर्यादा, ना संस्कार, मनोरंजन के नाम पर खुल गया , फुहड़ता, अपशब्द और बेशर्मी का बाजार, किस्म-किस्म के किरदार है, कोई सुनाता दुःखड़े अपने , कोई हँसता झूठी मुस्कान, कोई बना ज्ञान का सागर, कोई करता भोग-विलास, फैशन के नाम पर कम होते कपड़े, क्या खुला है अध-नग्नता का बाजार, फूहड़ गाने, अश्लील डांस, क्या लगता नहीं मुजरा बाजार, दुःख और पीड़ा इस बात की भारत में हो रहा अशिक्षा ,अज्ञानता का प्रचार, बच्चे क्या, बूढ़े क्या,सब है इसके गुलाम, ये मेरे अपने विचार है, जिन्हे लगता सत्य वो भी जरा विचार करे , क्या यूँ ही फलती-फूलती रहेगी ये रील्स की दुनियां , फिर सोचिये एक दिन ये दुकान हर घर में खुलेगी, सोचिये क्या होगा भविष्य नयी पीढ़ी का, क्या बन पाएंगे विश्व गुरु या वो भी.....| ©Sonam kuril #Sad_Status #reelskiduniya ये रील्स वालों की दुनियां, एक रंगमंच, एक व्यापार, वास्तविक कुछ नहीं, जो दिखता सब व्यापार, ना मर्यादा, ना संस्कार
#Sad_Status #reelskiduniya ये रील्स वालों की दुनियां, एक रंगमंच, एक व्यापार, वास्तविक कुछ नहीं, जो दिखता सब व्यापार, ना मर्यादा, ना संस्कार
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