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DrRavikirti Didwania
पाखंड भरे परिवेश में लोगो के मन के द्वेष में सेवा का यही मोल है सबको लगे कोई लोभ है जो काम करे लोभ में वो तोले सबको क्षोभ में तू सेवार्थ बन बस त्याग कर समाज का विकास कर । तूने ठानी है रक्षा की बात न कर व्यवस्था की तू सेवा कर तू सेवा कर । चाहे हँसते हो साथी तुझपे काम से जो फिरते छुपते करते चाहे सवाल बेतुके तू ही सोच तू क्यों रुके ? तेरा तो परमार्थ यही है जीवन का सत्यार्थ यही है तू सेवार्थ बन बस त्याग कर समाज का विकास कर । #ravikirtikikalamse #सेवार्थ
NEERAJ SIINGH
आज बहुत से लोग किडनी के स्टोन से पीड़ित हैं निशुल्क इसके इलाज के लिए संपर्क कर सकते हैं 7880008699 #neerajwrites किडनी स्टोन का निशुल्क इलाज, मानव सेवा सेवार्थ पोस्ट
yogi priynka sewarth
राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम ©yogi priynka sewarth सच्चा प्रेम किसे कहते है 👉योगी प्रियंका सेवार्थ #Love #viral #New
अल्पेश सोलकर
‘आई’ तुजविण जग हे शून्य' शोधून मिळत नाही पुण्य सेवार्थाने व्हावे धन्य कोण आहे तुजविण अन्य? ‘आई’ तुजविण जग हे शून्य! ‘आई’ तुजविण जग हे शून्य शोधून मिळत नाही पुण्य सेवार्थाने व्हावे धन्य कोण आहे तुजविण अन्य? ‘आई’ तुजविण जग हे शून्य!
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलिया :- पढ़ लें यह संदेश अब , मानव सभी महान । जीव जन्तु के एक हम , मात्र सहारा जान ।। मात्र सहारा जान , करें उनका संरक्षण । यह मानव का धर्म , करें मत उनका भक्षण ।। बनकर हम सेवार्थ , चलो जीवन को गढ़ लें । वह तो है असहाय , कहानी फिर हम पढ़ ले ।। १७ /०३/२०२३ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR पढ़ लें यह संदेश अब , मानव सभी महान । जीव जन्तु के एक हम , मात्र सहारा जान ।। मात्र सहारा जान , करें उनका संरक्षण । यह मानव का धर्म , कर
बी.सोनवणे
(सुधाकरी अभंग रचना) निर्भया पथक "निर्भया पथका" । द्या एकच हाक । पडेलं तो धाक । नराधमा...॥१॥ कोण हो पाहीलं । दृष्टं नजरेनं । रक्षणा राहेनं । खाकी वर्दी...॥२॥ मनी हा विश्वास । नकोच हो डर । जगूया निडर । समाजात...॥३॥ पुरे झाले असे । षंड दृष्ट कृत्यं । निचं हे प्रवृत्त्यं । नालायका...॥४॥ "निर्भया पथक" । सदा रक्षणार्थं । आमच्या सेवार्थं । आहे आता...॥५॥ लचके तोडालं । जर तुम्ही पुन्हां । माफ नाही गुन्हां । समजलं...॥६॥ तिथेचं मिळेलं । जो केला अन्याय । लगेचं तो न्याय । नराधमा...॥७॥ ✒बी.सोनवणे मुंबई (सुधाकरी अभंग रचना) निर्भया पथक "निर्भया पथका" । द्या एकच हाक । पडेलं तो धाक । नराधमा...॥१॥ कोण हो पाहीलं । दृष्टं नजरेनं ।