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कुमार दीपेन्द्र
अभी तो बचपना है इश्क़ शुरुआती है तुम चाहो तो इसको उम्र तमाम कर दो कुछ देर मेरे साथ बैठो तो सही देखते चांद को तुम शाम कर दो 👇👇 Full in Caption ©कुमार दीपेन्द्र #lovetaj love story कुछ देर मेरे साथ बैठो तो सही देखते चांद को तुम शाम कर दो अभी तो बचपना है इश्क़ शुरुआती है तुम चाहो तो इसको उम्र त
#lovetaj love story कुछ देर मेरे साथ बैठो तो सही देखते चांद को तुम शाम कर दो अभी तो बचपना है इश्क़ शुरुआती है तुम चाहो तो इसको उम्र त
read moregaTTubaba
White शौक से लिखता हूँ कागज़ पर कुछ बातें शौकीन भी कागज़ का हूं ©gaTTubaba #Thinking शौक से लिखता हूँ कागज़ पर कुछ बातें शौकीन भी कागज़ का हूं
#Thinking शौक से लिखता हूँ कागज़ पर कुछ बातें शौकीन भी कागज़ का हूं
read moreAnuj Ray
White दो मुसाफ़िर " घर से चले थे साथ साथ दो मुसाफ़िर, राहों में मगर रास्ते दोनों के अलग हो गए, खाई थी साथ निभाने की कसम ज़िन्दगी भर के लिए, राहों में अचानक से जुदा हो गए। ©Anuj Ray # दो मुसाफ़िर
# दो मुसाफ़िर
read moregaTTubaba
Unsplash पेंसिल से ही लिखता हूं इश्क तेरे लिए अब की बार मिटाने की नौबत आएं तो आसान हो....! ©gaTTubaba #Book पेंसिल से ही लिखता हूं इश्क तेरे लिए अब की बार मिटाने की नौबत आएं तो आसान हो....!
#Book पेंसिल से ही लिखता हूं इश्क तेरे लिए अब की बार मिटाने की नौबत आएं तो आसान हो....!
read moreShivam Pandey
White बस गये हो दिल ❤️ की गहराइयों में तुम हर जगह अब तुम ही नज़र आने लगे हो ©Shivam Pandey #love_shayari तुम 🌹 लव शायरी शायरी हिंदी में शायरी खूबसूरत दो लाइन शायरी शेरो शायरी
#love_shayari तुम 🌹 लव शायरी शायरी हिंदी में शायरी खूबसूरत दो लाइन शायरी शेरो शायरी
read morePoet Kuldeep Singh Ruhela
Unsplash में मुर्शद तू मुर्शद ये सारा जहां मुर्शद हो गया प्यार के तराने लिखता लिखता में तो खुद बेगाना हो गया ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #traveling में मुर्शद तू मुर्शद ये सारा जहां मुर्शद हो गया प्यार के तराने लिखता लिखता में तो खुद बेगाना हो गया
#traveling में मुर्शद तू मुर्शद ये सारा जहां मुर्शद हो गया प्यार के तराने लिखता लिखता में तो खुद बेगाना हो गया
read morepriyanka pilibanga
White मेरे पापा लिखते मेरा मुकद्दर, अगर मेरे पापा लिखते। ना दौलत, ना शोहरत, की कमी लिखते। जहां जहां गम लिखें है, वहां वहां वो सुख लिखते। मेरा मुकद्दर, अगर मेरे पापा लिखते। धुधली सी खुशियों को वह साफ़ साफ़ लिखते। मेरी ज़िन्दगी में दुःख नाम के, शब्द ही ना होते। मेरा मुक़द्दर, अगर मेरे पापा लिखते। ©Priyanka Poetry मेरे पापा लिखते
मेरे पापा लिखते
read moreडॉ.अजय कुमार मिश्र
White बहुत लोग हैं मेरे साथ, फिर भी आज मैं तन्हा हूं, जाने क्यों खुली आसमां से ,व्यथा आज कहता हूं। हमें आदत थी हमेशा आग और बर्फ पर चलने की, आज सर्द हवाओं के सर्दी से भी जाने क्यों बचता हूं। धधकती आग तो दूर, आज आग के धुएं से भी डरता हूं।। कोई चोटिल न हो जाए मेरे खट्टे मीठे शब्दों से , आज जुबान से निकलने वाली हर शब्द से डरता हूं। कौन सक्स कब हमें कह दे गुनहगार। आज हर सक्स के नजरों से डरता हूं। ©डॉ.अजय कुमार मिश्र डरता हूं
डरता हूं
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