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Arora PR
White इस नए अजनबी शहर में मै पहली बार आया हु और सोचा था सब कुछ यहां नया नया दिखेगा. अफ़सोस हुआ देख कर कुछ भी नया नहीं सब कुछ मेरे शहर जैसा ही था यहाँ तक कि जो चाँद यहाँ निकला है वैसा चाँद मेरे शहर नेभी रोज़ निकला करता था ©Arora PR अजनबी शहर i
Manju kushwaha
White वो बच्चे जो निकले थे कभी कमाने के लिए फिर लौटे ही नहीं वापिस घर आने के लिए ll मन में इक ख़लिश दबाये लौटे जो कभी उस गली.. वो आए तो बस अपनी शानो-शौकत दिखाने के लिए ll वो जाले से लिपटा मकान जो सुन्दर घर हुआ करता अब वो ही करते हैं बातें उसे बेच जाने के लिए ll विरान पड़े हैं बाग बगीचे और गुलिस्तान सारे.... कि कोई आता ही नहीं उन्हें फिर से बसाने के लिए ll अब शौकीन हुए हैं सभी ऊँची ऊँची अट्टालिकाओं के जर्जर है गाँव का वो घर कौन आए उसे सजाने के लिए ll मंजू कुशवाहा ✍️🌹💞 ©Manju kushwaha #शहर
Dev Rishi
गुजर गये है गांव से शहर की ओर.... तनख़ा दो से चार हुई है हां शहर की ओर... अपनी मंजिल अक्सर शहर में क्यों मिलती है गांवों की रौनक धुंधली हो चुकी है क्योंकि कि ... सब जा रहा है शहर की ओर ©Dev Rishi #शहर की ओर
कवि: अंजान
Village Life वो धूप में कहाँ छांव में हैं मज़ा तो यारों अपने गाँव में हैं। ©कवि: अंजान #villagelife #गाँव #शहर #शायरी #कविता #Shayari
मनीष की डायरी
कोई नहीं जानता। मां से बढ़ कर उस शहर की आवो हवा, जहां रहकर उसका बेटा आया हो। ©मनीष की डायरी #शहर
Amit Singhal "Aseemit"
झीलों का शहर हमें शांति एवं ठहराव सिखाए, शांति एवं ठहराव में सुंदरता का भाव दिखाए। गति एवं चंचलता में जीवन का अस्तित्व सही है, शांति एवं ठहराव से जो आगे बढ़े, गुणी वही है। ©Amit Singhal "Aseemit" #झीलों #का #शहर
Amit Singhal "Aseemit"
Red sands and spectacular sandstone rock formations जब यहाँ आया था, अंजाना शहर था यह मेरे लिए, लेकिन इस शहर ने मुझे ढेर सारे नए अनुभव दिए। अंजाने शहर में रहते हुए मुझे कुछ अरसा हुआ है, लेकिन यहीं रहते हुए ही मैंने बुलंदियों को छुआ है। ©Amit Singhal "Aseemit" #अंजाना #शहर
Jagdish Pant
फूल देई का त्यौहार था, मैं फिर भी बैठा अकेला था । चारों तरफ़ हर्षोल्लास था, मैं अकेला बैठा निराश था । जब मैने चारों तरफ देखा , तब पता चला कि मैं गांव से दूर किसी शहर के भिड़ में बैठा अकेला उदाश था ।। ✍️ Jagdish Pant आज फूलदेई के पर्व पर एक कविता मेने लिखि ।