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RAVI PRAKASH
White कौन बताता है समन्दर का रास्ता नदी को। जिसे मंजिल का जुनून है वो मशवरा नहीं लेते। ©RAVI PRAKASH #good_night कौन बताता है
#good_night कौन बताता है
read moreनवनीत ठाकुर
हमारी शिक्षा में हो विज्ञान की बात, जो हर मानव को दे जीवन की सही दिशा की सौगात। ज्ञान की ज्योति से, हर मन को प्रकाशित करे, सच्चे मार्ग पर चलने की प्रेरणा दे। मस्तिष्क में जगाए नयी ऊँचाई, दिल में हो आत्मविश्वास की तरंग समाई। चेतना पर ज्ञान का दीप जलाए, सभी अंधविश्वास से सच्चाई को निकाले। विज्ञान की जो बात करे, जीवन को नया रूप दे, जिससे हर मानव अपने जीवन को संजीवित करे। शिक्षा हो ऐसी, जिससे उन्नति हो महान, विज्ञान के साथ बढ़े, मानवता का भव्य विधान। हर सोच में हो वैज्ञानिक दृष्टिकोण, जो जीवन को सिखाए संघर्ष और संकल्प का मर्म। हमारे सपनों की नींव हो शिक्षा का ज्ञान, जिससे समृद्ध हो समाज, बढ़े सबका मान। हमारी शिक्षा में हो विज्ञान की बात, हर दिल में चमके, जो हो सच्ची सौगात। हर कदम पर ज्ञान की नई राह दिखाए, नई ऊँचाईयों तक सबको ले जाए। --- ©नवनीत ठाकुर हमारी शिक्षा में विज्ञान
हमारी शिक्षा में विज्ञान
read moreRAVI PRAKASH
White कौन बताता है समन्दर का रास्ता नदी को। जिसे मंजिल का जुनून है वो मशवरा नहीं लेते। ©RAVI PRAKASH #Sad_Status कौन बताता है
#Sad_Status कौन बताता है
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी इतिहासों से चरित्र गायब आधा अधूरा पाठ्यक्रमो में पढ़ाते है चेहरा भारतीयो का बिगाड़ दिया झूठ का ज्ञान परोसा जाता है त्योहार और उत्सव बाजारों से जुड़ गये अनावश्यक बस्तुओ से जोड़ा जाता है मेल मिलाप और अपनापन हैसियत से तौला जाता है क्रिया कलाप करना ही धर्म समझ लिया अन्तरकर्ण तक मूल पाठ नही जाता है सार्थकता त्योहारों की कौन समझता है बस देखा देखी में जग दौड़ा जाता है चरित्र निमार्ण की गतिविधियां गायब बस कानूनों से जग हाका जाता है नैनो परिवार परवान चढते पतन की ओर भारत जाता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #happy_diwali साथर्कता त्योहारों की कौन समझता है
#happy_diwali साथर्कता त्योहारों की कौन समझता है
read moreनवनीत ठाकुर
जिसे कोई छू न पाया, उसी आकाश को नीले और सफेद के संग रंग डाला, ये कौन चित्रकार है।। कांटों को हर फूल के संग बगिया में जिसने बसाया, वो किसका विचार है।। मछलियों को जिसने गहरे सागर में खेलना सिखाया, हर लहर में जीने का नया अंदाज़ दिखाया, ये किसका चमत्कार है।। जमीन को काट कर जिसने पहाड़ों को ऊंचा बनाया, ये कैसा अद्भुत शिल्पकार है।। नदी छल-छल कर कानों में संगीत जो सुनाए, हर बहाव में छुपा कोई तो अनदेखा गीतकार है।। चांद जो रात भर सबको अपनी निगरानी में रखता, खामोश रात का वो मौन पहरेदार है।। अनगिनत तारे भी दिन में आने की हिम्मत नहीं कर पाते, सूरज को अकेले जिसने आकाश में जलना सिखाया, वो ही तो प्रकृति का महान आधार है।। वो अदृश्य है, पर हर जगह है रचा-बसा, हर सांस में, हर धड़कन में उसी का उपकार है।। कुदरत के हर कण , हर रंग, हर रूप में बस उसी का अधिकार है।। ©Navneet Thakur #ये कौन चित्रकार है हिंदी कविता
#ये कौन चित्रकार है हिंदी कविता
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