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Sandeep Kothar
White कुछ मुस्कुराहटें उस इंसान की ख़ुशी का प्रतिबिंब नहीं होती, दरअसल, यह आपकी क्षमताओं पर संदेह का संकेत है... ©Sandeep Kothar मुखौटा मुस्कुराहट का... दरअसल दोस्तों, जीवन के पथ पर आप कई लोगों से मिलेंगे, सबसे पहले माता-पिता, रिश्तेदार, पड़ोसी, दोस्त और फिर शिक्षक, सह
मुखौटा मुस्कुराहट का... दरअसल दोस्तों, जीवन के पथ पर आप कई लोगों से मिलेंगे, सबसे पहले माता-पिता, रिश्तेदार, पड़ोसी, दोस्त और फिर शिक्षक, सह #कविता #nakab #mukhouta #hindi_poem_appreciation
read moreNeelam Modanwal ..
White ओ लेखनी विश्राम कर अब और यात्रायें नहीं मंगल कलश पर काव्य के अब शब्द के स्वस्तिक न रच अक्षम समीक्षायें परख सकतीं न कवि का झूठ सच लिख मत गुलाबी पंक्तियाँ गिन छ्न्द, मात्रायें नहीं बन्दी अधेंरे कक्ष में अनुभूति की शिल्पा छुअन वादों विवादों में घिरा साहित्य का शिक्षा सदन अनगिन प्रवक्ता हैं यहाँ बस छात्र छात्रायें नहीं............................ ✍️🙏🙏 ©Neelam Modanwal ओ लेखनी विश्राम कर अब और यात्रायें नहीं मंगल कलश पर काव्य के अब शब्द के स्वस्तिक न रच अक्षम समीक्षायें परख सकतीं न
ओ लेखनी विश्राम कर अब और यात्रायें नहीं मंगल कलश पर काव्य के अब शब्द के स्वस्तिक न रच अक्षम समीक्षायें परख सकतीं न #कोट्स
read moreRavindra Singh
क्यूँ छीन लेता है, सुहाग स्त्रियों के… हे परमात्मा तू तो दया का सागर है , फिर बता तू क्यूँ कभी-कभी निर्दयी हो जाता है । क्यूँ छीन लेता है, सुहाग उन स्त्रियों के, जिनका जीवन सही से, शुरू भी नहीं हुआ होता है । अगर नहीं पता तो देख, कभी झाँककर उनके सूने दिल में , फफक-फफककर, रो रातों को , ये कितने तकिये भिगोता है । जो उनके अपने हैं , वो घर बैठें तो नुख़राने लगते हैं , अगर जाये बाहर नौकरी करने, तो आरोप ग़लत लगाने लगते हैं । उनकी चाह सजने-सँवरने की, मन से जैसे मिट-सी जाती है , वो बहुत कुछ रखती हैं अरमान दिल में, मगर बिन साजन कह नहीं पाती हैं । अब वो एक माँ भी हैं , तो टूटा हुआ नहीं देख सकती अपने बच्चों के ह्रदय को , वो दिलाती हैं दिलासा उन्हें, पिता नहीं हैं उनके तो क्या हुआ , माँ के साथ-साथ , वो पिता का भी फ़र्ज़ अदा करेंगी । नहीं हटेंगी पीछे कैसे भी हालात हों, उनकी परवरिश के लिए , वो जीवन की हर चुनौती से लड़ेंगी । माना तू रखता होगा हिसाब-किताब , पिछले जन्म के कर्मों का, लेकिन कैसे करें यक़ीन तुझ पर, तू क्यूँ एक जन्म का हिसाब, उसी जन्म में नहीं करवाता है । हे परमात्मा तू तो दया का सागर है , फिर बता तू क्यूँ कभी-कभी निर्दयी हो जाता है । ©Ravindra Singh #विधवानारी #विधवा ये पंक्तियाँ लिखी है मैंने एक उस स्त्री को ध्यान में रखते हुए जिसकी उम्र लगभग ३५ वर्ष रही होगी, उसकी ५ बेटियाँ है उसके पति
#विधवानारी #विधवा ये पंक्तियाँ लिखी है मैंने एक उस स्त्री को ध्यान में रखते हुए जिसकी उम्र लगभग ३५ वर्ष रही होगी, उसकी ५ बेटियाँ है उसके पति #Poetry
read moreRavindra Singh
ये पंक्तियाँ लिखी है मैंने एक उस स्त्री को ध्यान में रखते हुए जिसकी उम्र लगभग ३५ वर्ष रही होगी, उसकी ५ बेटियाँ है उसके पति की कैंसर से मृत्य #Poetry
read moreदिनेश
White मैं बहुत थक गया हूँ माँ तुम्हारे आँचल में सोना चाहता हूँ। छोटे कमरे में माँ न जाने क्यों ? नींद अब जल्द आती नहीं , सोता हूँ तो सोता रहता हूँ माँ कोई आवाज़ मुझे जगाती नहीं । झाड़ू ,पोछा ,बर्तन , खाना बस इतने में माँ पसीना आ जाता है , पर इसी बहाने न माँ मुझे तुम्हारी तरह जीना आ जाता है । अब कोई ख्वाहिश नहीं माँ बस तुम्हारी गोद सा बिछौना चाहता हूं । तुम्हारे हाथ का पकवान माँ रह रह कर याद आता है , पर अब दाल पकती ही नहीं कभी चावल कच्चा रह जाता है । इन रोटियों की बनावट माँ मुझे अक्सर चिढ़ाती है , अक्सर कपड़े धुलने में माँ बटन भी टूट जाती है । जो नहीं सीखा वो सिखा देना माँ मै फिर छोटा होना चाहता हूँ। हमारा भी राज था कभी माँ तुम रोज राजकुमार सा सजाती थी , बस मुंह से निकलते हर चीज मेरे सामने आ जाती थी । मसरूफ हूँ अब मैं इस कदर कि पहले सा इतवार नहीं आता , माँ तुम क्यों नहीं हो मेरे पास अब क्या अब मुझ पर प्यार नहीं आता ? परेशान हूँ मै इस कदर माँ कि तुम्हारे आगोश में रोना चाहता हूँ । मै बहुत थक गया हूँ माँ तुम्हारे आँचल में सोना चाहता हूँ । ©दिनेश #mothers_day कुछ पंक्तियाँ माँ के लिए 🙏
#mothers_day कुछ पंक्तियाँ माँ के लिए 🙏 #कविता
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