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Ek villain

#Tanhai किशोर मां का प्रेम अनिर्वचनीय होता है #Society

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प्रेम का बंधन ही द्वेष और ईशा का दमन कर देता है जहां प्रेम है वहां प्राथमिक है वहां चतरा कृष्ण अपना प्रभाव नहीं जमा पाते संपत्ति प्रेम के पवित्र बंधन का एक विकृत स्वरूप दृष्टिगोचर हो रहा है जो वास्तव में प्रेम है ही नहीं मैं जागरण में प्रेम संबंध से संबोधित किया जाता है इसे आकर अंश के वशीभूत विवेता घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है यह दुर्भाग्यपूर्ण है यह समाज के पतन को दर्शा रहा है

©Ek villain #Tanhai किशोर मां का प्रेम अनिर्वचनीय होता है

Unconditiona L💓ve😉

!!ॐ नमः शिवायः!! !!हर हर महादेव!! आप सभी को फ्रेंडशिप डे की अनेकों शुभकामनायें!!! भोलेबाबा आप सभी की जीवन में खुशियाँ ही खुशियाँ लाये!!! 🌿🌸 #devotion #thankyou #blessings #FriendshipDay #frendship #शिवशंभू

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जब भोले के मूरत पे, मेरी हाँथो से पुष्प सजती है.!
तन-मन सुगन्धित पुष्टिवर्धन हो,मुझमें महकती है..!! !!ॐ नमः शिवायः!!
!!हर हर महादेव!!
आप सभी को
फ्रेंडशिप डे की अनेकों शुभकामनायें!!!

भोलेबाबा आप सभी की जीवन में खुशियाँ ही खुशियाँ लाये!!!
🌿🌸

atrisheartfeelings

#atrisheartfeelings #ananttripathi #Sundarkand #Sunderkand अस मैं अधम सखा सुनु मोहू पर रघुबीर। कीन्हीं कृपा सुमिरि गुन भरे बिलोचन नीर॥7॥

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अस मैं अधम सखा सुनु मोहू पर रघुबीर।
कीन्हीं कृपा सुमिरि गुन भरे बिलोचन नीर॥
जानतहूँ अस स्वामि बिसारी। फिरहिं ते काहे न होहिं दुखारी॥
एहि बिधि कहत राम गुन ग्रामा। पावा अनिर्बाच्य बिश्रामा॥
पुनि सब कथा बिभीषन कही। जेहि बिधि जनकसुता तहँ रही॥
तब हनुमंत कहा सुनु भ्राता। देखी चहउँ जानकी माता॥
जुगुति बिभीषन सकल सुनाई। चलेउ पवन सुत बिदा कराई॥
करि सोइ रूप गयउ पुनि तहवाँ। बन असोक सीता रह जहवाँ॥
देखि मनहि महुँ कीन्ह प्रनामा। बैठेहिं बीति जात निसि जामा॥
कृस तनु सीस जटा एक बेनी। जपति हृदयँ रघुपति गुन श्रेनी॥
 #atrisheartfeelings #ananttripathi #sundarkand #sunderkand


अस मैं अधम सखा सुनु मोहू पर रघुबीर।
कीन्हीं कृपा सुमिरि गुन भरे बिलोचन नीर॥7॥

Vikas Sharma Shivaaya'

🙏सुन्दरकांड🙏 दोहा – 7 भगवान् राम के गुणों का भक्तिपूर्वक स्मरण अस मैं अधम सखा सुनु मोहू पर रघुबीर। कीन्हीं कृपा सुमिरि गुन भरे बिलोचन नीर ॥7 #समाज

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🙏सुन्दरकांड🙏
दोहा – 7
भगवान् राम के गुणों का भक्तिपूर्वक स्मरण
अस मैं अधम सखा सुनु मोहू पर रघुबीर।
कीन्हीं कृपा सुमिरि गुन भरे बिलोचन नीर ॥7॥
हे सखा, सुनो मै ऐसा अधम नीच हूँ तिस पर भी रघुवीरने कृपा कर दी,तो आप तो सब प्रकारसे उत्तम हो-आप पर कृपा करे इस में क्या बड़ी बात है- ऐसे प्रभु श्री रामचन्द्रजी के गुणोंका स्मरण करनेसे दोनों के नेत्रोमें आंसू भर आये॥
श्री राम, जय राम, जय जय राम

भगवान् को भूलने पर, इंसान के जीवन में दुःख का आना
जानतहूँ अस स्वामि बिसारी।
फिरहिं ते काहे न होहिं दुखारी॥
एहि बिधि कहत राम गुन ग्रामा।
पावा अनिर्बाच्य बिश्रामा॥
जो मनुष्य जानते बुझते ऐसे स्वामीको छोड़ बैठते है,वे दूखी क्यों न होंगे?
इस तरह रामचन्द्रजीके परम पवित्र व
कानोंको सुख देने वाले गुणसमूहोंको कहते कहते,हनुमानजी ने विश्राम पाया,उन्होने परम (अनिर्वचनीय) शांति प्राप्त की॥

विभीषण हनुमानजी को माता सीता के बारे में बताते है
पुनि सब कथा बिभीषन कही।
जेहि बिधि जनकसुता तहँ रही॥
तब हनुमंत कहा सुनु भ्राता।
देखी चहउँ जानकी माता॥
फिर विभीषण ने हनुमानजी से वह सब कथा कही कि –सीताजी जिस जगह, जिस तरह रहती थी।तब हनुमानजी ने विभीषण से कहा, हे भाई सुनो,मैं सीता माताको देखना चाहता हूँ॥

अशोकवन का प्रसंग-हनुमानजी अशोकवन जाते है
जुगुति बिभीषन सकल सुनाई।
चलेउ पवनसुत बिदा कराई॥
करि सोइ रूप गयउ पुनि तहवाँ।
बन असोक सीता रह जहवाँ॥
सो मुझे उपाय बताओ।हनुमानजी के यह वचन सुनकर विभीषण ने वहांकी सब युक्तियाँ (उपाय) कह सुनाई।तब हनुमानजी भी विभीषणसे विदा लेकर वहांसे चले॥फिर वैसा ही छोटासा स्वरुप धर कर,हनुमानजी वहां गए, जहां अशोकवन में सीताजी रहा करती थी॥

सीताजी का राम के गुणों का स्मरण करना
देखि मनहि महुँ कीन्ह प्रनामा।
बैठेहिं बीति जात निसि जामा॥
कृस तनु सीस जटा एक बेनी।
जपति हृदयँ रघुपति गुन श्रेनी॥
हनुमानजी ने सीताजी का दर्शन करके,
उनको मनही मनमें प्रणाम किया और बैठे-इतने में एक प्रहर रात्रि बीत गयी॥
हनुमानजी सीताजी को देखते है,सो उनका शरीर तो बहुत दुबला हो रहा है।
सर पर लटो की एक वेणी बंधी हुई है और अपने मनमें श्री राम के गुणों का जाप (स्मरण) कर रही है॥

विष्णु सहस्रनाम (एक हजार नाम) आज 289 से 300 नाम 
289 सत्यधर्मपराक्रमःजिनके धर्म-ज्ञान और पराक्रमादि गुण सत्य है
290 भूतभव्यभवन्नाथः भूत, भव्य (भविष्य) और भवत (वर्तमान) प्राणियों के नाथ है
291 पवनः पवित्र करने वाले हैं
292 पावनः चलाने वाले हैं
293 अनलः प्राणों को आत्मभाव से ग्रहण करने वाले हैं
294 कामहा मोक्षकामी भक्तों और हिंसकों की कामनाओं को नष्ट करने वाले
295 कामकृत् सात्विक भक्तों की कामनाओं को पूरा करने वाले हैं
296 कान्तः अत्यंत रूपवान हैं
297 कामः पुरुषार्थ की आकांक्षा वालों से कामना किये जाते हैं
298 कामप्रदः भक्तों की कामनाओं को पूरा करने वाले हैं
299 प्रभुः प्रकर्ष
300 युगादिकृत् युगादि का आरम्भ करने वाले हैं

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुन्दरकांड🙏
दोहा – 7
भगवान् राम के गुणों का भक्तिपूर्वक स्मरण
अस मैं अधम सखा सुनु मोहू पर रघुबीर।
कीन्हीं कृपा सुमिरि गुन भरे बिलोचन नीर ॥7

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 9 - देखे सकल देव 'भगवन! मैं किसकी आराधना करूं!' वेदाध्ययन पूर्ण किया था उस तपस्वी कु

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
9 - देखे सकल देव

'भगवन! मैं किसकी आराधना करूं!' वेदाध्ययन पूर्ण किया था उस तपस्वी कु

Anil Siwach

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Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 8 - जागे हानि न लाभ कछु राजकुमार श्वेत के आनन्द का पार नहीं है। आज उनका अभीष्ट पूर्ण

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
8 - जागे हानि न लाभ कछु

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Anil Siwach

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।।श्री हरिः।।
8 - जागे हानि न लाभ कछु

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