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angry birds
bss ek hi sabak hn zindagi ki "Sb hoke bhi hm akele hai or,sath hoke bhi hm akele hai ©Shri Thakur angry birds #standAlone
Priyanka
my friend got angry with me 😏 ©Priyanka tag your angry birds
krrishu
એક પળમાં તો મને એવું લાગ્યું કે મારી એક પળ ની ખુશી જે હજુ સુધી મને મળી પણ નથી એ મળતા પહેલા જ છીનવાઈ ગઈ... cute Angry birds ♥️🥺
Gaurav Bharti
हां गुस्सा भी आता है जब तुम बेवजह चिल्लाती हो, गुस्से में बोल कर अपनी बात मनवाती हो, तुम्हे ठेस न पहुंचे कोई मैं इसलिए चुप रह जाता हूं, अपना गुस्सा अपने दिल की बात अंदर ही पी जाता हूं, फिर कोशिश करता हूं सब ठीक करने की तुम्हारे प्यार करने पर ही फिर से मुस्कुराता हूं, Angry bird हो गई हो तुम अब पर मैं फिर भी तुमको चाहता हूं, बना लेता हूं मैं भी मुंह अपना मगर प्यार है तुमसे इसलिए हक़ जमाता हूं। ©Gaurav Bharti #Pyar #gussa #intezar #angry #Birds #Love #holdmyhand
Krishna patidar
( Heart voice ❣️-1) ✍️ कृष्णा पाटीदार मा बाप को कभी सुना है किसी बेटी ने खुद के सगे मा बाप को घर से लावारिस बेघर किया है कभी नी सुना होगा कियू की ये कभी नहीं हुआ कि किसी बेटी ने अपने सगे मा बाप को घर से बेघर किया हो ओलाद लड़का हो या लड़की मा बाप के लिए ओलाद ओलाद होती है मा बाप लडके के समझ दार होने के बाद सपने सकते है कि मेरा बेटा हमैसा हमको पूरी जिंदगी भर संभाले गा बेटी को तो घर कर कर एक दिन दूसरा घर सवार ना है वो तो चली जाएगी अब। उम्मीद बुढ़ापे कि कोन्न सिर्फ बेटा की अब आखरी टाइम तक यही संभाले में जब से ये सब समजने लगा हूं ना जब से बूरी लगे गि बात पर सच्ची है कि लड़का सादी होने के बाद ही अपने मा बाप को बेघर बेसहारा कर देता है कियू की उसकी जिन्दगी में कोई और आजाता है इसलिए में ये बिल्कुल नहीं बोलता कि सारी हर मा बाप की ओलाद एसी है में सिर्फ उन के लिए है जिन्होंने ये किया है और करते है पर कियू भुला देते है कि पैदा तो इनी मा बाप ने किया है ओर बचपन से किया कुछ नहीं किया है हमारे। लिए हमारा समाज किस और जा रहा है?युवा पीढ़ी को क्यों भार लग रहे है अपने माता पिता?हमारा समाज जिस संस्कृति का दंभ भर रहा था आज तक,सारे विश्व में अपनी संस्कृति की,अपनी परिवार की गाथा गा रहा था आज वही गली गली में वृद्ध आश्रम खुल रहे है.क्या यही हमारी प्रगति है?या हमारी युवा पीढ़ी अपने कर्त्तव्य से विमुख रही है?क्या हो गया है हमें की हम आज केवल स्वार्थी होकर रह गए है.स्व के अलावा हमें कुछ दिखता नहीं है.हमारा करिअर,हमारी तरक्की ,हमारे बच्चे.बस हम दो हमारे दो के अलावा हमारा अपना कोई नहीं?अपने पन का मीठा अहसास न जाने कहा लुप्त हो गया है.पडोसी,अपने सगे सम्बन्धी ,सारे रिश्ते नाते जैसे दिखावे के छलावे में कैद हो गए है.ये हम किस और जा रहे है?क्या यह सही हो रहा है?किसे परवाह है की हमारी संस्कृति पर जगह जगह वृध्द आश्रम खोल हम कलंक लगा रहे है.जिन माता पिता ने हमें हाथ थाम चलाना सिखाया ,जब उनके पैर डगमगाने लगे ,उन्हें सहारा देने के बजाय हमने उनसे किनारा कर लिया?हमें दुःख होना चाहिए की हमें ममता की छाव में पाल पोस कर बड़े करने वाले हमारे माता पिता के साथ हम ऐसा अमानवीय,अकर्मनीय अशोभनीय बर्ताव कर रहे है.आज हमारे भारत देश में जगह जगह पालना घर खुल रहे है और पूरा विश्व दादा दादी के साथ नन्हे मुन्नों को रखने के लिए जोर दे रहा है.जहा परिवार का हर सदस्य एक दुसरे के सुख बाट लेता था उस देश में ये उलटी गंगा कैसे बह रही है.पश्चिम वाले हमारी संस्कृति को अपनाने के लिए तरस रहे है और हम है की आंखे मूंदकर भौतिक सुख सुविधोके पीछे भाग रहे है.अपनो को भुला रहे है.अपने कर्त्तव्य को भूल रहे है.ये सामाजिक विघटन की और जाने वाला खतरनाक मोड़ है जो हमें घर से बेघर कर देगा.समय रहते जाग.माता पिता के साथ रहो.उनकी छत्र छाया में स्वर्ग सुख ही मिलेगा,दुःख तो कभी नहीं. 2 #Star