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Shivkumar

VoteForIndia Vote चुनाव मतदान Politics { ∆ कड़क कविता किसी को पता नहीं है, लेकिन मैं इसे साझा कर रहा हूं क्योंकि मैं इस विचार को

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- हर तरफ़ है बहार होली में । दिल को आया करार होली में ।।१ देखकर जो बदलते थे रस्ता । #शायरी

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Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. ग़ज़ल :-
हर तरफ़ है बहार होली में ।
दिल को आया करार होली में ।।१
देखकर जो बदलते थे रस्ता ।
वो भी आयें हैं द्वार होली में ।।२
इस तरह अब वफ़ा करो हमसे ।
हो जाऊँ मैं बीमार होली में ।।३
आप ऐसे अगर हमें चाहें ।
जान भी दूँगा वार होली में ।४
दुश्मनी भूल अब सभी जाए ।
रब से करता पुकार होली में ।।५
पी लिया भंग आज भी जिसने ।
बरसा उनपे ही प्यार होली में ।।६
हाथ में हाथ तुम प्रखर देना ।
तो करूँ इंतजार होली में ।।७
२५/०३/२०२४   -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-

हर तरफ़ है बहार होली में ।

दिल को आया करार होली में ।।१


देखकर जो बदलते थे रस्ता ।

ਸੀਰਿਯਸ jatt

ले मूत दिया तेरी Loyality पर अब बोल 😏 ऐसी loyality गांड में डाल दूँगा! Loyality का L भी पता है??? लड़कियों को.... तुम लोग वही धंधा करो जो क #Videos

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल किसी के प्यार का दीपक जलाता आज भी हूँ मैं । वफ़ा करके भी उससे क्यों जुदा सा आज भी हूँ मैं ।।१ बुझाना चाहता हूँ मैं वफ़ा का आज वह दीपक । म #शायरी

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Blue Moon ग़ज़ल
किसी के प्यार का दीपक जलाता आज भी हूँ मैं ।
वफ़ा करके भी उससे क्यों जुदा सा आज भी हूँ मैं ।।१

बुझाना चाहता हूँ मैं वफ़ा का आज वह दीपक ।
मगर मजबूर हूँ उनका ठिकाना आज भी हूँ मैं।।२

मिलेंगे वो गली में तो बदल मैं  रास्ता दूँगा ।
खबर ही थी नहीं ये की निशाना आज भी हूँ मैं ।।३

न जाने क्यूँ कदम मेरे खिचें यूँ ही चले जाते ।
कोई बतला  मुझे ये दे मिटा क्या आज भी हूँ मैं ।।४

जुदा होकर भी उनसे क्या कहूँ दिल की तमन्ना को 
 दिया सा राह में ये दिल जलाता आज भी हूँ मैं ।।५

खिलौना वह समझकर जिस तरह मुझ से यहाँ खेलें ।
उन्हीं से यार अब रिश्ता निभाता आज भी हूँ मैं ।।६

सुना दो तुम प्रखर अब तो खबर उस बेवफ़ा की कुछ ।
यहाँ जिसके लिए आसूँ बहाता आज भी हूँ मैं ।।७
१६/०३/२०२४       -     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल
किसी के प्यार का दीपक जलाता आज भी हूँ मैं ।
वफ़ा करके भी उससे क्यों जुदा सा आज भी हूँ मैं ।।१

बुझाना चाहता हूँ मैं वफ़ा का आज वह दीपक ।
म
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