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Stories related to सरींनी मन हे बावरे

Nilam Agarwalla

#“मन”

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Unsplash 
मन तो पापी मतवाला है, नहीं किसी की सुनता है।
क्षणभर के सुख की खातिर जो,गलत राह पर चलता है।
समझाए से नहीं समझता, पछताता फिर जीवन भर 
आंसू बहते रहते दृग से, पल-पल आहें भरता है।।
स्वरचित -निलम अग्रवाला, खड़गपुर

©Nilam Agarwalla #“मन”

Sunil Kumar Maurya Bekhud

#मन

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मन
मन सबके जीवन का
बहुत बडा है अंग
जिधर चाहता है ले जाता
करता रहता जंग

कभी शांत रहता है बिल्कुल
कभी करे उत्पात
अपने दिल में रोज बुलाये
सपनों की बारात

कोई बांध कर रखता इसको
कोई रखे स्वतंत्र
परोपकार में कभी लगे तो
कभी रचे षडयंत्र

हार मानता मानव बेखुद
जब करता मनमानी
जीवन भी करता रहता है
सबका मन नादानी

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #मन

Avinash Jha

#मन

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White मन है,
चाहता है आसमानों को छूना,
सितारों की राहों में खुद को ढूँढ़ना।
जंगलों की खामोशी में छिपा,
एक गीत सुनना,
या नदी की लहरों संग बह जाना।

मन है,
जो सपनों की कश्ती में बैठ,
दूर कहीं चला जाता है।
कभी बूँदों की चुप्पी समझता है,
कभी आँधियों से सवाल करता है।

मन है,
जो छोटे-छोटे सुखों में
खुशियों का संसार बुनता है।
कभी अकेलेपन में साथी बनता,
तो कभी भीड़ में खुद को खोता है।

मन है,
जो बंद दरवाज़ों को खोलता है,
आस की किरणें समेटता है।
हर धड़कन में एक कहानी रचता,
हर ख्वाब में जीवन रचता।

मन,
न थमता है, न रुकता है।
यह तो बस उड़ान भरता है,
आसमानों से परे
अपनी ही दुनिया बसाता है।

©Avinash Jha #मन

Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)

#मन

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White मेरे मन की किताब में
तुम ही तुम मगर 
"तुम" तो नही..!
पन्ने-पन्ने जिक्र है
तुम्हारे रूप रंग
स्वभाव का..
भाव का..
जिसके हो 
सार तुम
भार तुम 
 मगर
"तुम"
 तो 
नही..!

©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #मन

Dr. Bhagwan Sahay Meena

मन

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Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)

#मन

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कद न अंगुष्ट सा 
  मन बैरी दुष्ट सा
       नैनों से नीर ले 
             पैरों को पीर दे 
                चर्म चर्म चीर के.. 
                  आप में संतुष्ट सा 
                      अंग अंग रुष्ट सा... 
                          मन बैरी दुष्ट सा...
         करता मनमानी है 
          आफत में प्राणी है.. 
              इसकी ना मानी तो 
                   काया को हानी है 
                      रोग लगे कुष्ट सा.. 
                          मन बैरी दुष्ट सा..
अवलम्बित देह का 
  स्वारथ के नेह का 
         प्रेरक प्रमेह का
          सत्य में संदेह सा 
             छिन छिन में पुष्ट सा.. 
                 मन बैरी दुष्ट सा..
संगी एकांत का 
     प्यासा देहांत का  
        मृत्यु तक छोड़े ना.. 
           दामन भी तोड़े ना.. 
               उददंड अतुष्ट सा...
                  मन बैरी दुष्ट सा..

©अज्ञात #मन

vs dixit

#मन

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Satish Kumar Meena

#हे पांचाली नमन करो

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Satish Kumar Meena

#हे पांचाली नमन करो

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दुशासन ने चीरहरण किया, 
प्रभु बचाने आए लाज तेरी।
हे पांचाली! नमन करो इन्हे,
ये पांडवों के हृदय के भेरी।।

मन कर्म वचन ये सब,
भरी सभा में मूक हुए।
युधिष्ठिर भीम अर्जुन,,
सबके निशाने चूक गए।
ऐसा लगा मानवता के,
पैर लड़खड़ाने वाले हैं।
वो तो श्री कृष्ण है जो,,
जग को बचाने वाले हैं।

रण हुंकार भरेगी अब फिर,
उठेगी लपटे बदले की तेरी।
हे पांचाली! नमन करो इन्हे,
ये पांडवों के हृदय के भेरी।।

पतन को जतन से उभारे,
वो चौसर के सरताज है।
जहां किसी पर गिरे गाज,,
वहां सांप ऊपर बाज है।
कहां गए ये पंच तत्व सब,
जिन्हे भ्रम ने घेरा है।
द्रोपदी के चीर हरण को,,
इन सब ने ही उकेरा है।

इसके खून से वेणी धुलेगी,
प्रण करे भार्या के प्रहरी।
हे पांचाली! नमन करो इन्हे,
ये पांडवों के हृदय के भेरी।।

©Satish Kumar Meena #हे पांचाली नमन करो

Kamlesh Kandpal

मन

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मन का दीपक जला लो,बस एक बार ,
फिर कोई भी अन्धेरा, तुम्हें  डरा नहीं पायेगा

जीत जाओगे जिस दिन खुद को खुद  से ,
फिर कोई तुम्हें ,हरा नहीं पायेगा

©Kamlesh Kandpal मन
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