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Krishna Deo Prasad. ( Advocate ).
याद रखना अगर बड़ा बनना है , तो मर्यादा में रहो क्योंकि बड़ी कंपनी के पीछे limited (लिमिटेड) लिखा होता है.!! ©Krishna Deo Prasad. ( Advocate ). #लिमिटेड
Ravendra
KP EDUCATION HD
KP NEWS for the same for me to get the same for me ©कंवरपाल प्रजापति टेलर क्या आप डायलिसिस तकनीशियन के रूप में करियर बनाने को लेकर उत्साहित हैं? आगे कोई तलाश नहीं करें! HAL भर्ती 2023 अब आवेदन के लिए खुला है। बैंगल
Ravendra
Mahima Jain
मेरी सबसे पसंदीदा किताब है "डार्क हॉर्स"। डार्क हॉर्स के लेखक है नीलोत्पल मृणाल जो कभी I.A.S. की तैयारी के लिए दिल्ली के फेमस मुखर्जी नगर में रहा करते थे। इस किताब के प्रकाशक है वेस्टलैंड पब्लिकेशन लिमिटेड,चेन्नई। उन्होंने अपने जिंदगी के कुछ कीमती साल I.A.S. की तैयारी में दिए| इस दौरान उन्होंने यहाँ की दुनिया, यहाँ की जिंदगी को बडी ही नजदीकी से देखा। इसलिए उन्होंने अपने जिंदगी के पहले उपन्यास में अपने यही अनुभव साझा किये है| उन्होंने यहाँ के अनुभव को जस का तस उतारा है| उसमे कोई भी साहित्यिक ताना–बाना नहीं डाला गया है| यहाँ तक के चरित्रों की बोली भी उन्होंने वही रखी है| यहाँ लोग अपने साथ कितने सपने लेकर आते है| उन सपनो को पूरा करते वक्त उनको किस–किस परेशानियों से गुजरना पड़ता है। इसका बड़े ही बारीकी और संवेदनशीलता के साथ उन्होंने वर्णन किया है। लगता है जैसे हम भी वही मुखर्जी नगर में कही आसपास मौजूद हो। दिल्ली के कुछ जाने–माने इलाको का नाम बार–बार उपन्यास में आता है। वहां रह चुके लोगो को अपने पुराने दिन याद आये बगैर नहीं रहेंगे। किसी–किसी को तो अपने कॉलेज और हॉस्टल के दिन याद आ जायेंगे। कहते है कॉलेज और हॉस्टल के दिन हमारे जीवन के सुनहरे पलो में से एक होते है जिसे हम बार–बार जीना चाहते है तो इस किताब को पढ़ते वक्त आप अपने उस दौर में पहुँच जायेंगे। सचमुच लेखक ने किताब बहुत अच्छी लिखी है। •| संक्षिप्त निबन्ध |• विषय :- मेरी पसंदीदा किताब मेरी पसंदीदा किताब "डार्क हॉर्स" है। डार्क हॉर्स के लेखक है नीलोत्पल मृणाल जो कभी I.A.S.
Finance With Eha
An_se_Anshuman
AB
" take off... ऐसा नहीं है मैंने कभी 'take' और 'off' शब्द नहीं पढ़े और ऐसा भी नहीं है कि मुझे इनके अर्थ नहीं पता. बचपन से लेकर न जाने अब तक मैंने कितनी बार
Suman Rakesh Shah
तुम भी न कमाल करते हो ... सोच छोटी रखते हो और मुझे बुरा समझते हो महलों में रह कर झोपड़ी को सोचते हो ... तुम भी न कमाल करते हो एक ही नज़र से सब को तोलते हो जैसे तुम हो,वैसा ही दुनिया को देखते हो हाँ मैं हूँ तुमसे कुछ अलग मगर क्यों मुझे बुरा समझते हो तुम भी न कमाल करते हो "खिड़की से आसमाँ की वुसअत को नापते हैं" लोग कमाल करते हैं अपने महदूद नज़रिये से लोगों के पोटेंशिअल को आँकने की कोशिश करते हैं। वुसअत - फैलाव
Dr Jayanti Pandey
ज़िन्दगी को ज़िन्दगी से बात करने की फ़ुरसत नहीं है ज़िन्दगी,सिर्फ जीने में मसरूफ़ है। मशीनी सफर में चले जा रहे हैं, मसला तो देखो कि सफ़र में भी ज़िन्दगी से ही महरूम हैं। फकत जीते जाना तो जीवन नहीं है, इतना भी नहीं समझ पा रहे हैं, यह तमाशा भी खूब है। छोटा है जीवन, मुश्किलें है मन भर, फिर भी मरने से पहले जीना है जीभर, हां जीना है जीभर। सुप्रभात मित्रों! #जीभर जिओ और जिंदगी को लिमिटेड पीरियड ट्रैवल ऑफर की तरह ही समझो। #jayakikalamse #yqdidi #yqhindi