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arvind Jain
Prerit Modi सफ़र
शे'र- आग जलती है दिल के समंदर में जब जब तू दूर मुझसे होती है शबनम सी दरख़्शाँ आ बैठती है दिल में जब जब पास तू होती है शबनम- ओस की बूंद दरख़्शाँ- चमक हर शाम एक आग सी जलती है दिल में मेरे जुगलबंदी करती हैं "आईए जुगलबंदी करें इस ज्वलनशील छवि व अग्निमयी वाक्य
#maxicandragon
कल हर किरदार बखूब चमक रहे थे वहाँ........ वो बेहतर से बेहतरी कर रहे थे वहीं....... वो कहने को अपने जलकुकडे ज्वलनशील पदार्थ से धधक रहे थे गुरूर घमंड पुराना पडा रहा होगा अंदर उनके कहीं मन के कोनों में चमक नई चुभन दे रही थी उन्हें तो क्या करते, कुसमुसा रहे थे जो "मैं " था छुपा अंदर कहीं क्यों नहीं टटोल रहे थे वो "अहम्" में फंसे पडे आज भी और हम थे कि तेरे "मैं "को "हम" कर रहे थे #हम_और_अहम् #Sadharanmanushya ©#maxicandragon कल हर किरदार बखूब चमक रहे थे वहाँ........ वो बेहतर से बेहतरी कर रहे थे वहीं....... वो कहने को अपने जलकुकडे ज्वलनशील पदार्थ से धधक रहे थे
Vandana
तेरे पास आके मेरा वक्त गुजर जाता है,,, दो घड़ी के लिए गम जाने कहां जाता है,,, दिलों दिमाग में जो खलबली मची हो वो यहां आकर उतर जाता है,,, कुछ रचनाएं पढ़कर कुछ शायर पढ़ कर किसी के लंबे लेख पढ़कर,,, परेशान करने वाली बात जो दिमाग में घूम रही थी जाने कहां लापता हो जाती है। फिर वही खुशनुमा बातें दिमाग में मंडराने लगती हैं,,,, अच्छे विचारों से मन भर जाता है,,,, Yourquote में आने से जो दुनिया में चल रहा है जो आसपास जल रहा है,, कुछ पल के लिए हम किसी ऐसे अनंत लोक में पहुंच जाते हैं जो जमीन से कहीं दूर
Vandana
बहुत सी बातों को मैंने भीतर प्रवेश करने से रोका है फिर जाकर मेरे मन मस्तिक की शांति बरकरार रही,,, कई ऐसी बातें रह रह कर आ रही थी बार-बार मन के दरवाजे बंद करने पर भी खटखटा रही थी,, सहसा खुद-ब-खुद का ध्यान उन ज्वलनशील विचारों में चला जाता
Ravendra
Ravendra
Mularam Bana
समाज, दीपावली और पर्यावरण दीपावली विशेष भारतीय जन मानस की स्मृतियों में रचा-बसा है कि दीपावली के ही दिन भगवान राम लंका विजय कर अयोध्या लौ
कॉकटेल