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Parasram Arora

भक्त और भगवान का रिश्ता

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Unsplash भक्त और भगवान
 का रिश्ता दिख जाता 
है कभी कभी मंदिरो मे 

अच्छा लगता 
भगवान को अगर
 उसे तुमने अपने घर 
बुला कर पूजा होता

©Parasram Arora भक्त और भगवान का रिश्ता

Nurul Shabd

#दिल #का #रिश्ता #एक ऐसा बंधन है

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pitandru

पति पत्नी रिश्ता 😁 #Comedy #pitandru

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Parasram Arora

i एक नूई कविता का प्रजनन

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White उलझन वाले छंदो 
मे उलझ कर 
कविता मेरी थक
 कर हाफने लगी है

लगता है  अब एक
 नई कविता 
मन के केनवास पर 
कहीं जन्म न लें रहीं हो

©Parasram Arora i एक नूई कविता का प्रजनन

Dinesh Sharma Jind Haryana

White रिश्ता होने से रिश्ता नहीं होता
रिश्ता निभाने से रिश्ता होता है

©Dinesh Sharma Jind Haryana #रिश्ता

Ganesh Din Pal

#रूह और जिस्म का रिश्ता

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Sunil Kumar Maurya Bekhud

पत्नी
घूम रहे थे बेलगाम हो
बन गलियों में छुट्टा
मन लालचाये देख सुनहरा
उड़ता हुआ दुपट्टा

परेशान हो रब ने बाँधा
आज एक खूँटे से
जिससे दूर नहीं जा सकते
अपने बल बूते से

उसके चारो तरफ घूमना
मजबूरी है अपनी
कोई कहता है घरवाली
कोई कहता पत्नी

बेखुद गलत राह चलने से
हरदम हमें बचाती
कभी नाचती खुद ऊँगली पर
हमको कभी नचाती

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #पत्नी

अनिल कसेर "उजाला"

रिश्ता

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नवनीत ठाकुर

#प्रकृति का विलाप कविता

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जमीन पर आधिपत्य इंसान का,
पशुओं को आसपास से दूर भगाए।
हर जीव पर उसने डाला है बंधन,
ये कैसी है जिद्द, ये किसका  अधिकार है।।

जहां पेड़ों की छांव थी कभी,
अब ऊँची इमारतें वहाँ बसी।
मिट्टी की जड़ों में जीवन दबा दिया,
ये कैसी रचना का निर्माण है।।

नदियों की धाराएं मोड़ दीं उसने,
पर्वतों को काटा, जला कर जंगलों को कर दिया साफ है।
प्रकृति रह गई अब दोहन की वस्तु मात्र,
बस खुद की चाहत का संसार है।
क्या सच में यही मानव का आविष्कार है?

फैक्ट्रियों से उठता धुएं का गुबार है,
सांसें घुटती दूसरे की, इसकी अब किसे परवाह है।
बस खुद की उन्नति में सब कुर्बान है,
उर्वरक और कीटनाशक से किया धरती पर कैसा अत्याचार है।
 हरियाली से दूर अब सबका घर-आँगन परिवार है,
किसी से नहीं अब रह गया कोई सरोकार है,
इंसान के मन पर छाया ये कैसा अंधकार है।।

हरियाली छूटी, जीवन रूठा,
सुख की खोज में सब कुछ छूटा।
जो संतुलन से भरी थी कभी,
बेजान सी प्रकृति पर किया कैसा पलटवार है।।
बारूद के ढेर पर खड़ी है दुनिया, 
विकसित हथियारों का लगा बहुत बड़ा अंबार है।
हो रहा ताकत का विस्तार है,खरीदने में लगी है होड़ यहां, 
ये कैसा सपना, कैसा ये कारोबार है?
ये किसका विचार है, ये कैसा विचार है?
क्या यही मानवता का सच्चा आकार है?

©नवनीत ठाकुर #प्रकृति का विलाप कविता

Amit Seth

पत्नी को पति के किस तरफ सोना या बैठना चाहिए nojoto #viral #Trending

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