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Subant Kumar dangi(Poet, Writer)
कभी टूटे न किसान .. कभी झुके न किसान. ये हैं देश के अभिमान, सम्मान करो।।। है ठंडी कड़क.. जाम पड़ी है सड़क.. है समस्या बड़ी, जल्द निदान करो।।।। ....सुब्बू किसान है खाद्यान्न है। तकनीक है विज्ञान है।। #farmersprotest
saurabh singh parihar
#NoRCEP भारत में दो वर्ग है एक उपभोक्तता है उसे सस्ता खाद्यान्न चाहिए और दूसरा वर्ग किसान है जिसे फसलो का उचित भाव चाहिए। चलो मान भी ले क
Ravi Shankar Kumar Akela
कृषि मनुष्य को सुविधाएं प्रदान करने के लिए पौधों और पशुधन की खेती करने की प्रथा है। गतिहीन मानव जीवन शैली के उदय में कृषि प्रमुख विकास थी। शहरी आबादी को भोजन उपलब्ध कराने के लिए पौधों और खाद्यान्नों की खेती वर्षों पहले शुरू हुई थी। ©Ravi Shankar Kumar Akela #Parchhai कृषि मनुष्य को सुविधाएं प्रदान करने के लिए पौधों और पशुधन की खेती करने की प्रथा है। गतिहीन मानव जीवन शैली के उदय में कृषि प्रमुख व
Divyanshu Pathak
हमारी संस्कृति-खान-पान, वेश-भूषा, त्योहार देवी-देवता आदि का लोक आधार तो भूगोल ही है। व्यावसायिक उत्पाद नहीं है (कॉमर्शियल क्राप्स)। :💕☕😊😊 खेती में भूगोल की भूमिका ही लुप्त हो गई। बाजरा-मक्का-ज्वार का स्थान गेहूं और चावल जैसे विषैले खाद्यान्न ने ले लिया है। गेहूं के नित नए
ck bable
"हमारी मेहनत कहाँ गई? " उन आँखों को देखकर लगता कुछ बच्चे -बूढ़े और नौजवान पूछने लगे हैं हमारी मेहनत कहाँ गई उसके जीवन के ओकलाहट लगता , आक्रंद करने लगे हैं, न जाने उसके मन के भीतर कितने घाव हैं जो पुछने लगे हैं हमारी मेहनत कहाँ है ? उन आँखों को देख कर लगता , मेहनतकश मजदूर- किसान पूछने लगे हैं हम जो करते रहे अपने ही खाद्यान्नों में काम हमारी मेहनत कहाँ गई ? आज पूछते हैं उनके बच्चे हम गरीब धन से वंचित हो गए हाशिए पर के लोग हमारा हक, हमारी मजदूरी कहाँ गई ? उद्योग धंधों में हम किए हैं काम देश की वेदना खुल कर दिखाउँगा इस टूटे हुए पल में अब कुछ न छिपाउँगा , जिसके बड़े बड़े मकान हैं वो करते दो नम्बर के काम हैं उसका सुखी है जीवन हम जो किए खेतों में काम हमारा हक ,हमारी मेहनत कहाँ है ? ©बाबलेck, 🖋 "हमारी मेहनत कहाँ गई " उन आँखों को देखकर लगता कुछ बच्चे -बूढ़े और नौजवान पूछने लगे हैं मेरी मेहनत कहाँ गई उसके जीवन के ओकलाहट
Ravendra
S. Bhaskar
सींच के लहू अपना जिसने बचाया देश है, इज्ज़त बचाने मां की कसे जिसने कमान, ईश बराबर झलकता ऐसे सुरों का वेश है, शत शत नमन हो तुमको ऐ वीर जवान। खेत में फैलाते ये हरियाली अपने कर्मो से हैं, बढ़ाते है सारे जगत में ये भारत देश की शान, गरीब पैसों से दिखते है पर अमीर धर्मों से है, जो बंजर जमीन में सोना करे ऐसा है किसान। एक हाथ अन्न दूजे सुरक्षा में तलवार को, दोनों एक ही मां के सपूत है ये इन्सान, एक खुद को लूटता दूजा लूटता हमारे प्यार को, बस इनको ही करता नमन जय जवान जय किसान। है दोनों को बेहाल भारत में सब एक सा करे, जवानों को कोई अब सम्मान बचा नहीं है, किसानों के उपकारों की जो सराहना करे, अब यहां कोई इंसान बचा नहीं है, पर खोखली ही सही पर जलते है इनके नाम के मशान, सीने में भाव नहीं पर फिर भी जय जवान जय किसान। 2 अक्टूबर 1904 में जन्मे श्री लालबहादुर शास्त्री 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 को अपनी मृत्यु तक लगभग अठारह महीने भारत के प्रधानमन्त्री रहे।
Hat_wL Srj
सेना को लाहौर तक पहुंचाने वाले प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जयंती की हार्दिक शुभकामनाए व शत् शत् नमन्🙏🚩🇮🇳 2 अक्टूबर 1904 में जन्मे श्री लालबहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे। वह 9 जून1964 से 11 जनवरी 1966 को अपनी मृत्यु तक लगभग अठारह म
R.S. Meena
जय जवान और जय किसान, ये सब है देश के लिए मिशाल। 2 अक्टूबर 1904 में जन्मे श्री लालबहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे। वह 9 जून1964 से 11 जनवरी 1966 को अपनी मृत्यु तक लगभग अठारह म