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Preet💕
तुम इत्र, महक मैं तुम मुस्कान, चहक मैं तुम बादल, मैं बरखा तुम कनक, चमक मैं तुम नदीश, मैं सरिता तुम वृक्ष, मैं लतिका तुम दिनकर, किरन मैं तुम आर्यपुत्र, मैं वनिता तुम जिस्म, मैं रूह तुम कोयल, मैं कूह तुम दिल, मैं धड़कन तुम चाहत, मैं तड़पन तुम अम्बर, मैं धरती तुम सुगंध, मैं मंजरी तुम शब्द, मैं अर्थ तुम नहीं, मैं व्यर्थ #कनक - #सोना #नदीश - #सागर, #सरिता - #नदी #लतिका - #बेल #आर्य - #पति, #वनिता - #पत्नी #मंजरी - #फूल
✍️ लिकेश ठाकुर
Lockdown2.0 D2#poem2.2 #श्रृंगार हे तरुणी, प्रदीप प्रिया तू लतिका रूपी, हरिप्रिया तुम कुछ खास हो, तुझसे ही नर नारायण ऊपजे, तू सृष्टि रचित विधान हो। नाराच धनुष पर चढ़ी प्रत्यंचा, प्रभुता प्रखर ससम्मान हो। तू वारिद सी जब गरज उठे, तीव्र तड़ित उठी चाल हो। व्योम में उमड़े आलोक सी, प्रकृति का प्रदत उपहार हो।। ✍️कवि लिकेश ठाकुर *तरुणी-सुन्दरी;प्रदीप-प्रकाश;लतिका-लताएँ;हरिप्रिया-कमला;नाराच-तीर;प्रत्यंचा-धनुष की डोरी;वारिद-बादल;तड़ित-बिजली;व्योम-आकाश;आलोक-उजाला Lockdown2.0 D2#poem2.2 #श्रृंगार हे तरुणी, प्रदीप प्रिया तू लतिका रूपी, हरिप्रिया तुम कुछ खास हो, तुझसे ही नर नारायण ऊपजे, तू सृष्टि रचित
Pnkj Dixit
🌷 मैं प्रेम समझूँगा 🌷 लजाकर पलकें उठाकर झुका दीजिए 🌷 मैं प्रेम समझूँगा 🌷 लपेटकर कलम - सी तर्जनी अंगुली पर दुपट्टे का कोना माणिक दन्त पंक्तियों में दबा लीजिए 🌷 मैं प्रेम समझूँगा 🌷 कुरेदकर भूमि की नर्म देह को दाएँ पद के अँगूठे से सुराहीदार गर्दन को मौन स्वीकृती से व्योम से धरा की तरफ हिला दीजिए 🌷 मैं प्रेम समझूँगा 🌷 बलखा कर युवान सरिता की तरह कोमल लतिका - सी लचका कर हिरनी - सी कमर पर घन नागिन सी चोटी को लहरा दीजिए 🌷मैं प्रेम समझूँगा🌷 हम हृदय से जीवन भर आभार जताते रहेंगे घर के आँगन की तुलसी बनकर हमारा जीवन महका दीजिए 🌷 मैं प्रेम समझूँगा 🌷 २३/०७/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' 🌷 मैं प्रेम समझूँगा 🌷 लजाकर पलकें उठाकर झुका दीजिए 🌷 मैं प्रेम समझूँगा 🌷 लपेटकर कलम - सी
Pnkj Dixit
💖 चाँदनी दूधिया रात में दोपहर का दूधिया गुलाबी रंग चलचित्र की तरह आँखों के सामने है। उधर तुम मेरी बातों को सोचते हुए रंगबिरंगे फूलों से सजी मखमली रजाई को सीने पर लतिका-सी कोमल बाहों और घुटनों के बीच दबाए हुए मुस्कुरा रही हो। कभी होंठों से चूमती हो तो कभी गालों पर छू लेती हो कभी मेरा चेहरा समझ प्यार से नरम हथेलियों से सहलाने लगती हो मुस्कराने के कारण गालों में खिला फूल रजाई पर छपे कमल को सरोवर की तरह अपने में समा लेता है। एहसास की गरमी का असर पलकों के परदे गिरा देता है। अब तुम मेरे काँधें पर सिर टिकाए स्वप्नलोक में विचरण कर रही हो। ०५/०२/२०२३ 🌷👰💓💝 ...✍️कमल शर्मा'बेधड़क' ©Pnkj Dixit 💖 चाँदनी दूधिया रात में दोपहर का दूधिया गुलाबी रंग चलचित्र की तरह आँखों के सामने है। उधर तुम मेरी बातों को सोचते हुए रंगबिरंगे फूलों से सजी
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"राधा का श्रंगार" २६/०६/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' आज का आयोजन __ चित्रलेखन दिन __ बुधवार दिनांक ___ २६/०६/२०१९ विधा ___ गीत #राधा_का_श्रंगार ______________ आ री राधिके! तेरे घन केश संवारु
Poonam bagadia "punit"
"नोजोटो की कहानी फिल्मों की जुबानी" (Read in caption)😊 "नोजोटो के हर "बॉडर" पर "स्वेता"दी कि "सत्यप्रेम" कहानी है "स्माइली" "स्वेता सिंह" औऱ "ऋतिका"की दुनिया दीवानी है हर "दिल" "दबंग" यहां पर "अं
Pnkj Dixit
काव्य संग्रह 👉💝 प्रेम अमर है 💝 🌷काव्य कृति 🌷 🌷प्रेम - राग 🌷 मन - हृदय पर होकर अंकित प्रिया अनजान नासमझ नहीं हो सकती । भोली नादान अल्हड़ कमसिन है पर , प्रेम में बेईमान नहीं हो सकती । प्रिय प्रियतमा हृदय में स्पंदन एक साथ हुआ होकर आलिंगनबद्ध दोनों में प्रेम प्रकाश हुआ। प्रेम की अग्नि जीवन बड़वाग्नि नहीं हो सकती मन प्रीत की रीत ये शमशान नहीं हो सकती। छू कर अधरों ने अधरों का मधुर रसपान किया कोमल केंचुली अंगों ने काम का आह्वान किया । कामान्ध नव - कलिका का मर्दन नहीं हो सकता नवजीवन की सहचरी पथभ्रष्ट नहीं हो सकती । कामातुर होकर नयनों ने रति का गुणगान किया कपोल ,ग्रीवा ,कर्ण ,केश को नेह से पुष्ट किया। उच्च श्वेत धवल हिम शिखर धूमिल हो सकता है आत्मिक प्रेममय होकर मति भ्रष्ट नहीं हो सकती । युविका का नवयौवन कंवल-सा प्रस्फुटित हुआ प्रेम में आसक्त हो कर रोम-रोम पुलकित हुआ । निश्छल प्रेम पर आत्मविश्वास कम नहीं हो सकता नारित्व धर्म से प्रियतमा विमुख नहीं हो सकती । लतिका-से कर पकड़ ,अंजुरी पर चुंबन अंकित किया छूकर अधरों से नाभि प्रदेश अंग-अंग सारगर्भित किया। प्रिय के प्रेम में प्रियतमा , सर्वस्व समर्पित कर सकती है किन्तु काम-वेग में निर्लज्ज अमर्यादित नहीं हो सकती। स्वर्ग-धरा का सारा वैभव नगण्य हो जाता है नर-नारी हृदय जब प्रेम आसक्त हो जाता है । कंवल मन - हृदय भाव उजागर कर सकता है किन्तु, कमल चरित्र पर कालिख नहीं हो सकती । २४/०६/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' मुजफ्फरनगर,उत्तर प्रदेश । काव्य संग्रह 👉💝 प्रेम अमर है 💝 🌷काव्य कृति 🌷 🌷प्रेम - राग 🌷 मन - हृदय पर होकर अंकित प्रिया अनजान नासमझ नहीं हो सक
Anil Siwach
Anil Siwach