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Stories related to kavya madhavan remarriage 10

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Deepa Ruwali

यादें छोड़ जाते हैं

न जाने क्यों मुख मोड़ जाते हैं,
      कुछ परिंदे यूं उड़ते हैं..
 कि यादें ही यादें छोड़ जाते हैं। 
एक अजीब सा गमगीन मुखौटा,
हमारे मुख पर ताउम्र के लिए ओढ़ जाते हैं,
 हर उम्मीद, हर रिश्ता तोड़ जाते हैं,
 कुछ परिंदे यूं उड़ते हैं
 कि यादें ही यादें छोड़ जाते हैं।

जिंदगी भर ग़म और खुशी में पड़े रहते हैं,
हर मुश्किल में डटकर अड़े रहते हैं,
इक दिन लग गए पंख इनको तो उड़ पड़ते हैं,
और हम अपना गुज़ारा नम आंखों से करते हैं
    साथ छूट जाता है हमेशा के लिए,
और फिर बस तस्वीरों में साथ खड़े रहते हैं,
  जीवन का रस्ता इक रोज़ मोड़ जाते हैं,
  मौत से अपना नाता जोड़ जाते हैं,
  कुछ परिंदे यूं उड़ते हैं 
  कि यादें ही यादें छोड़ जाते हैं 

जीवन–मृत्यु का ये सिलसिला तो चलता रहता है क्रमवार
  लोग हजारों जन्म लेते हैं बारंबार 
  लेकिन ये ढांचा फिर से मिलता कहां है,
  उपवन का ये पुष्प दोबारा खिलता कहां है।
हमारे दामन की खुशियों का गला मरोड़ जाते हैं,
  आंखों के दरिया को कपड़े की तरह पूरा निचोड़ जाते हैं।
  कुछ परिंदे यूं उड़ते हैं..
  कि यादें ही यादें छोड़ जाते हैं।।

©Deepa Ruwali #writer #Life #kavya #kavita #Shayari #shayri #thought

Dr perveen

Kavya Dhara #Love

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Vella munda

#SunSet Swati Kavya #Love

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यादां
तेरीयां

©Bhim Raj #SunSet  Swati  Kavya

Vella munda

Swati Kavya #Love

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రోజా

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Deepa Ruwali

तुम्हारे इंतजार में बैठे रहे।

सावन की ये रिमझिम झड़ियां अनवरत बरसती रहीं,
ये आंखें तुम्हें देखने के लिए न जाने कब तक तरसती रहीं ।
न तुम आए, और न तुम्हारे आने की आस रही,
तुम जान नहीं सकते कि ये तन्हाइयां हमें किस क़दर खटकती रहीं।
  हम पहाड़ी पर उतरे हुए उन बादलों को देखे रहे,
  और साथ–साथ तुम्हारे इंतजार में बैठे रहे।

  
झरने की भांति आंखों से झर–झर पानी झरता रहा,
मिलन का एक ख़्वाब भी मन ही मन में तिरता रहा।
   हम झमाझम बारिश में खेत की मेढ़ में बैठे भीगते रहे,
न जाने क्यों इन मोतियों सी बूंदों को देखकर भी भीतर से कुछ–कुछ खीझते रहे।।
     तुम्हारे आने की आस न होने पर भी हम क्रोध में वहीं पर ऐंठे रहे,
 बदन ठंड से कुढ़ने लगा फिर भी हम यूं ही बैठे रहे।
  न तुम आए और न तुम्हारे आने की आस रही,
  कुछ न रहा हमारे पास, बस तन्हाइयां ही साथ रहीं।
     कैसे बताएं कि हम उस हाल में कैसे रहे,
  ख़ुद को अपनी ही बाहों में पकड़े बैठे रहे।
  हम उस पार पहाड़ी से गिरते सफ़ेद झरने को देखे रहे,
  और साथ–साथ तुम्हारे इंतजार में बैठे रहे।।


नदियों का कोलाहल न जाने क्यों शोर मचाता रहा,
  मेघों की गर्जन सुनते ही ये मन भी तुमसे मिलने के लिए जोर लगाता रहा।
  बैठे–बैठे इंतजार के सिवा और क्या हमारे हाथ में था?
  बारिश, एकांत, नदियों का कोलाहल, मेघों का गर्जन,सब हमारे साथ में था,
       बस एक तू ही था जो हमारे पास में न था।
 न जाने क्यों हम एकांत में भी वहीं पर ऐंठे रहे,
हम पहाड़ी पर से बादलों को ऊपर उड़ते देखे रहे,
और साथ साथ तुम्हारे इंतजार में बैठे रहे।।

©Deepa Ruwali #kavita #kavya #poetry #writer #writing #thought

Shree Kavya

kavya #ಕಾವ್ಯ

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sandhya Sandhya

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Prince uday Shukla

मृत्यु कविता kavya काव्य हिंदी साहित्य प्रेम

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