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ANOOP PANDEY
White यही मैं सोचता हूँ यार अब कोई पास ना आये ना आके पास में यारा कोई भी दिल को धड़काये बहुत ही सह चुका मैं यार अब ना ही ओ हिम्मत हैं मेरा यह दिल बना पत्थर नहीं अब कोई जरूरत है जो तुमसे बन पड़े यारा तो बस अहसान कर देना दिखूं जिस रास्ते पर मैं वहाँ से तुम निकल लेना ना आना पास में बिल्कुल मेरे ना दिल को धड़काना जो आये बात गर कोई तो फिर बेशक मिटा जाना खड़ा जिस रास्ते पर मैं वहाँ से दूर मंजिल हैं नहीं बाकी कोई भी यार चाहत ना ही राहत है मेरे दिल में नहीं कोई भी मूरत मात्र खंडहर है ©ANOOP PANDEY #LO√€ #शून्य राणा Bhawna Sagar Batra Kshitija Mahi Sweety mehta
ANOOP PANDEY
White तुम्हारे इश्क से हमनें सनम खुद को बचाया है लगाकर आग खुद में ही सनम खुद को सजाया है मुझॆ जो इश्क कर बैठे तो फिर ये गलती तुम्हारी है तुम्हारे प्यार की कीमत सनम ये जाँ हमारी है कि हमनें कर दिया खुद को समर्पित इक कान्हा को वही बस है मेरे मन में वही श्रद्धा हमारी है बस उन्हें ही पूजते है यार हम सिर भी नवाते है जो आयें ध्यान में कान्हा तो फिर हम मुस्कुराते है ना कोई भी ओ शिकवा है ना कोई भी शिकायत है मेरे चित में बसे कान्हा ये दिल राधे दीवाना है ©ANOOP PANDEY #love_shayari Sweety mehta Bhawna Sagar Batra Anshu writer Kshitija sweetie Bhumi
ANOOP PANDEY
White यूँ जो खामोश रहता है तो कोई बात तो होगी तेरे हर दिन पे भारी यार कोई रात तो होगी कोई तो होगा वो मंजर जहाँ पे सब ही थम जाये कहीं कोई सिसकती यार मेरे आह तो होगी जो तूने ना बताया अब तलक वो आज कह देना कहूं मैं बस यही तुझसे कि थोड़ा खुलके जी लेना जो अंदर है तेरे रहता उसे क्यों? दर्द देता है अरे वो है तेरा ही दिल जो हरदम ही धड़कता है अगर जो रुक गया वो तो तू फिर कुछ ना बोलेगा तेरे अंदर बसा जो राज है उसको ना खोलेगा अभी भी कह रहा हूँ तुझसे तू इक बार तो कह दे भुलाकर रंज ओ गम सारे खुशी से यार तू जी ले ©ANOOP PANDEY #sad_feeling ~pooja Sharma 1111 Sweety mehta #शून्य राणा Anshu writer Bhawna Sagar Batra
Krishna chandra
Manpreet Gurjar
नन्हे-मुन्ने हाथों में, कागज की नाव ही बचपन था । जिसके नीचे खेले वो, पीपल की छाँव ही बचपन था। कभी झील सा मौन कभी, लहरों सा तूफानी बचपन, कभी - कभी था शिष्ट कभी, करता था मनमानी बचपन। गिल्ली-डंडा, दौड़-पकड़, खोखो के खेल निराले थे, साथ मेरे जो खेले मेरे, यार बड़े मतवाले थे। जिसे छुपाते थे माता से, ऐसा घाव ही बचपन था । नन्हे-मुन्ने हाथों में, कागज़ की नाव ही बचपन था। पापा के उन कंधों की तो, बात ही थी कुछ खास। बैठ कभी जिन पर यारों, हम छूते थे आकाश । मां की रोटी के आगे सब, फीके थे पकवान । सचमुच मेरा बचपन था, इस यौवन से धनवान। जाति, धर्म के भेद बिना का, प्रेम भाव ही बचपन था। नन्हे-मुन्ने हाथों में, कागज़ की नाव ही बचपन था। बीत गया ये बचपन भी, यौवन भी हुआ अचेत, हाथों से फिसली जाती है, जैसे कोई रेत। बचपन का वो दौर जिगर, फिर ला सकता है कौन, बचपन की यादों में खोकर, हो जाता हूं मौन। गाय, खेत, खलिहानों वाला, अपना गाँव ही बचपन था, नन्हे - मुन्ने हाथों में कागज़ की नाव ही बचपन था । ©Manpreet Gurjar #bachpan Anshu writer Munni Bhawna Sagar Batra Dheeraj Bakshi Nidhi rajput
Riyashaikh
Ab dard e judai saha nahi jata or ye dard kisi se kaha nahi jata koi ho humdard mera to keh do jakr usse main ishq main itna nikal gayi hu aage uske bina raha nhi jata ©Riyashaikh #watchtower pooja_Rajput Manu Govind Batra Santosh Verma दक्ष आर्यन Himshree verma
#शून्य राणा
(क्या हुए) वो दिल पे ज़ख्म खाने वाले क्या हुए ,, वो जान को लुटाने वाले क्या हुए ,, कहां गए वो रास्ते के पत्थर ,,वो ठोकरे खाने वाले ,,क्या हुए ।। # क्या हुई वो बेहकती सांसे ,,वो धड़कने बढ़ाने वाले क्या हुए ,, कौन कहता था मेरी रगो में बसर करते हो तुम ,,वो खुद को चीर कर दिखाने वाले,, क्या हुए ।। # गुम हो गई वो शोखरंग तितलियां,,वो गुलिस्तां उगाने वाले क्या हुए ,, कहां गई वो समंदर की मछलियां,,वो कश्तियां चलाने वाले ,,क्या हुए ।। # क्या हुए वो चांद को चाहने वाले ,,हाल तारों को सुनाने वाले क्या हुए , कहां गए वो रात भर लिखने वाले ,, सुबह पन्नो को जलाने वाले ,,क्या हुए ।। # कहां गई काफिलों से रौनक बहार की ,,खेल कटपुतलियों का दिखाने वाले क्या हुए ,, वो कहते थे हर सफर में साथ होंगे हम ,, आरज़ू वस्ल की जगाने वाले ,,क्या हुए ।। # बात बात पर बिगड़ जाते थे वो दोस्त मयखाने वाले मेरे ,,अब मैं अकेला ही यादों का सागर गले से उतारता हूं,,एक जाम फिर एक और जाम ,,फिर जाम पर जाम ,,मेरा हौसला बढ़ाने वाले ,,क्या हुए ।। # ©#शुन्य राणा #वो क्या हुए ।Bhawna Sagar Batra Sircastic Saurabh नीर silent Preet Kaur Sardarni......,,
pooja yadav
insta@words from heart99
KINARO KI TALASH ME BADHE CHALTE HAI BAS BHOOL KAR KHUSHI KYA HAI BHAGE CHALTE HAI BAS AAJ ME TO JEENA... JESE BHOOL HI JATE HAI, NA JANE KYU AAKHIR KAL KI SOCH AAJ KO BIGAD JATE HAI JODATE REH JATE HAI DAULAT KO AUR MAN KI ICHCHAO KO HAR WAQT DABATE HAI AUR PATA BHI NAHI CHAL PATA PHIR KAB NA JANE GUZAR JATE HAI ©insta@words from heart99 #SunSet Puneet Arora Sunny Manu Govind Batra DM Yadav Mahendra Maddheshiya विवेक कुमार