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Cricket

BCCI ने किया खुलासा, आखिर क्यों Ishan Kishan और Shreyas lyer को किया सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट से बाहर #BCCI #ishankishan #shreyaslyer #सस्पेंस

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Nasib Khan

किसान और मजदूरों ने जीत की खुशी बनाई बाड़ोपट्टी टोल प्लाजा पर नाच गाना किया गया हंसते मुस्कुराते घर रवाना हुए नसीब राजलीजय जवान जय किसान इंक

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Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय"

8 अप्रैल, 1929: आज वो तारीख़ है, जिस तारीख़ को हमारे महान क्रांतिवीरों नें सेंट्रल असेंबली में क्रांति का बिगुल फूँका था...उनके शौर्य, साहस #History #shaheeddiwas #march #bhagatsingh #शहीद_दिवस #Sukhdev #rajguru #असेंबली_बम_कांड #central_assembly_bomb_case #Batukeshwardutt

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Dinesh Sharma Dinesh

23 मार्च 1931 के दिन भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी। फांसी दिए जाने की तारीख 24 मार्च तय की थी, लेकिन ब्रिटिश सरकार को माहौल #creative #kavita #कविता #kavisammelan #bhagatsingh #shaheedidiwas #Sukhdev #rajguru

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Ravendra

ट्रॉली हटाने को कहा तो दबंगों ने दूधिए के सिर पर रॉड से किया हमला, मुकदमा दर्ज बहराइच शहर के सालरगंज हसन नगर निवासी दूधिया दूध बिक्री के लि #न्यूज़

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दूधिए को रॉड से मारा मुकदमा पंजीकृत

©Ravendra ट्रॉली हटाने को कहा तो दबंगों ने दूधिए के सिर पर रॉड से किया हमला, मुकदमा दर्ज

बहराइच शहर के सालरगंज हसन नगर निवासी दूधिया दूध बिक्री के लि

Ashish Jain

आज दुष्यंत की पंक्ति याद आती है कि "मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही, हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए...!" इन्हीं पंक्तियों से ए #Indian

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तख़्त लंदन तक हिला, ऊधम सिंह के कंपन से
हे वीर ! हम ऋणी सदैव, तेरे उस समर्पण से..! आज दुष्यंत की पंक्ति याद आती है कि 
"मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही, 
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए...!"
इन्हीं पंक्तियों से ए

KP EDUCATION HD

यदि आप एक पुरस्कृत करियर यात्रा शुरू करने के लिए उत्सुक हैं, तो योग्यताएं, आवेदन प्रक्रिया और बहुत कुछ जानने के लिए पढ़ते रहें। मुख्य विशेष #न्यूज़

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KP NEWS for the same for me to get the same for me

©कंवरपाल प्रजापति टेलर यदि आप एक पुरस्कृत करियर यात्रा शुरू करने के लिए उत्सुक हैं, तो योग्यताएं, आवेदन प्रक्रिया और बहुत कुछ जानने के लिए पढ़ते रहें।

मुख्य विशेष

INDIA CORE NEWS

हाईटेक गौतम बुध्द नगर बना हथियार तस्करों पसंदीदा जगह,एक पखवाड़े तीन अवैध हथियार बनाने की फैक्ट्री का भंडाफोड, 56 अवैध हथियार, 9 गिरफ्तार #News #Video #post #viral #Videos #Trading

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JALAJ KUMAR RATHOUR

पता नहीं जीवन के किस मोड़ पर हम फिर मिलेंगे। शायद स्कूल के उस नीम के पेड़ के नीचे या उस चौराहे पर जहां तुम्हारा इंतजार करता सोलह साल का मैं, #जलज #AdhureVakya

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उलझन इस बात की है कि पता नहीं जीवन के किस मोड़ पर हम फिर मिलेंगे।
शायद स्कूल के उस नीम के पेड़ के नीचे या उस चौराहे पर जहां तुम्हारा इंतजार करता सोलह साल का मैं, बैठा रहता था।मेरी हर उदासी को हंसी में बदलने वाली तुम आज कल मेरी आंखों में नमी का कारण बनती हो।जैसे इंद्रधनुष आसमान को खूबसूरत बनाता है वैसे ही मुझे तुम्हारा साथ खूबसूरत नजर आता था।अब जब भी घर आता हूं तो तुमसे मुलाकात की ऐसी तड़प होती है जैसी तड़प  छुट्टियों में नानी के घर से आने के बाद ,स्कूल में जाने के लिए किसी बच्चे को होती है।मुझे आज भी तुम्हारी जरूरत है जैसे आसमानी झूले पर बैठे किसी शक्श को होती है किसी का हाथ थामने की। मैं बचपन में जब भी अंग्रेजी स्कूल के बच्चों को देखता था तो उनकी अंग्रेजी से बहुत प्रभावित होता था और मन में एक प्रकार की घृणा भी होती थी।क्युकी उनकी अंग्रेजी की दो लाइन हमारी हिंदी के याद किए कई श्लोकों से ज्यादा तारीफें बटोर लेती थीं।पर जब तुम्हे पहली बार देखा था तो अंग्रेजी से मुझे पहली बार प्रेम हुआ था और शायद तुमसे भी।फ्यूचर टेंस के सहारे तुम्हारे संग मैं अपना भविष्य देखने लगा था।इन डायरेक्ट  स्पीच के सहारे मैने कई बार बताना चाहा था कि तुम मेरी पोएम रूपी जीवन का सेंट्रल आइडिया थीं।जैसे हर लेखक और कवि का उसके द्वारा कही गई पंक्तियों से एक आशय होता है वैसे मेरी भी हर बात का एक आशय होता था। जिसमें तुम्हारे संग जीवन बिताने का मेरा एक निश्चय रूपी मतलब छिपा था।
...#जलज कुमार

©JALAJ KUMAR RATHOUR पता नहीं जीवन के किस मोड़ पर हम फिर मिलेंगे।
शायद स्कूल के उस नीम के पेड़ के नीचे या उस चौराहे पर जहां तुम्हारा इंतजार करता सोलह साल का मैं,

JALAJ KUMAR RATHOUR

पता नहीं जीवन के किस मोड़ पर हम फिर मिलेंगे। शायद स्कूल के उस नीम के पेड़ के नीचे या उस चौराहे पर जहां तुम्हारा इंतजार करता सोलह साल का मैं, #जलज

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पता नहीं जीवन के किस मोड़ पर हम फिर मिलेंगे।
शायद स्कूल के उस नीम के पेड़ के नीचे या उस चौराहे पर जहां तुम्हारा इंतजार करता सोलह साल का मैं, बैठा रहता था।मेरी हर उदासी को हंसी में बदलने वाली तुम आज कल मेरी आंखों में नमी का कारण बनती हो।जैसे इंद्रधनुष आसमान को खूबसूरत बनाता है वैसे ही मुझे तुम्हारा साथ खूबसूरत नजर आता था।अब जब भी घर आता हूं तो तुमसे मुलाकात की ऐसी तड़प होती है जैसी तड़प  छुट्टियों में नानी के घर से आने के बाद ,स्कूल में जाने के लिए किसी बच्चे को होती है।मुझे आज भी तुम्हारी जरूरत है जैसे आसमानी झूले पर बैठे किसी शक्श को होती है किसी का हाथ थामने की। मैं बचपन में जब भी अंग्रेजी स्कूल के बच्चों को देखता था तो उनकी अंग्रेजी से बहुत प्रभावित होता था और मन में एक प्रकार की घृणा भी होती थी।क्युकी उनकी अंग्रेजी की दो लाइन हमारी हिंदी के याद किए कई श्लोकों से ज्यादा तारीफें बटोर लेती थीं।पर जब तुम्हे पहली बार देखा था तो अंग्रेजी से मुझे पहली बार प्रेम हुआ था और शायद तुमसे भी।फ्यूचर टेंस के सहारे तुम्हारे संग मैं अपना भविष्य देखने लगा था।इन डायरेक्ट  स्पीच के सहारे मैने कई बार बताना चाहा था कि तुम मेरी पोएम रूपी जीवन का सेंट्रल आइडिया थीं।जैसे हर लेखक और कवि का उसके द्वारा कही गई पंक्तियों से एक आशय होता है वैसे मेरी भी हर बात का एक आशय होता था। जिसमें तुम्हारे संग जीवन बिताने का मेरा एक निश्चय रूपी मतलब छिपा था।
...#जलज कुमार

©JALAJ KUMAR RATHOUR पता नहीं जीवन के किस मोड़ पर हम फिर मिलेंगे।
शायद स्कूल के उस नीम के पेड़ के नीचे या उस चौराहे पर जहां तुम्हारा इंतजार करता सोलह साल का मैं,
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