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Ek villain
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की ओर से यह ठीक ही कहा गया है कि कुछ लोगों की आपत्ति के कारण जो किसी कानून निरस्त हो गए थे आजादी के बाद बड़े सुधार रहे थे उनके इस कथन की आलोचना का कोई अर्थ नहीं है कि हम एक कदम पीछे हटाए लेकिन फिर आगे बढ़ाएं दुर्भाग्य से कुछ लोग उनके इस कथन की व्याख्या इस रूप में कर रहे हैं कि कृषि मंत्री तीनों केसी कानून फिर लेने की बात कर रहे हैं कांग्रेसी नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने यह तो उनके वाक्य तत्व को किसान विरोधी सर यंत्र करार देते हुए यह भी कहा है कि चुनाव बाद किसानों पर फिर वार होगा इसे देखते हुए यह आवश्यक है कि सरकारी कार्सी कानून सुधार में नए सिरे से कदम बढ़ाते समय इसका ध्यान रखने की इस मामले में फिर दुष्प्रचार राजनीतिक अपनी जड़े जमा पाए इससे कोई इंकार ना कर पाए किसी कानून के खिलाफ किसानों को बाहर गिलन के लिए दुष्प्रचार का जमकर सहारा लिया गया इस तरह का झूठ बार-बार फैलाया गया है कि किसी कानूनों के जरिए सरकार किसानों की जमीन छीनने का काम करेगी यह काम विपक्षी दलों और खासकर उस कांग्रेस की ओर से भी किया गया है जिनमें पिछले लोकसभा चुनाव के अवसर पर जारी अवध अपने गुरु घोषणापत्र में वैसे ही कृषि कानून बनाने का वादा किया था जिसे मोदी सरकार लेकर आई थी दुर्भाग्य है यह रहा कि किसान संगठनों ने सभी किसानों को गुमराह करने का काम किया कृषि कानून को वापस लेने का यह अर्थ हो सकता है और ना ही होना चाहिए कि खेती और किसानों की दशा सुधारने के लिए कुछ करने की आवश्यकता नहीं है सच तो यह है कि इसकी आवश्यकता और बढ़ गई है इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती किसी कानून वापस होने से तमाम किसान निराश हो गए जिन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ तिथे यह भी है कि किसी कानून विरोधी आंदोलन मोटे तौर पर ढाई है राज्य अथवा पंजाब हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक सीमित था इस पर हैरानी नहीं है कि इस आंदोलन में शिमला पंजाब में कई संगठन खुद को राजनीतिक दल में तब्दील करने में लगे हुए हैं इसमें हर्ज नहीं लेकिन इससे यह तो स्पष्ट ही यही है कि राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए किसानों को मोर बनाना गया है आवश्यक केवल यही है कि किसी कारण वापस होने के बाद भी सरकारी कृषि सुधारों की जरूरत को रेखांकित करते बल्कि यह भी है कि किसानों को किसान संगठन कृषि विशेषज्ञ और राजनीतिक दलों से व्यापक विचार विमर्श करने का यह दिशा में आगे बढ़े हैं ©Ek villain # जरूरी है कृषि सुधार #NatureLove
CK JOHNY
कृषि प्रधान देश में ये कैसा विधान है किसान के अलावा यहाँ सभी प्रधान है। वे भी किसानों के रहबर बनने चले जिन्हें मालूम नहीं क्या गेहूँ क्या धान है। कृषि प्रधान
दूध नाथ वरुण
कितना है कठिन कृषि जीवन,जाने कब लोग ये जानेंगे। इनसे है ये सब जग जीवन, जाने कब लोग ये मानेंगे।। ©दूध नाथ वरुण #कृषि#जीवन
राजेंद्रभोसले
आज का सुविचार शेतकऱ्यांच्या समृद्धीसाठी आयुष्यभर लढले सहकारवसा जपणारे जयवंतअप्पा भोसले।।धृ। उभारणी करुनी सहकाराची। आकारील्या वास्तू विश्वस्थांची शेतकऱ्यांची घेऊनी हात मोहिते घराण्याची साथ वंचितांच्या हृदयात कायम स्वरूपी वसले सहकारवसा जपणारे जयवंतअप्पा भोसले।।१।। उभारूणी शिक्षणाची गुढी संघटनेची रचोनी कडी राजकीय संघर्षाची घडी जनहीतासाठी मारी उडी कराड तालुक्याचे भाग्य विधाता शोभले सहकारवसा जपणारे जयवंतअप्पा भोसले।।२,।। कृषि मित्र
Kaushal Kumar
ये फसल जो दिख रही है दूर तक फैली हुई। ये किसी के जिंदगी का एक ही आधार है।। रोज थाली में तुम्हारी आ रहीं जो रोटियाँ। ये फसल उन रोटियों का एक ही आसार है।। नीतियाँ तुम क्या बनाओगे वहाँ पर बैठकर। कौन सी है नीति जो कीमत इन्हें दे पाएगी।। देश मे होता रहा है और फिर होगा वही। अन्नदाता को दया की भीख दे दी जाएगी।। आधुनिकता ने किया बाज़ार भी कुछ इस तरह। अब सभी धनवान ग्राहक मॉल के हैं धूम में।। हो रहा क्रय और विक्रय अब शहर में इस तरह। सब्जियाँ फुटपाथ पर, जूते बिकें शो रूम में।। था सुना हमने कभी, भारत है बसता गाँव में। और गांवों की फ़क़त खेती से ही पहचान है।। हर कोई अब चाहता रोटी मिले बस छाँव में। पर कृषि के उन्नयन पर क्या किसी का ध्यान है? ............... ........कौशल तिवारी . ©Kaushal Kumar #कृषि और कृषक
अजय आदिल
जवानी जब पानी होकर ,घर में बैठा रहना पसंद करें। तब बुजुर्गों को लाठी उठाना ही पड़ता है।।#ऑल इंडिया स्टूडेंट्स यूनियन## कृषि बिल २०२०