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AD Kiran
इस गली का आशिक़ नहीं बनना मेरे दोस्त चुकी, इस गली की लड़कीयों को तेरे दर्द से कोई फर्क नहीं पड़ता। ©AD Kiran इस गली... SabitaVerma
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White गीत :- मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार । देख रहा हूँ गली मुहल्ले , होता खूब प्रचार ।। मानव सेवा करने को अब... हम आज तुम्हारे शुभचिंतक , करो न हमसे बैर । सबको हृदय बसाकर रखता , कहीं न कोई गैर ।। पाँच-साल में जब भी मौका, मिलता आता द्वार । खोल हृदय के पट दिखलाता , तुमको अपना प्यार ।। मानव सेवा करने को अब ... देखो ढ़ोंगी और लालची , उतरे हैं मैदान । उनकी मीठी बातों में अब , आना मत इंसान ।। मुझको कहकर भला बुरा वह , लेंगें तुमको जीत । पर उनकी बातें मत सुनना, होगी तेरी हार । मानव सेवा करने को अब..... सब ही ऐसा कहकर जाते , किसकी माने बात । सच कहते हो कैसे मानूँ , नहीं करोगे घात ।। अब जागरूक है ये जनता ,ये तेरा व्यापार । अपनों को तो भूल गये हो , हमे दिखाओ प्यार ।। मानव सेवा करने को अब .... सच्ची-सच्ची बात बताओ , इस दौलत का राज । मुश्किल हमको रोटी होती , सफल तुम्हारे काज ।। सम्पत्तिन तुम्हारे पिता की, और नहीं व्यापार । हमकों मीठी बात बताकर , लूटो देश हमार । मानव सेवा करने को अब..... मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार । देख रहा हूँ गली मुहल्ले , होता खूब प्रचार ।। २०/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार । देख रहा हूँ गली मुहल्ले , होता खूब प्रचार ।। मानव सेवा करने को अब... हम आज तुम्हारे शुभचिंतक ,
Himanshu Prajapati
Black उसकी गली में बार-बार आना जाना अच्छा लगता है, हर किसी का मिजाज खुद को दीवाना लगता है, एक वही शख्स अपना बाकी सब बेगाना लगता है, खुद ही खुद से रूठ कर खुद को मनाना अच्छा लगता है, हर कलर का पहनावा उस पर जंचता है, जब होती है किसी से मोहब्बत तो पतझड़ भी सुहाना लगता है..! ©Himanshu Prajapati #Thinking उसकी गली में बार-बार आना जाना अच्छा लगता है, हर किसी का मिजाज खुद को दीवाना लगता है, एक वही शख्स अपना बाकी सब बेगाना लगता है,
दीपा साहू "प्रकृति"
'मौत की ख़बर' ये कौन सा शहर आ गया ये कौन सी गलियाँ आ गई। अजनबी सी क्यों लग रही , ये धुंध कैसी छा गई। रास्ते अपरिचित है नज़र गली तुम्हारी वो कहाँ गई बरस बीत गए आँखों में नमी, है सिकन की एक रेखा आ गई। है खंडहर सी पड़ी ये दीवारें, संग रंग सारे बिखरा गई। तुम नहीं मिले कहीं,वो घर तुम्हारा एक ताला देख मन भरमा गई। किसी उम्मीद में कि तुम मौजूद होंगे, नामौजूदगी तुम्हारी वहाँ समा गई। कि उल्टे कदम लौट आने लगे, तभी मौत की तुम्हारी खबर आ गई। ©दीपा साहू "प्रकृति" #Prakriti_ #deepliner #poetry #love #SAD #you hj 'मौत की ख़बर' ये कौन सा शहर आ गया ये कौन सी गलियाँ आ गई। अजनबी सी क्यों लग रही , ये धुं
Niaz (Harf)
तेरा जिक्र करूँ तो बदनाम, नाम हमारा हो जाता है। मोहब्बत ना करूँ तो, वह नाराज हो जाता है। तेरी बदनाम गली में, नाम कमाने हम चले। मोहब्बत ही तो की है हमने। जब देखा मोहब्बत को, किसी और की बाहों में। तो, बदनाम गली में बदनाम होकर हम चले। ©Niaz (Harf) तेरा जिक्र करूँ तो बदनाम, नाम हमारा हो जाता है। मोहब्बत ना करूँ तो, वह नाराज हो जाता है। तेरी बदनाम गली में, नाम कमाने हम चले। मोहब्बत ही त
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Village Life ग़ज़ल :- रखेगा याद हर कोई शहादत का महीना है । अदब से पेश आ इंसा इबादत का महीना है ।।१ नसीहत दे गये हमको वतन पे देख लो मिटकर । चलूँ अब चाल मैं उनकी की चाहत का महीना है ।।२ चुनावी हो रहे दंगल गली घर में लगे पर्चे । करो मतदान तुम बस अब सियासत का महीना है ।।३ लड़ेगी आँख तेरी भी किसी दिन तो हसीनों से । जिगर तू थाम लेना बस मुहब्बत का महीना है ।।४ अभी आयी जवानी है सँभलकर तुम जरा चलना । कदम बलखा न जाये अब नज़ाकत का महीना है ।।५ खिले जो फूल गुलशन में उन्हें कच्ची कली मानों भँवर को भी बता दो अब हिफ़ाज़त का महीना है ।।६ प्रखर से सीख लो कुछ इल्म झूठी इन रिवायतों के । बता देगा तुम्हें वो भी तिज़ारत का महीना है ।।७ २८/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- रखेगा याद हर कोई शहादत का महीना है । अदब से पेश आ इंसा इबादत का महीना है ।।१ नसीहत दे गये हमको वतन पे देख लो मिटकर । चलूँ अब चाल मैं
Ravendra
CHOUDHARY HARDIN KUKNA
koko_ki_shayri
Life Like दिल से दिल को दूर करे, तुम मुझे ऐसा क्यों मज़बूर करें! ख्वाहिश थी साथ चलने की, तुम हो कि किसी और गली चलें!! ©koko_ki_shayri #tm हो कि किसी और गली चलें....💔