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Poet Kuldeep Singh Ruhela
Unsplash में मुर्शद तू मुर्शद ये सारा जहां मुर्शद हो गया प्यार के तराने लिखता लिखता में तो खुद बेगाना हो गया ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #traveling में मुर्शद तू मुर्शद ये सारा जहां मुर्शद हो गया प्यार के तराने लिखता लिखता में तो खुद बेगाना हो गया
#traveling में मुर्शद तू मुर्शद ये सारा जहां मुर्शद हो गया प्यार के तराने लिखता लिखता में तो खुद बेगाना हो गया
read moreStƴɭɩsʜ Tɩŋkʋ
White कौन फिरता है अब गली मोहल्लों में इश्क अब डिजिटल हो गया है। कौन करता है अब बाते रूह की इश्क अब फिजिकल हो गया है।। ©Stƴɭɩsʜ Tɩŋkʋ इश्क अब डिजिटल हो गया है। #love_qoutes #Love #my_feelings
इश्क अब डिजिटल हो गया है। #love_qoutes Love #my_feelings
read moreAnjali Singhal
Love #Love #loveshayari #lovestatus #status #statusshayari shayari #shayaristatus #AnjaliSinghal nojoto "पता न चला ज़हन में ख़्याल उनक
read moreNaimuddin
Red sands and spectacular sandstone rock formations मैं तो खा मा खा में बदमान हो गया । इश्क़ उन्होंने किया मुझसे, और मेरा नाम हो गया ।। और अब वो छोड़ कर गए है इस तरह तन्हा मुझे, मेरा जीना और मरना हराम हो गया।। ©Naimuddin मैं तो खा मा खा में बदमान हो गया । इश्क़ उन्होंने किया मुझसे, और मेरा नाम हो गया ।। और अब वो छोड़ कर गए है इस तरह तन्हा मुझे, मेरा जीना और मरन
मैं तो खा मा खा में बदमान हो गया । इश्क़ उन्होंने किया मुझसे, और मेरा नाम हो गया ।। और अब वो छोड़ कर गए है इस तरह तन्हा मुझे, मेरा जीना और मरन
read moreneelu
White Yesterday I saw a few episodes of the Mahabharat series and today all I can say is विजय भव .....कल्याण हो.. Thank God... ©neelu #sad_quotes #Yesterday I #saw a few episodes of the #Mahabharat series and today all I can say is विजय भव .....कल्याण हो.. Thank God...
#sad_quotes #yesterday I #Saw a few episodes of the #Mahabharat series and today all I can say is विजय भव .....कल्याण हो.. Thank God...
read moreAvinash Jha
कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था, दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था। धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन, सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन। व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया, भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया। मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ, किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ? पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना, पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना? जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए, आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए। "हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई, जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई। क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा, जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?" अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल, धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल। कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से, "जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है। हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो, धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो। यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है, तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है। ©Avinash Jha #संशय #Mythology #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun
#संशय Mythology #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun
read moreVinod Mishra