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Stories related to प्रथम डायरी लेखक

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PФФJД ЦDΞSHI

PФФJД ЦDΞSHI

Anuj Ray

# पुरानी डायरी " #कविता

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Sandeep Sagar

#Moon सागर की डायरी से #शायरी

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White आधा चांद आधा सूरज 
आधा मैं बंजारों सा 
आधी आधी दुनिया फिर भी 
पूरी तुम इन तारों सा।।

©Sandeep Sagar #Moon सागर की डायरी से

Sandeep Sagar

#Road सागर की डायरी से #शायरी

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White गिरे आँखों से आँसू तो लगे बहने लगी नदियाँ 
कि जैसे बिन तुम्हारे कट गयी मेरी पूरी सदियाँ 
वो मेरी भूल थी जो तुमको मैंने प्यार था समझा
नहीं तो यूँ गुजर जाती थी एक तूफ़ाँ भरी रतियाँ।

मुझे अब ख़्वाब भी वो लगने लगे है यूँ परायों से 
की जैसे तितलियाँ उड़ने लगी है इन सरायों से 
तुम्हे मैं दूँ बना एक आदमी वो भी मुन्तशिर सा
मगर ना दूँ तुम्हें वो दिल जो तुम भरते थे किरायों से।

मुझे अब एक नदी सी घाट घाट दरिया में जानी है 
पहाड़ों,पेड़ पर जाना खुद ही पंछी सी ठानी है 
वो एक पर्वत के पीछे एक बड़ी सी शांत घाटी है 
वही जीना वही मरना यही बस जिंदगानी है।।

©Sandeep Sagar #Road सागर की डायरी से

jitendra sharma

रामलला प्रथम सूर्यभिसेक दर्शन l #भक्ति

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Gaurang patel

#Emotional मेरी डायरी से।। #भक्ति

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Sandeep Sagar

सागर की डायरी से #कविता

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Night sms quotes messages in hindi  नींद पकड़ के बैठा हूँ मैं,इन काली सी रातों में 
जाने क्यों एक टीस उठा है,ख्वाबों वाली बातों में 
ये ख़्वाब ख़्वाब ही होते है,ना होते है ये संजीदा 
फिर क्यूँ मेरी आँखें हुई लाल,इन ख़्वाबो की मुलाकातों में।।
क्या मैं तुमको ढूँढ रहा था,या मैं खुद की परछाई 
या फिर खुद की देख हकीक़त आँख बंद से खुल आई 
मैंने बस एक डर देखा था,डर भी वो नादान सा था 
जाग के भागा था जिस डर से,फिर वही डर आँखों में आई।।

©Sandeep Sagar सागर की डायरी से

Rajik K

इश्क डायरी #हॉरर

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Gurudeen Verma

शीर्षक- और तो क्या ?
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खास तुम भी होते साथ में,
या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में,
और तो क्या ?
 यह खुशी दुगनी नहीं होती।

ये दिन सुकून से गुजर जाते,
मगर इस शक की दीवार को तो, 
तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी,
और अपने अहम को भी,
छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी।
और तो क्या ?

लोगों नहीं मिल जाता अवसर,
कहानियां नई गढ़ने का,
वहम को और बढ़ाने को,
लेकिन इसमें हार तो,
हम दोनों की ही होती,
लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है,
मेरे हारने का कोई गम।

मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता,
मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ ,
भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ ,
फिर भी मिल जाये कुछ खुशी,
आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए,
जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक,
और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली,
और तो क्या ?
हंस लेता मैं भी--------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #लेखक
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