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Parul Sharma
दाल रोटी की जगह पिज्जा बर्गर मिठाई की जगह केक चाकलेट नमकीन की जगह कुरकुरे चिप्स Fastival or birthday पर gift परोसने वाले santa हम लोग --- मकरसंक्रांति पर तिलकुट खिचड़ी बसंत पंचमी पर पीले वस्त्र चावल होली पर गुजिया इनरसा एकादशी पर घड़ा पंखा खरबूज शरबत गणतंत्र दिवस पर बूंदी रक्षाबंधन पर घेबर जन्माष्टमी पर पंजीरी चरणामृत नौ दुर्गा में पूरी हलुआ शरद पूर्णिमा पर खीर महिलाओं के त्योहार पर श्रंगार के सामान दशहरा दिवाली पर खीर खिलौने बताशे बाँटते और दान करते है हम गिफ्ट नहीं लेते List में कुछ और रह गया है तो Santa आप भी बता सकते हैं कुछ ले भी जा सकते हैं हमारे त्योहारों पर मित्रों आप ही बताइए लगता है बहुत कुछ रह गया है ©Parul Sharma दाल रोटी की जगह पिज्जा बर्गर मिठाई की जगह केक चाकलेट नमकीन की जगह कुरकुरे चिप्स Fastival or birthday पर gift परोसने वाले santa हम लोग -
दाल रोटी की जगह पिज्जा बर्गर मिठाई की जगह केक चाकलेट नमकीन की जगह कुरकुरे चिप्स Fastival or birthday पर gift परोसने वाले santa हम लोग -
read moreshamawritesBebaak_शमीम अख्तर
White इस सफर-ए-हयात में क्या- क्या न मुझे दिखा, अपने ही घर मे हर अफराद जुदा-जुदा सा मुझे दिखा//१ खल्क की सदा को नक्कारा-ए-खुदा न समझा,उमीदे-अदल थी जिनसे,वो बाप विरासत देने मे गूंगा-बहरा सा मुझे दिखा//२ जो दबाते है सरमाया अपने हमशीरी का,वो रोजे मह्शर अल्लाह-रसूल् से शर्मिंदा खड़ा सा मुझे दिखा//३ वो एहसासे कमतरी का शिकार न दिखा,हाँ आज उसके मन मे जहरीला गुबार उड़ता सा मुझे दिखा//४ नफरत की अफीम बोई है,जिस हासिद ने,अब ईद दिवाली स्नेह मिलन पर,वो नफरते फसल काटता सा मुझे दिखा//५ हाशिये पर पसमन्दो को निशाना बनते मुझे दिखा, इस मानिंद नशेमन रिआया का गिरता सा मुझे दिखा//६ जो अना और किना परस्त बड़े लोग है,मुझको तो ऐसे लोगो का किरदार अदना सा मुझे दिखा//६ जाइए मत आप"शमा"की बेबाकी पर,मै खामखाह, सुर्ख़रू हुआ,जो ये हयात शनासा सा मुझे दिखा//७ #shamawritesbebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #sad_quotes इस सफर-ए-हयात में क्या- क्या न मुझे दिखा,अपने ही घर मे हर अफराद जुदा- जुदा सा मुझे दिखा//१ खल्क की सदा को नक्कारा -ए-खुदा न समझ
#sad_quotes इस सफर-ए-हयात में क्या- क्या न मुझे दिखा,अपने ही घर मे हर अफराद जुदा- जुदा सा मुझे दिखा//१ खल्क की सदा को नक्कारा -ए-खुदा न समझ
read moreBhanu Priya
लड़की हूं, इसलिए हर साल सुर्खी बनती हूं, सरकारें आती हैं जाती हैं, दस्तूर ए जहां, सत्ता, सत्ता ही रह जाती है, कभी कलकत्ता, कभी मनाली न जाने कितनी हैं बिगड़ी, कितने आशियानों की रमजान, होली , दिवाली, हक का कहां मिला मुझे, दस्तूर ए जहां, आज इसने तो कल उसने सबने वादें किए मुझसे... यही रीत ज़माने की लड़ता हैं वह खुद के लिए , काश एक बार निकलता वह खुदसे और लड़ता मेरे लिए। ©Bhanu Priya #दस्तूर_ए_वक़्त दस्तूर लड़की हूं,इसलिए हर साल सरखी बनती हूं, सरकारें आती हैं जाती हैं, दस्तूर ए जहां, सत्ता, सत्ता ही रह जाती है, कभी कलकत
#दस्तूर_ए_वक़्त दस्तूर लड़की हूं,इसलिए हर साल सरखी बनती हूं, सरकारें आती हैं जाती हैं, दस्तूर ए जहां, सत्ता, सत्ता ही रह जाती है, कभी कलकत
read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
आप सभी को देव दिपावली पर्व गंगा स्नान व गुरु पुरब की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏 🎇 🎇 🪔 भाषा शैली स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित शीर्ष
read mores गोल्डी
झालर उतार दिए , लडिया लपेट रहे है ! दिवाली बीत गई , अब खुशियां समेट रहे हैं !! ©s गोल्डी दिवाली के बाद
दिवाली के बाद
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