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संजय जालिम " आज़मगढी"
White अफ़साना दिल का कहूँ कैसे दीवाना दिल को रखू कैसे माना मैं मुफ़्लिस् ,काफिर हु ज़माने का उनके सिवा "जालिम" उल्फ़त में जियु कैसे ©संजय जालिम " आज़मगढी" # जीयु कैसे#
# जीयु कैसे#
read moreRAVI PRAKASH
White हमेशा खुश रहना चाहिए, क्योंकि परेशान होने से कल की मुश्किल दूर नही होती बल्कि.... आज का सुकून भी चला जाता ©RAVI PRAKASH #love_shayari हमेशा खुश रहना चाहिए
#love_shayari हमेशा खुश रहना चाहिए
read moreGhumnam Gautam
White हाँ, मुझे प्यार है और तुम से ही है पर बताओ मैं इज़हार कैसे करूँ ©Ghumnam Gautam #कैसे #इज़हार #ghumnamgautam
Akash gautam s n
हमे इकरार करना चाहिए था मुकम्मल प्यार करना चाहिए था ये सोचा था कि मर जायेंगे तुम बीन जो सोचा था तो मरना चाहिए था ©Akash gautam s n #covidindia करना चाहिए था
#covidindia करना चाहिए था
read moreRahul Prajapat
White चाँदनी चांद से होती ह सितारो से नही मोहब्बत एक से होती ह हजारो से नही ©Rahul Prajapat #sad_qoute एक मिलनी चाहिए
#sad_qoute एक मिलनी चाहिए
read moreParasram Arora
White ये बात कित्नी अजीब है कि सांसे मेरी धीमी और मंद होती जा रहीं जबकि मेरी नब्ज़ ने फड़कना बन्द कर दिया है अब ये कैसे तय हो कि मै कितनी देर या कितने दिन और जीता रहूगा ? और मानलो मरना ही पढ़ा तो मेरा अंतिम क्षण कौनसा होगा ©Parasram Arora कैसे तय हो?
कैसे तय हो?
read moreBANDHETIYA OFFICIAL
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset खा ना, खाना खाना, गा ना ,गाना गाना, ना खा थोड़ी देर को, नागा लम्बे बेर को, गाना नागा भी हो सकता है, खाना खाना खा ना चाहिए ही , खाना ही चाहिए, एक जोर, गाना शोर। ©BANDHETIYA OFFICIAL #SunSet #खाना गाना
चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज
New Year 2024-25 कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024 _______________________ हे दिसंबर ! कैसे कहूँ अलविदा --2024 जाते जाते कितनों के आंँखें कर गए नम माना कि मेरे हिस्से में आई हैं खुशियांँ, खुशियांँ भी मना न पाऊंँ जाने कितने को दे गए हो गम हे दिसंबर ! तुम्हें कैसे कहूंँ अलविदा-- 2024 भूल से भी ना भूलेगा मिटे से भी ना मिटेगा ज़ख्म है कितना गहरा , बेखबर हो गए हो तुम क्या जानो ! जाने कितनों की सांँसे थम गईं हे दिसंबर ! कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024 कपकपाती काया के रूह से पूछो- जाते जाते कितने को दर्द दे गए सिलते सिलते जाने कितने की उंगलियांँ जम गईं हे दिसंबर! कैसे कहूंँ अलविदा - 2024 (मौलिक रचना) चेतना प्रकाश चितेरी , प्रयागराज , उत्तर प्रदेश ३१/१२/२०२४ , ११:०८ पूर्वाह्न ©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज # कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024
# कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024
read moreParasram Arora
Unsplash कैसे पता लगे कि कौनसी बात न्याय संगत है और कौनसी बात व्यर्थ कागज़ी फूलों पर तुमने कभी किसी भवरे को बैठते हुए देखा है क्या? ©Parasram Arora कैसे पता लगे?
कैसे पता लगे?
read morepuja udeshi
Unsplash सो जाओ अगले दिन के इंतज़ार मे अच्छा हैं आप इंसान हैं खूटे से बधे पशु बकरी, भेड़,नहीं, पिजडे मे ठुसे चिकन नहीं,जो हर दिन बेरहमी से काट मार दिए जाते हैं आप की थाली मे पिरसने की खातिर और आप राक्षक उन्हें खाते हैं उनकी चिता की आग से अपना पेट गर्म करते हैं, कैसे लोग हैं आप मासाहरी 👆🏻🤔🤔😥🤢😡 ©puja udeshi #खाना #pujaudeshi