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Stories related to festivals of india 2019 list

VIMALESH YADAV

times of India #sad_quotes #vimaleshyadav

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White टाइम्स ऑफ इंडिया

 की शुरुआत व्यापारी समुदाय के लिए 3 नवंबर 1838 को मुंबई से ब्रिटिश
 राज के दौरान हुई। शुरुआत में इसे बम्बई टाइम्स और जर्नल ऑफ़ कामर्स
 के नाम से जाना जाता था। हर शनिवार और बुधवार को प्रकाशित होने 
वाला यह द्वि-साप्ताहिक संस्करण यूरोप, अमेरिका और उप महाद्वीपों के 
समाचारों से भरपूर होता था। 1850 में इसका दैनिक संस्करण शुरू हुआ 
और 1861 में इसका नाम "टाइम्स ऑफ इंडिया" पड़ा। 19वीं सदी में टाइम्स 
ऑफ इंडिया ने 800 से अधिक लोगों को रोजगार दिया और भारत व यूरोप 
में इसका प्रसार बढ़ता गया। मूलतः यह अखबार ब्रिटिश लोगों के नियंत्रण में 
था। इसके अंतिम ब्रिटिश संपादक आइवर एस जेहू थे। 

भारत की स्वतंत्रता के बाद, इस समाचार पत्र का स्वामित्व डालमिया के प्रसिद्ध 
औद्योगिक परिवार को सौंपा गया। बाद में, उत्तर प्रदेश के बिजनौर के साहू 
जैन समूह के साहू शांति प्रसाद जैन ने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया। 
संपादकीय पक्ष को कमजोर करके, इसने अपने बिजनेस, प्रसार, और 
तकनीक को अधिक मजबूत बनाया, जिससे यह देश में सबसे अधिक लाभ 
कमाने वाला अखबार बन गया।

©VIMALESH YADAV times of India #sad_quotes 
#vimaleshyadav

official_freefair_kingkiller

king 👑 of free fire in india

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varsha uikey

miss u 2019

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Queen

wdesh bhakti song flag of india desh bhakti shayariindia #viarl #Shorts

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Gkverse 10k

#Ratan_Tata THE LEGEND OF INDIA

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White "दोस्तों, असफलता से घबराएं नहीं, क्योंकि हर असफलता सफलता की शुरुआत होती है। मैं, रतन टाटा, कहता हूँ कि ज़िंदगी में बड़ा सपना देखो और उसे पाने के लिए लगातार मेहनत करो। याद रखें, चुनौतियाँ आएंगी, लेकिन आपका दृढ़ निश्चय और इरादा ही आपको उस मुकाम तक पहुँचाएगा, जहाँ आप चाहते हैं।"

©Gkverse 10k #Ratan_Tata THE LEGEND OF INDIA

Abd

White  

तिनका तिनका घर घरौंदा
टूटा चूल्हा बर्तन औंधा 

बालू में से कंकर बीना 
ईंधन बना पत्तों का झीना

फर्जी फर्जी दाल पकाई
बच्चों को जब तक नींद ना आई

लेकिन मां को भय था भोर का
था सवाल बस चंद कोर का

ब्याज ढले तो पो भी फटती 
तब जाके कहीं मूल से लड़ती 

कभी सीधी कभी उल्टी पड़ती
बार बार करवटे बदलती

झूठे सपनों में रोटी आई
लेकिन सच्ची नींद ना आई

भूख थी ज़्यादा पेट था ख़ाली 
मजबूरी में फिर बालू खाली

भीतर पूरा रेगिस्तान हो गया
जीवन ही वीरान हो गया

ना पत्थर थी ना लक्कड़ थी
अब चेतना बिल्कुल जड़ थी

बच्चों से वज्रपात सहे ना
काश कभी ये भोर भए ना

©Abd #sad_quotes #maa #chhutiyan #festivals
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