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Mau Jha
तुम्हारी आँखों में आई ड्रॉप डालना पड़ेगा क्योंकि तुम्हें मेरा प्यार नहीं दिखाता..🥹 ©Mau Jha तुम्हारी आँखों में आई ड्रॉप डालना पड़ेगा 🥹👈
संगीत कुमार
Meri Mati Mera Desh (चुनाव) चला दौर चुनाव का भैया पार्टी सार्टी मन रहा दारू मुर्गा खूब चल रहा नेता जनता का पैर पकड़ रहा खूब वादा कर रहा अपने को जनता का बेटा बता रहा घर घर सब से मिल रहा अपने को जनता का हितैषी बता रहा पैदल गाँव गाँव घूम रहा एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहा अपना गुणगान गा रहा सबको उल्लू बना रहा चुनाव चुनाव में ही मिल रहा चुनाव जीतने पर जनता को भूल रहा अपना जेब सब भर रहा जनता का खून चूस रहा सब अपने को ईमानदार बता रहा सच्चाई ऐसा न दिख रहा दागी दोषी से है भरा पड़ा कोई जेल का चक्कर काट रहा तो कोई जेल से चुनाव लड़ रहा कुछ तो बीबी,बेटे को चुनाव उतार रहा कर जोड़ विनती कर रहा जाँच परख कर वोट डालना किसी के बहकावे में मत आना जर्जर हाल है शिक्षा व्यवस्था का महाविद्यालय, विश्वविद्यालय सिर्फ चमक रहा ज्ञान न अब उसमे मिल रहा नेतागिरी सिर्फ हो रहा प्रोफेसर साहब कक्षा में न दिख रहे लगता जैसे शिक्षण संस्थान बंद पड़ा अंचल, अनुमण्डल, जिला कार्यालय में लोग भटक रहे समय से न काम हो रहा पर नेता जी कहते खूब तरक्की हो रहा बाढ़ सूखे से ग्रस्त रहा नहर नाले का न व्यवस्था हुआ लोगों का जीवन बदहाल हुआ मच्छर सब जगह भनभना रहा अस्पताल सब गंदगी से भरापरा लोगों को उपचार न मिल रहा उद्योग धंधा कुछ न स्थापित हुआ जनता तो प्रांत छोड़ चला गुंडागर्दी दिख रहा लोग बात -बात पर लड़ रहा हाल बहुत बुरा है भैया जात पात से ऊपर उठना अच्छे प्रत्याशी को मिल चुनना चला दौर चुनाव का भैया ©संगीत कुमार #MeriMatiMeraDesh (चुनाव) चला दौर चुनाव का भैया पार्टी सार्टी मन रहा दारू मुर्गा खूब चल रहा नेता जनता का पैर पकड़ रहा खूब वादा कर रहा
N S Yadav GoldMine
श्री कृष्ण का धृतराष्ट्र को फटकार कर उनका क्रोध शान्त करना और धृतराष्ट्र का पाण्डवों को हृदय से लगाना पढ़िए महाभारत !! 📝📝 {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत: स्त्री पर्व द्वादश अध्याय: श्लोक 1-17 :- श्री कृष्ण का धृतराष्ट्र को फटकार कर उनका क्रोध शान्त करना और धृतराष्ट्र का पाण्डवों को हृदय से लगाना. 📙 वैशम्पायन उवाच वैशम्पायन जी कहते हैं -राजन्! तदनन्तर सेवक-गण शौच-सम्बन्धी कार्य सम्पन्न कराने के लिय राजा धृतराष्ट्र-की सेवा में उपस्थित हुए। जब वे शौच कृत्य पूर्ण कर चुके, तब भगवान मधुसुदन ने फिर उनसे कहा-राजन! आपने वेदों और नाना प्रकार के शास्त्रों का अध्ययन किया है। सभी पुराणों और केवल राजधर्मों का भी श्रवण किया है। 📙 ऐसे विद्वान, परम बुद्धिमान् और बलाबल का निर्णय करने में समर्थ होकर भी अपने ही अपराध से होने वाले इस विनाश को देखकर आप ऐसा क्रोध क्यों कर रहे हैं ? भरतनन्दन! मैंने तो उसी समय आपसे यह बात कह दी थी, भीष्म, द्रोणाचार्य, विदुर और संजय ने भी आपको समझाया था। राजन्! परंतु आपने किसी की बात नहीं मानी। 📙 कुरुनन्दन! हम लोगों ने आपको बहुत रोका; परंतु आपने बल और शौर्य में पाण्डवोंको बढा-चढ़ा जानकर भी हमारा कहना नहीं माना। जिसकी बुद्धि स्थिर है, ऐसा जो राजा स्वयं दोषों को देखता और देश-काल के विभाग को समझता है, वह परम कल्याण का भागी होता है। 📙 जो हित की बात बताने पर भी हिता हित की बातको नहीं समझ पाता, वह अन्याय का आश्रय ले बड़ी भारी विपत्तिbमें पड़कर शोक करता है। भरत नन्दन! आप अपनी ओर तो देखिये। आपका बर्ताव सदा ही न्याय के विपरीत रहा है। राजन्! आप अपने मन को वश में न करके सदा दुर्योधन के अधीन रहे हैं। अपने ही अपराध से विपत्ती में पड़कर आप भीमसेन को क्यों मार डालना चाहते हैं? 📙 इसलिये क्रोधको रोकिये और अपने दुष्कर्मोंको याद कीजिये। जिस नीच दुर्योधन ने मनमें जलन रखनेके कारण पात्र्चाल राजकुमारी कृष्णाको भरी सभामें बुलाकर अपमानित किया, उसे वैरका बदला लेनेकी इच्छासे भीमसेनने मार डाला। आप अपने और दुरात्मा पुत्र दुर्योधनके उस अत्याचारपर तो दृष्टि डालिये, जब कि बिना किसी अपराधके ही आपने पाण्डवों का परित्याग कर दिया था। 📙 वैशम्पायन उवाच वैशम्पाचनजी कहते हैं – नरेश्वर! जब इस प्रकार भगवान् श्रीकृष्ण ने सब सच्ची-सच्ची बातें कह डालीं, तब पृथ्वी पति धृतराष्ट्र ने देवकी नन्दन श्रीकृष्ण से कहा- महाबाहु! माधव! आप जैसा कह रहे हैं, ठीक ऐसी ही बात है; परतु पुत्र का स्नेह प्रबल होता है, जिसने मुझे धैर्य से विचलित कर दिया था। 📙 श्रीकृष्ण! सौभग्य की बात है कि आपसे सुरक्षित होकर बलवान् सत्य पराक्रमी पुरुष सिंह भीमसेन मेरी दोनों भुजाओं- के बीच में नही आये। माधव! अब इस समय मैं शान्त हूँ। मेरा क्रोध उतर गया है, और चिन्ता भी दूर हो गयी है अत: मैं मध्यम पाण्डव वीर अर्जुन को देखना चाहता हूँ। समस्त राजाओं तथा अपने पुत्रों के मारे जाने पर अब मेरा प्रेम और हित चिन्तन पाण्डु के इन पुत्रों पर ही आश्रित है। 📙 तदनन्तर रोते हुए धृतराष्ट्र ने सुन्दर शरीर वाले भीमसेन, अर्जुन तथा माद्री के दोनों पुत्र नरवीर नकुल-सहदेव को अपने अगों से लगाया और उन्हें सान्तवना देकर कहा – तुम्हारा कल्याण हो। 📙 इस प्रकार श्रीमहाभारत स्त्रीपर्व के अन्तर्गत जल प्रदानिक पर्व में धृतराष्ट्र का क्रोध छोड़कर पाण्डवों को हृदयसे लगाना नामक तेरहवॉं अध्याय पूरा हुआ। N S Yadav .... ©N S Yadav GoldMine #gururavidas श्री कृष्ण का धृतराष्ट्र को फटकार कर उनका क्रोध शान्त करना और धृतराष्ट्र का पाण्डवों को हृदय से लगाना पढ़िए महाभारत !! 📝📝
Mr RN SINGH
भईया एक प्लेट जिंदगी लगा दो नही नही रिश्तेदार मत डालना 😭😭😭😭😭😭😭😭 ©Mr RN SINGH #Connections भईया एक प्लेट जिंदगी लगा दो नही नही रिश्तेदार मत डालना 😭😭😭😭😭😭😭😭 #MrRNSINGH #Nojoto #nojoto❤ एक अजनबी PURAN SINGH CHILWAL Int
Sarita Kumari Ravidas
मत झोंक हे इश्वर इन्हें , भूख की भट्टी में ये मासूम फूल मुरझा जाएंगे । मत तौल हे इश्वर इन्हें, जाती के भेद-भाव में ये फूल टूट जाएंगे। मत रोक हे इश्वर इन्हें ,अपनी राह में आगे बढ़ने से ये तुझसे अपना भरोसा खो ही देंगे । गर रोकना है तो रोक, इनकी परेशानियों को ये मुरझाए फूल ,फिर से खिल जाएंगे। ©Sarita Kumari Ravidas #अड़चन #Life #Life_Experiences #life® #Life_Experiences
rajkumar
ram ram ji ©rajkumar रविवार का दिन सूर्य देव को अर्पित है. ज्योतिष में सूर्य देव को ग्रहों का राजा कहा गया है. जीवन में तरक्की और बाधाओं से निजात पाने के लिए सूर
Vijay Ratan
Sushma
चाय कि पहली चुस्की कि गर्माहट सिर्फ जूबान को हि मन को भी सुकुन देती हैं... चाय तो कई तरह कि बनती पर जो बात हैं मसालेदार चाय कि वो कहाँ किसी चीज मे हैं , जब दुध में इलायची, लौंग, अदरक, दालचीनी डाल खौलाया जाता हैं तो उसकी खुशबू पूरे घर को आंगन में एक जगह ले आती हैं, फिर उसमें डालना हैं चायपत्ती और सबसे आखिर में स्वाद अनुसार चीनी, लाजवाब चाय बन कर हैं तैयार... बरसात में ये शाम कि चाय परिवार में प्यार कि गर्माहट को ताजा कर देती हैं.... ©Sushma #chai #चायप्रेमी #चाय_और_तुम #चाय_इश्क़_मेरा #चाय_लवर #चाय_के_दीवाने_हम #चाय☕ चाय कि पहली चुस्की कि गर्माहट सिर्फ जूबान को हि मन को भी सुकु
Sandeep Kumar
😆😆😆😝😝😝😂😂😂 ऐ खुदा हिचकियों में कुछ तो फर्क डालना होता अब कैसे पता करूँ कि कौनसी वाली याद कर रही है 😆😆😆😝😝😝😂😂😂 ©Sandeep Kumar #Shiva&Isha 😆😆😆😝😝😝😂😂😂 ऐ खुदा हिचकियों में कुछ तो फर्क डालना होता अब कैसे पता करूँ कि कौनसी वाली याद कर रही है 😆😆😆😝😝😝😂😂😂
N S Yadav GoldMine
भीमसेन का गांधारी को अपनी सफाई देते हुए उनसे क्षमा मांगना पढ़िए महाभारत !! 📙📙 {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत: स्त्री पर्व पत्र्चदश अध्याय: श्लोक 1-18 {Bolo Ji Radhey Radhey} 📜 भीमसेन का गान्धारी को अपनी सफाई देते हुए उनसे क्षमा मॉंगना, युधिष्ठिर का अपना अपराध स्वीकार करना, गान्धारी के दृष्टिपात से युधिष्ठिर के पैरों के नखोंका काला पड़ जाना, अर्जुन का भयभीत होकर श्रीकृष्ण के पीछे छिप जाना, पाण्डवों का अपनी माता से मिलना, द्रौपदी का विलाप, कुन्तीका आश्वासन तथा गान्धारी का उन दोनों को धीरज बँधाना. 📜 वैशम्पायन उवाच वैशम्पायनजी कहते हैं-जनमेजय ! गान्धारी की यह बात सुनकर भीमसेन नें डरे हुए की भॉंति विनय पूर्वक उनकी बात का उत्तर देते हुए कहा। माताजी ! यह अधर्म हो या धर्म मैंने दुर्योधन से डरकर अपने प्राण बचानेके लिये ही वहॉं ऐसा किया था अत: आप मेरे उस अपराधको क्षमा कर दें। 📜 आप के उस महाबली पुत्र को कोई भी धर्मानुकूल युद्ध करके मारने का साहस नहीं कर सकता था अत: मैंने विषमता पूर्ण बर्ताव किया। पहले उसने भी अधर्म से ही राजा युघिष्ठिर को जीता था और हम लोगों के साथ सदा धोखा किया था, इसलिये मैंने भी उसके साथ विषम बर्ताव किया। कौरव सेना का एकमात्र बचा हुआ यह पराक्रमी वीर गदायुद्ध के द्वारा मुझे मारकर पुन: सारा राज्य हर न ले, 📜 इसी आशड्का़ से मैंने वह अयोग्य बर्ताव किया था। राजकुमारी द्रौपदी से, जो एक वस्त्र धारण किये रजस्वला अवस्था में थी, आपके पुत्रने जो कुछ कहा था, वह सब आप जानती हैं। दुर्योधनका संहार किये बिना हमलोग निष्कण्टक प्रथ्वी का राज्य नहीं भोग सकते थे, इसलिये मैंने यह अयोग्य कार्य किया। 📜 आपके पुत्र ने तो हम सब लोगों का इससे भी बढ़कर अप्रिय किया था कि उसने भरी सभामें द्रौपदी को अपनी बॉंयी जॉंघ दिखायी। आपके उस दुराचारी पुत्रको तो हमें उसी समय मार डालना चाहिये था परंतु धर्मराज की आज्ञा से हमलोग समयके बन्धन में बँधकर चुप रह गये। रानी ! आपके पुत्रने उस महान् वैरकी आगको और भी प्रज्वलित कर दिया और हमें वन में भेजकर सदा क्लेश पहुँचाया। 📜 इसीलिये हमने उसके साथ ऐसा व्यवहार किया है। रणभूमि में दुर्योधन का वध करके हमलोग इस वैर से पार हो गये। राजा युधिष्ठिर को राज्य मिल गया और हमलोगोंका क्रोध शान्त हो गया। गान्धार्युवाच गान्धारी बोलीं–तात ! तुम मेरे पुत्र की इतनी प्रशंसा कर रहे हो इसलिये यह उसका वध नहीं हुआ (वह अपने यशोमय शरीर से अमर है) और मेरे सामने तुम जो कुछ कह रहे हो, 📜 वह सारा अपराध दुर्योधन ने अवश्य किया है। भारत ! परंतु वृषसेनने जब नकुलके घोड़ो को मारकर उसे रथहीन कर दिया था, उस समय तुमने युद्ध में दु:शासन-को मारकर जो उसका खून पी लिया, वह सत्पुरुषों द्वारा निन्दित और नीच पुरुषों द्वारा सेवित घोर क्रूरता पूर्ण कर्म है। वृकोदर ! तुमने वही क्रूर कार्य किया है, इसलिये तुम्हारे द्वारा सत्यन्त अयोग्य कर्म बन गया है। 📜 भीमसेन उवाच भीमसेन बोले-माताजी ! दूसरे का भी खून नहीं पीना चाहिये फिर अपनाही खून कोई कैसे पी सकता है ? जैसे अपना शरीर है, वैसे ही भाई का शरीर है। अपने में और भाई में कोई अन्तर नहीं है। मॉं ! आप शोक न करें। वह खून मेरे दॉंतो और ओठों को लॉंघकर आगे नहीं जा सका था। इस बातको सूर्य-पुत्र यमराज जानते हैं, कि केवल मेरे दोनों हाथ ही रक्त में सने हुए थे। 📜 युद्ध में वृषसेन के द्वारा नकुल के घोड़ो को मारा गया देख जो दु:शासन के सभी भाई हर्ष से उल्लसित हो उठे थे, उनके मनमें वैसा करके मैंने केवल त्रास उत्पन्न किया था। द्यतक्रीडा के समय जब द्रौपदी का केश खींचा गया, उस समय क्रोध में भरकर मैंने जो प्रतिज्ञा की थी, उसकी याद हमारे हृदय में बराबर बनी रहती थी। ©N S Yadav GoldMine #woaurmain भीमसेन का गांधारी को अपनी सफाई देते हुए उनसे क्षमा मांगना पढ़िए महाभारत !! 📙📙 {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत: स्त्री पर्व पत्र