Find the Latest Status about कलमें from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, कलमें.
Tashan Raj
Ashi Saxena
सुनो रंगत-ए-ईश्क़ से भरी हुई है ग़ालिब की कलमें, शायद ज़ुनून-ए-ईश्क़-ए-फ़रवरी शुरू हो चुका है! सुनो रंगत-ए-ईश्क़ से भरी हुई है ग़ालिब की कलमें, शायद ज़ुनून-ए-ईश्क़-ए-फ़रवरी शुरू होने वाला है!
Prem Nirala
उसपे गुस्सा करना भी अपना एक इश्क़ हैं, कलमें सिर्फ मोहब्बत ही नहीं, नफ़रत भी लिखा करती हैं, लेकिन वो भी लेहज़े में रेहकर एक सिद्दत से! prem_nirala_ उसपे गुस्सा करना भी अपना एक इश्क़ हैं, कलमें सिर्फ मोहब्बत ही नहीं, नफ़रत भी लिखा करती हैं, लेकिन वो भी लेहज़े में रेहकर एक सिद्दत से! #pre
अम्बुज बाजपेई"शिवम्"
मैं दीदार-ए-चांद में रातें ज़ाया करुंगा, भले वो रात अमावस की और अंधेरा हो तो हो। तेरे इश्क के कलमें मैं सबको सुनाऊंगा, भले ज़माने को बुरा लग जाए और बखेड़ा हो तो हो। मैं आंखें बंद रख कर तेरे ही ख्वाब देखूं बस, भले दिन चढ़ जाए और सवेरा हो तो हो। तेरे होने की खुशी तेरे न होने गम से कहीं बढ़कर है, भले कुछ पल को ही सही मगर मेरा हो तो मेरा हो। ©अम्बुज बाजपेई"शिवम्" मैं दीदार-ए-चांद में रातें ज़ाया करुंगा, भले वो रात अमावस की और अंधेरा हो तो हो। तेरे इश्क के कलमें मैं सबको सुनाऊंगा, भले ज़माने को बुरा लग
Shree
वो अपने हुस्न, अपनी आरज़ू, अपनी आबरू, लपेटे लिहाज, समेटे लिहाफ में अपनी जिंदगानी अंजुलि में भर, कलमें पढ़ते उम्र भर!! तू गुनहगार सा, ढ़ूंढे पाक़ जिस्म पर लगे निशान बस, उसके नादान मन को कुरेद कर नए-नए लफ़्ज़ों में सुनाता क़ज़ा तू बिन जुर्म के, बनता है ख़ुदा!! मुहब्बत की कीमत वो अदा करने वाले चुकाते रहे, तेरी दगा को अपने ज़हन में दबाए, हर्फ-हर्फ लब पे सज़दा तेरा ही लिए लुटते फ़िर रहे इस मगरुर ज़माने में!! ~क़ज़ा~ वो अपने हुस्न, अपनी आरज़ू, अपनी आबरू, लपेटे लिहाज, समेटे लिहाफ में अपनी जिंदगानी अंजुलि में भर, कलमें पढ़ते उम्र भर!! तू गुनहगार सा
Adv Sandeep Saini
गीत नया सुनाता हूँ गीत नया सुनाता हूँ किताबो में अपनी नींद-चैन ग्वाँता हूँ नही मेरे पास पैसा, मैं हूँ बेकार नौकरी की चाह में घिसता हूँ कलमें बार-बार वैकेन्स
atrisheartfeelings
मेरे ख्वाबों में याद में और खयालों में तू है... मेरी नज़रों की गुस्ताखियां तुझ तक है , मेरी बेबाक मोहब्बत तुझ तक है , मचलती सांसों को मेरी , बस तेरी ही आरज़ू है और क्या कहूं , जानेवफ़ा !
Namit Raturi
मेरी शाम कुछ युंह गुजरती है, याद तुम्हारी आती है और, कागज पर कविताएं उतरती है, ऐब सारे छोड़ दिए मैंने, के कोई असरदार ना था, भूल क्यों नहीं पाता मैं तुम्हें, एसा भी तुम्हारा प्यार ना था, कोई दवा,कोई नुस्खा,ईलाज कोई, करे तो सही तरिका एसा ईजाद कोई, के बात बात पे तस्वीर तुम्हारी उभरती है, याद तुम्हारी आती है और, कागज पर कविताएं उतरती है, कभी तुम्हारी लिखावट पे लिखता हूँ, मैंने आदत बना ली है के, मैं अब तुम्हारी आदत पे लिखता हूँ, बड़ा ठहर ठहर के लिखा है मैंने, कागज कितने घिस गए, सुनने वालों के लिए चिखा है मैंने कलमें कितनी धस गई, अब भी लिखता हूँ तुम पर तो कसर रह जाती है, मैं थम सा जाता हूँ जैसे और आँखें बह जाती है, फिर शब्द तुम पर निकलते कुदरती है, याद तुम्हारी आती है और, कागज पर कविताएं उतरती है ।। for weak eyes मेरी शाम कुछ युंह गुजरती है, याद तुम्हारी आती है और, कागज पर कविताएं उतरती है, ऐब सारे छोड़ दिए मैंने, के कोई असरदार ना था,
के_मीनू_तोष
Poetry with Avdhesh Kanojia
अवधेश कनौजिया #truth #politics #left #nationalist #राजनीति #life #lifequotes वामपन्थ को चरस के नशे में रहने वाले बातवीरों की मजदूरों के प्रति दिखावटी सह