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Vedantika
इंतज़ार की घड़ियाँ कटती नहीं रात घनी डराती हैं मुझे अब तुम बिन ज़िंदगी ये चलती नहीं निगाह रास्ते से हटती नहीं 🌝प्रतियोगिता- 183🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌹"इंतज़ार की घड़ियाँ"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या क
Sarita Shreyasi
दादी उसकी कहती है, एक तिल बराबर, बेटी हर दिन बढ़ती जाती है। बिटिया बढ़ती है, घड़ियाँ घटती हैं, ममता की डोरी, समय-सीमा से, बंध जाती है, माँ की दिनचर्या, कई संकल्पों में, बँट जाती है। मन ही मन माँ डरती है, तिल बराबर नजदीकी उसकी, मुझसे हर दिन घटती जाती है। दादी उसकी कहती है, एक तिल बराबर, बेटी हर दिन बढ़ती जाती है। बिटिया बढ़ती है, घड़ियाँ घटती हैं, ममता की डोरी, समय-सीमा से, बंध जाती है,
Sarita Shreyasi
जीवन के इस भाग-दौड़ में,दो चार कदम साथ चलके, मेरी नजरें बचा के वो चुरा लेता हैं, अपने हिस्से के दो चार पल हमारी जिंदगी से, अपनी निजी खुशियों के लिए, कुछ संजोयी यादों और बातों के लिए, कुछ सँवरते ख्वाब से बारातों के लिए। तो क्यूँ स्नेह सरिता सिमट जाती है, उसके लिए फैलायी बाहें, खुद से ही लिपट जाती हैं। उसके ओर बढ़े कदम, उत्साहहीन हो कर लौट आते हैं। वो घड़ियाँ बिन जीये ही बीत जाती हैं, संजोयी हुई स्नेह संवेदनायें रीत जाती हैं। बातें अनकही ही रह जाती हैं, चाहतें यादें बन के रह जाती हैं। साझा जिंदगी से खुद के हिस्से के पल जीने पर, मेरा यूँ चुप हो जाना उसे अनोखा लगता है। पर इस तरह से यूँ पल चुरा लेना, न जाने क्यूँ, मुझे धोखा-सा लगता है। जीवन के इस भाग-दौड़ में, दो चार कदम साथ चलके, मेरी नजरें बचा के वो चुरा लेता हैं, अपने हिस्से के दो चार पल हमारी जिंदगी से, अपनी निजी खुशियो
Sarita Shreyasi
रेशमी डोरियों में बँध के, व्यस्त घड़ियाँ भी थम गयीं, माँ के लोरियों की थाप में, सूखी संवेदना भी नम गयीं। रेशमी डोरियों में बँध के, व्यस्त घड़ियाँ भी थम गयीं, माँ के लोरियों की थाप में, सूखी संवेदना भी नम गयीं।
Sita Prasad
हमें भी न बनना था, आँखों का तारा, प्यार प्यार में यार भी होता है सनम, तुझे सिर्फ महक दिखी इत्र की, खूबसूरती तो आँखों मे बसी है सनम।। 💞🌼लेखन संगी।🌼💞 🌸//सदाबहार//🌸 "आपकी बेइंतहा चाहत में हर्फ़-हर्फ़ दुनिया से हम बड़े बेकार हो गए... आप ग़ुलाब ढूँढते ही रहे यहाँ-वहाँ, हम इश़
Poonam Suyal
इंतज़ार की घड़ियाँ (अनुशीर्षक में पढ़ें) इंतज़ार की घड़ियाँ दिल में मचलते और करवटें लेते जज़्बात, दिल में छुपी पर लबों से ना निकलती वो बात जिसने चुराई उसकी रातों की नींद, खुली आँ
Poonam Suyal
\\ समाचार से कथानक तक दुनिया का सबसे रहस्यमयी पत्थर, काटने पर निकलता है खून पत्थर से निकलता खून - कितना सच (अनुशीर्षक में पढ़ें) दुनिया का सबसे रहस्यमयी पत्थर, काटने पर निकलता है खून पत्थर से निकलता खून - कितना सच रोज़ सुबह की तरह आज भी चाय के साथ पढ़ने के लिए समाचा
Poonam Suyal
इंतज़ार की घड़ियाँ खत्म हुईं जब उनसे रूबरू हम हुए देखते ही उनको दिल के तार झंझना उठे आँखों से मिली आँखें दिल से दिल मिले लगाया जब प्यार से उन्होंने हमें गले बस उनमें हम खो गए 🌝प्रतियोगिता- 183🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌹"इंतज़ार की घड़ियाँ"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या क
Niraj Kumar
हर पल रहा मैं बेकरार गिन-गिन घड़ियों की रफ्तार। तोड़ बंदिशें रिश्तों की जोड़ ली यारी जब तेरा साथ।। एक तू जाने या मैं जानूं जो थी बातें दिल के पास। हर ओर इशारा करके भी जोड़ ना पाए जो रिश्ते थे खास।। इन्तजार है अब भी मुझको लौट आए जो दिन थे साथ। बदल सकूं शायद मैं उस पल को विश्वास की डोर थाम रखा है अपने हाथ।। 🌝प्रतियोगिता- 183🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌹"इंतज़ार की घड़ियाँ"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या क
purvi Shah
वक्त के हाथों यूं ही गुज़र रही ज़िंदगी...! इंतजार की घड़ियों में बीते है यारियां...! यारों के साथ जहां हर पल गुजरते थे..! आज तो सबके सर पे है जिम्मेदारियां..! 🌝प्रतियोगिता- 183🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌹"इंतज़ार की घड़ियाँ"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या क