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Ek villain
1919 में आज ही और रोलेट एक्ट के विरोध में अमृतसर के जलियांवाला बाग में आयोजित एक सभा में ब्रिटिश अधिकारी जनरल ओ डायर ने निहत्थे लोगों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया था इसमें एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे इस घटना के स्वतंत्र आंदोलन का रूप मोड़ लिया था ©Ek villain #JallianwalaBagh जलियांवाला बाग हत्याकांड में निहत्थे लोगों पर चलाई गोली
Nishtha Rishi
को देखो यही दी गई थी कुर्बानीया, वैसाखी का त्योहार मनाने, जहाँ इकट्ठा हुई थी टोलिया, बेरहमी से जैसे डायर ने बरसाए यहाँ थे गोलियां, लहू-लुहान हो गई थी यहाँ की फुलवाड़ीया । 🌺🌺🌺🌺🌺 13 अप्रैल 1919 को अंग्रेज़ जनरल डायर ने वैसाखी का त्योहार मनाने इकट्ठे हुए निहत्थे निर्दोष भारतीयों पर जिस बेरहमी से गोलियाँ चलवाईं, वह मानव
PS T
जनरल डायर को ब्रिटेन जाकर गोली मारने वाले शहीद उधम सिंह को नमन है,गर्व है उन पर... मैं दर्द को याद करूँ और आँखें नम करूँ इससे अच्छा है पापी को खत्म करने वाले को नमन करूँ 13 अप्रैल 1919 को अंग्रेज़ जनरल डायर ने वैसाखी का त्योहार मनाने इकट्ठे हुए निहत्थे निर्दोष भारतीयों पर जिस बेरहमी से गोलियाँ चलवाईं, वह मानव
Aman Sinha
बहुत वीर थें वो भाई हमारे... जो हुए शहीद जालियांवाला बाग में, बिना किसी कसूर के अंग्रेजों ने हमला किया उनपर... वो तो मनाने गए थे बैसाखी वहां और मशगूल थें अपने त्योहार में। 13 अप्रैल 1919 को अंग्रेज़ जनरल डायर ने वैसाखी का त्योहार मनाने इकट्ठे हुए निहत्थे निर्दोष भारतीयों पर जिस बेरहमी से गोलियाँ चलवाईं, वह मानव
vishnu prabhakar singh
जलियाँवाला बाग एक अध्याय है हमारे स्वतंत्रता संग्राम का। स्वर्ण मंदिर और भगत सिंह साक्षी हैं। एक नवजात की उपस्थिति, विरोधाभाषी जघन्य हत्याकांड का मीमांसा जनरल की जिज्ञासा भर है कि, काला इतिहास कुएं से भी गहरा होता है कि, अँधेरा होता है कि, खून से भरा होता है! यह अध्याय स्वतंत्रता आंदोलन का पूर्वार्ध आत्मा है। एक ब्रिटिश प्रधामंत्री ने उपरोक्त घटना को ब्रिटिश के इतिहास का काला अध्याय लिखा मगर 2013 में! 13 अप्रैल 1919 को अंग्रेज़ जनरल डायर ने वैसाखी
yogesh atmaram ambawale
जलियाँवाला बाग घूमते हुए आज आंखे नम हो गई, कैसा माहौल बना होगा उस वक्त सोच कर रूह कांफ उठी. बचने का कोई रास्ता ही नही था,चारों ओर दीवारें थी और एक कुँआ था. अंदर बाहर आने जाने का एक ही छोटा दरवाजा था, चलने लगी जब गोलियाँ,जान बचाने कितनों ने कुंए में कूदी मारी छोटे,बड़े,बूढ़े,बच्चे किसी को न बक्श रहा था, बेखौफ जनरल डायर अंधाधुन्द गोलीबारी कर रहा था. पूरा ये नज़ारा आज आंखों के सामने आ रहा था जब मैं जलियाँवाला बाग घूम रहा था. अमर ज्योति के दर्शन करते वक्त,आज भी कानों में वंदे मातरम का नारा गूंज रह था. 13 अप्रैल 1919 को अंग्रेज़ जनरल डायर ने वैसाखी का त्योहार मनाने इकट्ठे हुए निहत्थे निर्दोष भारतीयों पर जिस बेरहमी से गोलियाँ चलवाईं, वह मानव
राज दीक्षित
नमन करो उन वीरों को। जो शहीद वतन पर हो गए।। त्याग कर अपने प्राणों को। जो हमें आज़ादी दे गए।। पूरी कविता कैप्सन में पढ़े नमन करो उन वीरों को। जो शहीद वतन पर हो गए।। त्याग कर अपने प्राणों को। जो हमें आज़ादी दे गए।। चंद्रशेखर और भगतसिंह। ये महान क्रांतिकारी
Ravendra
Prabodh Prateek
आज़ादी के आन्दोलन के उस अविस्मरणीय योद्धा ज्वलंत देशप्रेम , अदम्य साहस , निर्भीक जोश , आदर्श के प्रति अटल निष्ठा , दृढ़ संकल्प शक्ति , ज्ञान