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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत:- डर नहीं इंसान तू अब साथ में हनुमान है । आज कलयुग में नहीं इनसे बड़ा भगवान है ।। डर नहीं इंसान तू अब .... जा झुका ले शीश उनको कष्ट सारे #कविता

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गीत:-
डर नहीं इंसान तू अब साथ में हनुमान है ।
आज कलयुग में नहीं इनसे बड़ा भगवान है ।।
डर नहीं इंसान तू अब ....

जा झुका ले शीश उनको कष्ट सारे दूर हों ।
जब शरण उनकी ठिकाना क्यों यहाँ मजबूर हों ।।
आस जिसने भी लगाई वो न खाली हाथ है ।
जो न माने आज इनको वो बड़ा नादान है ।।
डर नहीं इंसान तू अब....

राम के ही भक्त है वह राम का ही नाम लें ।
राम के वह नाम बिन देखो न कोई काम लें ।।
राम का तू जाप कर ले राम ही आधार हैं ।
राम का ही नाम सुनकर खुश सदा हनुमान है ।।
डर नहीं इंसान तू अब....

काम इस संसार में कोई हुआ ऐसा नही ।
दूत दानव दैत्य जो सुन नाम हनु कांपा नही ।।
व्यर्थ फिर चिंता तुम्हारी है सुनो संसार में ।
सब सफल ही काज होंगे जब कृपा हनुमान है ।।
डर नहीं इंसान तू अब...

जानते हैं लोग भोलेनाथ के अवतार हैं ।
राम जी का काज करने को सदा तैयार हैं ।।
इस जगत में भक्त इनसा सुन जगत में है नही ।
राम का ही नित्य करते ये सदा गुणगान हैं ।।
डर नहीं इंसान तू अब ....

डर नहीं इंसान तू अब साथ में हनुमान है ।
आज कलयुग में नहीं इनसे बड़ा भगवान है ।।

२३/०४/२०२४     -     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत:-
डर नहीं इंसान तू अब साथ में हनुमान है ।
आज कलयुग में नहीं इनसे बड़ा भगवान है ।।
डर नहीं इंसान तू अब ....

जा झुका ले शीश उनको कष्ट सारे

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार । देख रहा हूँ गली मुहल्ले ,  होता खूब प्रचार ।। मानव सेवा करने को अब... हम आज तुम्हारे शुभचिंतक , #कविता

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White गीत :-
मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार ।
देख रहा हूँ गली मुहल्ले ,  होता खूब प्रचार ।।
मानव सेवा करने को अब...

हम आज तुम्हारे शुभचिंतक , करो न हमसे बैर ।
सबको हृदय बसाकर रखता , कहीं न कोई गैर ।।
पाँच-साल में जब भी मौका, मिलता आता द्वार ।
खोल हृदय के पट दिखलाता , तुमको अपना प्यार ।।
मानव सेवा करने को अब ...

देखो ढ़ोंगी और लालची , उतरे हैं मैदान ।
उनकी मीठी बातों में अब , आना मत इंसान ।।
मुझको कहकर भला बुरा वह , लेंगें तुमको जीत ।
पर उनकी बातें मत सुनना, होगी तेरी हार ।
मानव सेवा करने को अब.....

सब ही ऐसा कहकर जाते , किसकी माने बात ।
सच कहते हो कैसे मानूँ , नहीं करोगे घात ।।
अब जागरूक है ये जनता ,ये तेरा व्यापार ।
अपनों को तो भूल गये हो , हमे दिखाओ प्यार ।।
मानव सेवा करने को अब ....

सच्ची-सच्ची बात बताओ , इस दौलत का राज ।
मुश्किल हमको रोटी होती , सफल तुम्हारे काज ।।
सम्पत्तिन तुम्हारे पिता की, और नहीं व्यापार ।
हमकों मीठी बात बताकर , लूटो देश हमार ।
मानव सेवा करने को अब.....

मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार ।
देख रहा हूँ गली मुहल्ले ,  होता खूब प्रचार ।।

२०/०४/२०२४    -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मानव सेवा करने को अब , कितने हैं तैयार ।

देख रहा हूँ गली मुहल्ले ,  होता खूब प्रचार ।।

मानव सेवा करने को अब...


हम आज तुम्हारे शुभचिंतक ,

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

सीता छन्द मापनी:- २१२२   २१२२   २१२२  २१२ वर्ण :-  १५ राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते । #कविता

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सीता छन्द
मापनी:- २१२२   २१२२   २१२२  २१२
वर्ण :-  १५
राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते ।
प्रीति के जो हैं सतायें ईश को ही ढूढ़ते ।।
लोग क्यों माने बुरा जो आपसे ही प्रेम है ।
आपके तो संग मेरी ज़िन्दगी ही क्षेम है ।।
१
भूल जाये आपको ऐसा कभी होगा नहीं ।
दूर हूँगा आपसे ऐसा कभी सोचा नहीं ।।
प्रीति तेरी है बसी वो रक्त के प्रावाह में ।
खोज पाता है नहीं संसार मेरी आह में ।।
२
प्रीति का व्यापार तो होता नहीं था देख लो ।
प्रीति में कैसे हुआ है सोंच के ही देख लो ।।
प्रेम में तो हारना है लोग ये हैं भूलते ।
जीत ले वो प्रेम को ये बाट ऐसी ढूढ़ते ।।
३
प्रेम कोई जीत ले देखो नही है वस्तु ये ।
प्रेम में तो हार के होता नही है अस्तु ये ।।
प्रेम का तो आज भी होता वहीं से मेल है ।
प्रीत जो पाके कहे लागे नहीं वो जेल है  ।।
०१/०४/२०२४  -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सीता छन्द

मापनी:- २१२२   २१२२   २१२२  २१२

वर्ण :-  १५

राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते ।

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- कर्म रखो बस ध्यान तुम  , सोचों मत परिणाम । देने वाला और है , तू कर अपना काम ।। कुण्डलिया:- जाने कैसे कर्म थे , भुगत रहे परिणाम । क #कविता

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Vishnu Bhagwan दोहा :-
कर्म रखो बस ध्यान तुम  , सोचों मत परिणाम ।
देने वाला और है , तू कर अपना काम ।।

कुण्डलिया:-

जाने कैसे कर्म थे , भुगत रहे परिणाम ।
करता हूँ अरदास अब , मिले मुझे आराम ।।
मिले मुझे आराम , कृपा अब रघुवर कीजै ।
सह जाऊँ मैं पीर , और अब साहस दीजै ।।
विनय प्रखर की आज , सुना रघुनंदन माने ।
स्वप्न दिखाया दास , छोड़ अब हम सब जाने ।।

२९/०३/२०२४     -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-
कर्म रखो बस ध्यान तुम  , सोचों मत परिणाम ।
देने वाला और है , तू कर अपना काम ।।

कुण्डलिया:-

जाने कैसे कर्म थे , भुगत रहे परिणाम ।
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