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Bharat Bhushan pathak
पाप-पुण्य युद्ध में विजय प्रतीक पुण्य का। सत्य से असत्य का प्रतीक जीत सत्य का।। राम नाम जाप का पर्व अम्ब मात का। भद्र के ये छाप का अभद्र नाश ताप का। ©Bharat Bhushan pathak पाप-पुण्य युद्ध में विजय प्रतीक पुण्य का। सत्य से असत्य का प्रतीक जीत सत्य का।। राम नाम जाप का पर्व अम्ब मात का। भद्र के ये छाप का अभद्र नाश
Shivkumar
White बुराई दूर करने को यहाँ भगवान आते हैं । अधर्मी राक्षसों का नाश कर पृथ्वी बचाते हैं ।l पुराणों में कहा जाता धरा पर पाप बढ़ जाता l कभी श्री कृष्ण या श्री राम बन लीला रचाते हैं ।l धरा पावन बनाने को प्रभू सुत रूप में आए । लता- पत्ता सभी झूमें तथा नर- नार मुस्काए ।l घड़ी थी चैत्र की नवरात्रि नवमी मात कौशिल्या l अयोध्या राम की नगरी पिता अवधेश कहलाए ।l ll आप सभी को रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं ll ©Shivkumar #ramnavmi #ramnavmispecial #ramnavmi2024 #ramnavmi2025 #Nojoto #बुराई दूर करने को यहाँ #भगवान आते हैं । अधर्मी राक्षसों का #
Devesh Dixit
जीवन एक बिसात ये जीवन देखो एक बिसात है, जिसमें शतरंज सी हर बात है। फूँक फूँक कर कदम रखना है, आती मुसीबत से भी बचना है। कौन कहाँ पर कब कैसे घेरे, काट कर बातों को वो मेरे। मुझ पर ही हावी हो जाए, काम ऐसा कुछ कर जाए। उलझ जाऊँ मैं तब घेरे में, शतरंज के फैले इस डेरे में। शह-मात का चलन रहा है, देख पानी सा रक्त बहा है। युद्ध छिड़ा धन सम्पत्ति पर, कभी नारी की इज्जत पर। भाई-भाई में द्वेष बड़ा है, देखो कैसे अधर्म अडा़ है। खून के प्यासे दोनों भाई, महाभारत की देते दुहाई। प्रेम भाव सब ख़त्म हुआ है, ये जीवन अब खेल हुआ है। सभ्यता ही सब गई है मारी, बुजुर्गों का जीवन ये भारी। मिले नहीं सम्मान उन्हें अब, संतानें ही विद्रोह करें जब। कलियुग का ये प्रभाव सारा, किसने किसको कैसे मारा। संस्कारों की बलि चढ़ी है, मुश्किल की ही ये घड़ी है। होती है ये अनुभूती ऐसी, शतरंज में दिखती है जैसी। .......................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #जीवन_एक_बिसात #nojotohindi #nojotohindipoetry जीवन एक बिसात ये जीवन देखो एक बिसात है, जिसमें शतरंज सी हर बात है। फूँक फूँक कर कदम रखना ह
दूध नाथ वरुण
हे मात भवानी जगदम्बे,मुझे आके मां अब दर्शन दे। मेरी विनती सुन ले मां अम्बे,मेरी झोली खाली मां भर दे।। ©दूध नाथ वरुण #हे#मात #भवानी#जगदम्बे
Devesh Dixit
होली (दोहे) होली का यह पर्व है, जिस पर हमको मान। कहते हैं सज्जन सभी, ये अपनी पहचान।। मिल जुल कर हम सब रहें, देता है ये ज्ञान। बैर भाव छोड़ो सभी, कर सबका सम्मान।। हँसी खुशी सब खेलते, हैं रंगों के साथ। मिल जुल कर सब रंगते , ले रंगों में हाथ।। फागुन का यह मास है, रंगों का त्यौहार। दिल न दुखाना तुम कभी, है ये ही संस्कार।। मात पिता के छू चरण, बन जाओ तुम नेक। ईश ज्ञान देते यही, फिर मिलती है टेक।। बहुत बहुत शुभकामना, देते हैं हम आज। खुशी मनाओ झूम के, हो सुंदर सब काज।। .......................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #Holi #nojotohindi #nojotohindipoetry #होली होली (दोहे) होली का यह पर्व है, जिस पर हमको मान। कहते हैं सज्जन सभी, ये अपनी पहचान।। मिल जुल
#शून्य राणा
ये गजब है ,,वो मुझपर आज भी वफा की बाजियां लगाती हैं,,उसे मालूम है ,,मेरा मोहरा भी अब तक बस शह में खुद की खुद सी हारा है ।। ©#शुन्य राणा #Chess #शह और मात Kaur Sardarni......,, NIKHAT (दर्द मेरे अपने है ) SHAIZ Haal E Dil shraddha