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Asif Hindustani Official
फ़िरोनियत है जिसमे वो सरदार हो गया, बंदूक क्या थमाया हवलदार हो गया, ये देश के आईन का अपमान ही तो है, मसनद का ठिकेदार तड़ीपार हो गया ! ©Asif Hindustani फ़िरोनियत है जिसमे वो सरदार हो गया। बंदूक क्या थमाया हवलदार हो गया। ये देश के आईन का अपमान ही तो है। मसनद का ठिकेदार तड़ीपार हो गया। #BehtaLa
Ravendra
Ravendra
VAGHELA YOGESH
Yeshkhu13 🧡, ©VAGHELA YOGESH अगर रास्ते पर हमको ट्रैफिक हवलदार रुकने के लिए कहे तो सबसे पहले हमारे मन मैं जो सबसे पहले डराता है वह यही चीज का होता है कि हमारे पास लाइ
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat शाम ढलते और यूहीं चलते ख़्याल ए वक़्त का तकाज़ा सा था। आवाज़ आती किसी कूचे से शाम ढली या उम्र का पहिया फिर से गुज़रे , वक़्त फिर गिरफ्तारी की बेड़ियां लिए खड़ा है। हवालात में हम हवलदार लायसेंस लिए परवरदिगार देहलीज पर खड़ा था। एक दूसरे से अलग थलग है, हम हमारी हसी में भी लुप्त प्यार और भरोसा का एहसास था। दस्तूर ज़िंदा दिलों के जलाने की दौड़ में शामिल हुए ऐसे दौर में दौड़ती हमारी ख्वाबों की उड़ान भरी, आंखों में नमी कौन सी कमी सी है। चलती रहे ज़िन्दगी फिर भी अकेले ज़िन्दगी चली है। #cinemagraph #deepthoughts #freedom #yqbaba #yqquotes Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat शाम ढलते और यूहीं चलते ख़्याल ए वक़्त का तकाज़ा सा
Monali Sharma
आ गए सब तो सुन लो अब(अनुशीर्षक) "कोरा कागज टीम'ने देखो क्या तरकीब लगाई 'होली के हमजोली' से सौहार्द भाव ले आई हम सब अनजाने मिलकर जो एक समूह बना है इस यारी का श्रेय कोर
*Nee₹
🇮🇳 “आख़िर कौन ये कहता है के ; 'जवानों' को, 'महबूबा" से मोहब्बत नहीं हुआ करती..? अभी-अभी जां लूटा कर आया है जांबाज़ वो, 'मादरेवतन" की निगेहबानी के लिए” 🙏💐 🇮🇳 😔🙏🙏🙏💐💐💐💐💐 भावुक क्षण - श़हीद भारतीय सैनिक कर्नल बी संतोष बाबू की बेटी घर में अपने पिता को श्रद्धांजलि अर्पित करती हुई, वे तेलंगाना में स
sandy
❤️💛❤️💛❤️ तिला माफी नाही 💛❤️💛❤️💛 उपवनच्या कट्ट्यावर भयाण शांतता पसरली होती. कपल्स पॉईंट म्हणून ओळखल्या जाणाऱ्या कट्ट्यावर वर्दीतल्या पोलिसा
रामकंवार पारासरिया
सुबह के पहली किरण, शाम की गुदळक की घड़ी, दोपहर की तेज धुप, उसी दोपहर में पेड़ की ठंडी छाँव को लिखता हूँ, मैं रोज़ तुम्हारी याद में प्रेम के गीत लिखता हूँ | फूल में बैठे भ्रमर के गुंजन को, रात में ठंडी हवा की साईं साईं को, अमावस की रात में तारे के टूटने को, वही पूर्णिमा की रात, मै चांदनी को लिखता हूं, न सुंदर वह चांद है तुझसे पर क्या करूं लिखता हूं, मैं रोज तुम्हारी याद में प्रेम के गीत लिखता हूं | वह नदी के पानी की कल-कल लिखता हूं, झरने से गिरने वाली पानी की धार को लिखता हूं, नाव के चप्पू से उठती लहर, मछली को लगे कांटे से दर्द को महसूस करते लिखता हूं, मैं रोज तुम्हारी याद में प्रेम के गीत लिखता हूं | सुबह के पहली किरण, शाम की गुदळक की घड़ी, दोपहर की तेज धुप, उसी दोपहर में पेड़ की ठंडी छाँव को लिखता हूँ, मैं रोज़ तुम्हारी याद में प्रेम के ग