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Shyarana Andaaz (अज्ञात)
तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे मैं भी एक दिन आकर रह लूं गर तुम्हें बुरा न लगे।। ©Shyarana Andaaz (अज्ञात) तुम्हारे शहर का मौसम
तुम्हारे शहर का मौसम
read moreGhumnam Gautam
Unsplash पेड़ जितने थे उन्हें खा गया ये शहरी-करण अब हवाओं से मुलाक़ात कहाँ मुम्किन है! ©Ghumnam Gautam #leafbook #ghumnamgautam #पेड़ #शहर
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read moreVishu
White सूर्य की किरण जिसपर पड़े वो जीवन जी रहा है बस महसूस होनी चाहिए ©Vishu #sad_quotes #शहर
love you zindagi
चाहत से उसकी मैं बेखबर था पहले से ही मैं बहुत खामोश था, ऐसी शिद्दत से उसने गले से लगाया सुकून की चाहत में, मैं दौड़ा चला आया ।। @वकील साहब ✍️ ©love you zindagi #Love #चाहत #बेखबर #खामोश #शिद्दत #सुकून
गुरु देव[Alone Shayar]
आओ अब उसके शहर.. || Love_Shayari_collection || Attitude_Shayari #status #Youtubeshorts love #Shorts गुमनाम KK क्षत्राणी Anshu writer ud
read moreParasram Arora
White सभी जंगल शहरी पंजो मे जकडे जा चुके है शायद इसीलिए कही तथाकथित टार्ज़न और जंगली हिंसक जानवरो का अस्तित्व समाप्त न हो गया हो ©Parasram Arora जंगल और शहर
जंगल और शहर
read moremohit merotha
White मेरे ना हो सके तुम मेरे दिल मे रहकर , मैं सब कुछ बयां कर दूंगा खामोश रह कर! ©mohit merotha मैं सब कुछ बयां कर दूंगा खामोश रहकर 😊 #kavimohitmerotha #good_night दोस्त शायरी शायरी लव लव शायरी हिंदी शायरी शेरो शायरी
मैं सब कुछ बयां कर दूंगा खामोश रहकर 😊 #kavimohitmerotha #good_night दोस्त शायरी शायरी लव लव शायरी हिंदी शायरी शेरो शायरी
read moreनवनीत ठाकुर
ज़ुबां कहे भी तो किसे सुनाए ग़म, जिस दिल ने जिया है, वही समझे कम। बेनिशान थी आरज़ू, मगर गहरी छाप छोड़ गई, ज़ुबां खामोश रही, मगर दास्तां बोल गई। दिल के अंदर एक कहानी दबी थी, जो न कह सका, वो नरगिस ने सुनाई थी। गहरी छाप थी मोहब्बत की, वक़्त ने छोड़ दी, ज़ुबां की खामोशी में सच्चाई खोल दी। दर्द को छिपाकर, दिल ने उसे सहा, जिसे कह न सका, वही आह में बहा। मौन की गहराई में, दिल की आवाज़ पाई, जो अल्फ़ाज़ न थे, वो खामोशी ने जताई। ©नवनीत ठाकुर #जुबां खामोश थी
#जुबां खामोश थी
read moreParasram Arora
White तेरी पायल की खनक से मै गहरी नींद मे भी जाग जाता हू आँखे मसल कर चारो तरफ तुझे ढूंढ़ता हू पर न जाने तुम म होती हो कहा पथरो के इस शहर मे आकर मै भी एक पत्थर बन गया हू अब तेरे मासूम स्पर्श से भी मेरे जज्बात कंपते हैँ कहा? ©Parasram Arora पथरो के शहर मे
पथरो के शहर मे
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